उत्तराखंड में आचार संहिता लगते ही कांग्रेस मुखर, धामी सरकार पर नियुक्तियों और तबादलों को लेकर लगे गंभीर आरोप
हरीश रावत ने सरकार पर लगाए आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप
देहरादून, 10 जनवरी। उत्तराखंड में आचार संहिता लगते ही कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर आचार संहिता के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें आबकारी कमिश्नर बदलने, किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग, बदरीनाथ केदार मंदिर समिति, शिक्षा विभाग, सहकारिता विभाग और ऊर्जा विभाग में की गई नियुक्ती, ट्रांसफर और प्रमोशन पर सवाल उठाए गए हैं। हरीश रावत ने आरोप लगाए कि कोऑपरेटिव बैंकों में अब भी बैक डोर से नियुक्तियां जारी हैं। हरीश रावत ने इन नियुक्तियों को आचार संहिता का खुला उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की बात कही।
Recommended Video
14
फरवरी
को
भाजपा
की
विदाई
तय
पूर्व
मुख्यमंत्री
व
प्रदेश
कांग्रेस
चुनाव
अभियान
समिति
के
अध्यक्ष
हरीश
रावत
ने
सरकार
पर
चुनाव
आचार
संहिता
के
उल्लंघन
का
आरोप
लगाया।
उन्होंने
कहा
बैकडेट
पर
तबादले
और
राजनीतिक
नियुक्तियां
की
गईं।
हरीश
रावत
ने
कहा
कि
14
फरवरी
को
राज्य
से
भाजपा
की
विदाई
निश्चित
है।
उन्होंने
आरोप
लगाया
कि
पिछले
पांच
साल
में
राज्य
का
विकास
ठप
हो
गया
है।
इसके
बाद
उत्तराखंड
प्रदेश
कांग्रेस
ने
मुख्य
चुनाव
आयुक्त
को
राज्य
सरकार
द्वारा
लगातार
आदर्श
चुनाव
आचार
संहिता
का
उल्लंघन
करने
का
आरोप
लगाते
हुए
मुख्य
चुनाव
आयुक्त
के
समक्ष
ऑनलाइन
व
मोबाइल
ऐप
और
फैक्स
से
अपनी
शिकायत
दर्ज
कराई
है।
प्रदेश
कांग्रेस
के
उपाध्यक्ष
सुरेंद्र
कुमार
ने
जानकारी
देते
हुए
बताया
कि
अपनी
शिकायत
में
कांग्रेस
ने
राज्य
सरकार
पर
आचार
संहिता
उल्लंघन
के
कई
आरोप
कई
विभागों
में
नियुक्तियों
,आबकारी
पदोनुत्ति
सहित
कई
बिंदु
उठाए
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
उत्तराखंड
विधानसभा
चुनाव
2022
के
दौरान
राज्य
सरकार
द्वारा
लगातार
आदर्श
चुनाव
आचार
संहिता
का
लगातार
उलंघन
करते
हुए
बद्रीनाथ
केदारनाथ
मंदिर
समिति,
राज्य
बाल
आयोग,
राज्य
महिला
आयोग
में
अध्यक्ष
व
सदस्यों
की
नियुक्ति,
आबकारी
विभाग
में
अधिकारियों
के
स्थानांतरण,
शराब
के
ठेके,
शिक्षा
विभाग
में
शिक्षकों
में
भारी
नियुक्ति
व
स्थानांतरण,
सहकारिता
विभाग
में
नियुक्ति
व
स्थानांतरण
सभी
मामले
आचार
संहिता
का
उलंघन
करते
हुए
किये
गये
हैं।
उन्होंने
मांग
की
कि
इस
संबंध
में
चुनाव
आयोग
सभी
दस्तावेज
अपने
कब्जे
में
ले
व
संबंधित
अधिकारियों
को
निष्पक्ष
व
स्वतंत्र
चुनाव
सम्पन्न
कराने
के
लिए
चुनाव
कार्यों
से
विमुक्त
रखा
जाए।
बीकेटीसी
में
नियुक्ति
पर
निर्वाचन
आयोग
से
शिकायत
इधर
कांग्रेस
के
एक
प्रतिनिधिमंडल
ने
देहरादून
में
मुख्य
निर्वाचन
अधिकारी
से
मुलाकात
कर
बद्री
केदार
मंदिर
समिति
में
अध्यक्ष
समेत
15
सदस्यों
की
नियुक्ति
को
आचार
संहिता
और
एक्ट
के
उल्लंघन
की
शिकायत
की
है।
कांग्रेस
के
उत्तराखंड
पौराणिक
सांस्कृतिक
संवर्धन
प्रकोष्ठ
के
अध्यक्ष
आचार्य
नरेश
आनंद
नौटियाल
ने
बताया
कि
एक्ट
के
अनुसार
अध्यक्ष
समेत
12
सदस्यों
को
नामित
किया
जाता
आ
रहा
है।
लेकिन
सरकार
ने
चुनाव
को
देखते
हुए
अपने
हितों
के
लिए
आचार
संहिता
और
एक्ट
का
उल्लंघन
किया
है।
बता
दें
कि
धामी
सरकार
ने
उत्तराखंड
चारधाम
देवस्थानम
प्रबंधन
बोर्ड
भंग
होने
के
बाद
चुनाव
की
घोषणा
से
पहले
श्री
बदरी-केदार
मंदिर
समिति
(बीकेटीसी)
का
गठन
कर
दिया।
बीकेटीसी
के
अध्यक्ष,
उपाध्यक्ष,
सीईओ
और
13
सदस्यों
की
नियुक्ति
भी
कर
दी
गई
है।
इनमें
बीकेटीसी
के
अध्यक्ष
पद
अजेंद्र
अजय
भट्ट
(रुद्रप्रयाग)
को
नियुक्त
किया
गया
है।
किशोर
पंवार
(चमोली)
को
उपाध्यक्ष
और
आइएफएस
बीडी
सिंह
को
समिति
के
मुख्य
कार्यकारी
अधिकारी
(सीईओ)
बनाया
गया
है।
सदस्यों
में
आशुतोष
डिमरी,
श्रीनिवासन
पोश्ती,
कृपाराम
सेमवाल,
जयप्रकाश
उनियाल,
बीरेंद्र
असवाल,
नंदा
देवी,
रणजीत
सिंह
राणा,
महेंद्र
शर्मा,
भाष्कर
डिमरी,
पुष्कर
जोशी
व
राजपाल
सिंह
जड़धारी
शामिल
हैं।
ऋषि
प्रसाद
सती
व
आचार्य
रामानंद
सरस्वती
को
विशेष
आमंत्रित
सदस्य
बनाया
गया
है।
सभी
का
कार्यकाल
तीन
वर्ष
होगा।
जिसको
लेकर
विपक्ष
ने
सवाल
खड़े
किए
हैं।