सशक्त उत्तराखंड 25 चिंतन : अचानक शिविर में पहुंचे सीएम धामी, अधिकारियों के बीच बैठक इस तरह लिया फीडबैक
मसूरी में चल रहे चिंतन शिविर में अचानक पहुंचे सीएम धामी
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में चल रहे चिंतन शिविर के आज के समापन सत्र में देर सायं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक सरदार पटेल भवन सभागार में पहुंचे और अन्य अधिकारियों के बीच बैठकर एक श्रोता के रूप में विचारों को सुनने लगे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बेहद गंभीरता के साथ प्रस्तुतिकरण को देखने के साथ ही अधिकारियों के विचारों और सुझावों को सुना।
राज्य में पर्यटन सालाना 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में चल रहे सशक्त उत्तराखंड @25 चिंतन शिविर के द्वितीय सत्र में पर्यटन, नागरिक उड्डयन एवं पब्लिक फाइनेंस पालिसी एंड मैनेजमेंट विषयों पर प्रस्तुतिकरण हुआ। पर्यटन सचिव सचिन क़ुर्बे ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया कि राज्य में पर्यटन सालाना 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हालांकि हमारे यहां अधिकांश पर्यटक धार्मिक पर्यटन के लिए आ रहा है जबकि हिमाचल विदेशी पर्यटकों एवं एडवेंचर टूरिज्म के क्षेत्र में हमसे आगे है। इसमें सुधार की जरूरत है। यात्रा मार्गों पर शौचालय निर्माण के कार्य में तेजी लाई जा रही है। 52 नए शौचालय स्वीकृत किए गए हैं।
बर्ड वाचिंग के क्षेत्र में तमाम संभावनाएं
उन्होंने बताया कि राज्य में बर्ड वाचिंग के क्षेत्र में तमाम संभावनाएं हैं। आसन बैराज इस लिहाज से उभरता हुआ डेस्टिनेशन है। औली के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। आईडीपीएल ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कन्वेंशन सेन्टर निर्माण के लिए भूमि पर कब्जा लेने का कार्य शुरू किया जा रहा है। चारधाम में विंटर टूरिज्म को विकसित करने के लिए नए स्पॉट विकसित किये जा रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हों। चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा में पर्यटन को बढ़ाने के लिए विशेष फोकस किया जा रहा है। रोपवे के लिहाज से सुरकंडा में यह प्रारंभ हो चुका है जिसके चलते यहां श्रद्धालु 32 प्रतिशत तक बढे हैं। देहरादून मसूरी-रोपवे, यमुनोत्री रोपवे पर आगे बढ़ा जा रहा है। केदारनाथ और हेमकुंड में रोपवे की आधारशिला रखी जा चुकी है।
होमस्टे नीति गेम चेंजर का काम कर रही
राज्य में होमस्टे के क्षेत्र में होमस्टे नीति गेम चेंजर का काम कर रही है। इसके सुखद नतीजे मिले हैं। पर्यटन क्षेत्रों की ब्रांडिंग के लिए असाइनमेंट आधारित एजेंसी को इंगेज किया जा रहा है। एंगलिंग राज्य में नए क्षेत्र के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में चंपावत में काफी संभावना है। सत्र के दौरान पब्लिक फाइनेंस पालिसी एंड मैनेजमेंट पर बोलते हुए वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि हमें अपने वित्तीय रिसोर्सेज को बढ़ाना होगा। अभी 50 प्रतिशत वैट और हेज से प्राप्तियां आती हैं जबकि 10 प्रतिशत स्टाम्प से आता है। बाकी 40 प्रतिशत विभागों से प्राप्त होता है। अन्य विभागों को इनका इनकम जेनरेशन की दिशा में ठोस काम करने की जरूरत है। खनन, आबकारी और वन विभाग को इस लिहाज से उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। स्वास्थ्य विषय पर स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया। उन्होंने बताया कि राज्य में चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ की कमी बनी हुई है जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को और अधिक वेतन दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा पीपीपी मॉडल को अपनाया गया है ताकि मानव संसाधन को बढ़ाया जा सके। वहीं, मानव संसाधन प्रबंधन के लिहाज से बताया गया कि अभी विभाग के पास कोई ट्रांसफर पालिसी नहीं है जिसकी वजह से समस्या आ रही है। अगर इस क्षेत्र में पीपीपी मॉडल से भर्ती करते हैं तो इस समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
डेडिकेटेड हाई एल्टीट्यूड सिस्टम बनाया जा रहा
स्वास्थ्य सचिव द्वारा बताया गया कि विभाग द्वारा विशेष रूप से डेडिकेटेड हाई एल्टीट्यूड सिस्टम बनाया जा रहा है। यह ऐसी टीम होगी जिससे यात्रा के दौरान मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी। वहीं, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में निजी सेक्टर को आकर्षित करने की जरूरत है। पेयजल सचिव नितेश कुमार झा ने नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेन्ट पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि अभी राज्य में देहरादून और हरिद्वार दो ऐसे जनपद हैं जहां पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है। जिसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि समूचे राज्य में हमें पेयजल को लेकर वृहद स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। इसके लिए आने वाले दिनों में ग्राम सभाओं का स्थापना दिवस मनाने की तैयारी की जा रही है। इसके पीछे मंतव्य यही है कि इस दिवस पर ऐसे सक्षम लोग वहां पहुँचे जो स्थानीय नाले, खालों और तालाबों को गोद ले सकें। इसके अतिरिक्त वृहद पौधरोपण किया जाए ताकि जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकें।
वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने वाली यूनिटों को सब्सिडी दिए जाने पर भी विचार
उन्होंने कहा कि जो पेयजल ज्यादा खर्च करते हैं उनके बीच स्कूली बच्चों के माध्यम से जागरूकता लाई जाए। वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने वाली यूनिटों को सब्सिडी दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। इस बात पर बल दिया गया कि एक वाटर ऑपरेटिव बोर्ड बनाया जाए जिसमें इनसे संबंधित विभागों को शामिल किया जाए ताकि योजनाओं में एकरूपता आ सकेगी। सचिव पेयजल ने ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर जैसी नदी से कोसी, गोमती जैसी सूख रही नदियों को पुनर्जीवित करने की बात कही। इसके लिए पिंडर के पानी को चैनल कर कोसी, सरयू, गोमती आदि तक पहुँचाया जाए। ऐसा देश में पहली बार करने पर विचार किया जा रहा है। इस दौरान बताया गया कि जल्द वाटर बॉटलिंग प्लांट की नीति भी लाने की तैयारी की जा रही है। वहीं, पानी की जांच स्वतः कराने पर बिल में छूट देने के प्रावधान पर भी कार्य किया जा रहे हैं। इससे हम पानी की गुणवत्ता पर फोकस कर सकेंगे।