गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर नजर आएगी उत्तराखंड की खास झांकी,आस्था और ऐतिहासिक का संगम, जानिए कैसे
12 राज्यों में से उत्तराखंड की झांकी का चयन
देहरादून, 19 जनवरी। गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर इस बार उत्तराखंड की झांकी भी नजर आएगी। जिसमें भगवान बदरीविशाल, विश्वप्रसिद्ध टिहरी डैम, हेमकुंड साहिब, ऐतिहासिक डोबरा चांठी पुल से सजी देवभूमि उत्तराखंड की झांकी को शामिल किया गया है। 12 राज्यों में से उत्तराखंड की झांकी का चयन हुआ है। जो कि पूरे प्रदेश वासियों के लिए गौरव की बात है। पिछले वर्ष भी गणतंत्र दिवस 2021 समारोह में उत्तराखंड की झांकी 'केदारखंड' को शामिल किया गया था।
13
बार
हो
चुका
है
उत्तराखंड
का
चयन
गणतंत्र
दिवस
पर
राजपथ
पर
होने
वाली
परेड
में
इस
बार
देवभूमि
उत्तराखंड
की
झांकी
नजर
आएगी।
जिसमें
सिखों
के
प्रमुख
तीर्थ
हेमकुंड
साहिब,
टिहरी
डैम,
डोबरा
चांठी
पुल
और
भगवान
बद्रीविशाल
के
मंदिर
की
भव्यता
एवं
दिव्यता
को
दर्शाया
जाएगा।
प्राप्त
जानकारी
के
अनुसार
झांकी
में
गुरुद्वारा
हेमकुंड
साहिब
को
सबसे
आगे।
इसके
बाद
टिहरी
बांध
फिर
डोबरा
चांठी
पुल
और
इसके
बाद
आस्था
के
केंद्र
भगवान
बद्रीविशाल
के
मंदिर
को
दर्शाया
जाएगा।
इस
दौरान
झांकी
के
साथ
कुमाऊं
सांस्कृतिक
लोककला
दर्पण
लोहाघाट
चंपावत
के
16
लोगों
का
सांस्कृतिक
दल
झांकी
के
साथ
चलता
नजर
आएगा।
राज्य
गठन
के
बाद
से
अब
तक
13
बार
उत्तराखंड
की
झांकी
का
चयन
हो
चुका
है।
राज्य
गठन
के
बाद
से
अब
तक
वर्ष
2003
में
फूलदेई,
2005
में
नंदा
राजजात
यात्रा,
2006
में
फूलों
की
घाटी,
2007
में
कार्बेट
नेशनल
पार्क,
2009
में
साहसिक
पर्यटन,
2010
में
कुंभ
मेला,
2014
में
जड़ी
बूटी,
2015
में
केदारनाथ
धाम
पुनर्निमाण,
2018
में
ग्रामीण
पर्यटन,
2019
में
अनासक्ति
आश्रम
कौसानी,
2021
में
केदारनाथ
धाम
की
झांकी
नजर
आ
चुकी
है।
दो
आस्था
के
प्रतीक,
दो
ऐतिहासिक
भव्यता
उत्तराखंड
की
झांकी
में
शामिल
किए
गए
सभी
का
खास
महत्व
है।
बद्रीनाथ
उत्तराखंड
की
ही
नहीं
देश
के
चारों
धामों
में
गिना
जाता
है।
जिसके
साथ
करोड़ों
लोगों
की
आस्था
जुड़ी
है।
इसके
साथ
ही
हेमकुंड
साहिब
सिख
समुदाय
से
जुड़े
लोगों
की
आस्था
का
प्रतीक
हैं।
जो
कि
चमोली
में
है।
यह
हिमालय
में
4632
मीटर
की
ऊंचाई
पर
एक
बर्फीली
झील
के
किनारे
सात
पहाड़ों
के
बीच
स्थित
है।
इस
स्थान
का
उल्लेख
गुरु
गोबिंद
सिंह
द्वारा
रचित
दसम
ग्रंथ
में
आता
है।
इस
कारण
यह
सिख
समुदाय
से
जुड़े
लोगों
के
लिए
विशेष
महत्व
रखता
है
जो
दसम
ग्रंथ
में
विश्वास
रखते
हैं।
अब
बात
डोबरा
चांठी
पुल
की।
डोबरा-चांठी
पुल
देश
का
सबसे
पहला
झूला
पुल
है,
जिसकी
लंबाई
725
मीटर
है
और
जो
भारी
वाहन
चलाने
लायक
बना
है।
समुद्रतल
से
850
मीटर
की
ऊंचाई
पर
पुल
बना
है।
टिहरी
झील
को
अधिकतम
आरएल
830
मीटर
तक
भरा
जा
सकता
है।
पुल
की
चौड़ाई
सात
मीटर
है,
जिसमें
से
साढ़े
पांच
मीटर
पर
वाहन
चलेंगे।
बाकी
के
डेढ़
मीटर
पर
पुल
के
दोनों
तरफ
75-75
सेंटीमीटर
फुटपाथ
बनाए
गए
हैं।
पुल
की
कुल
लंबाई
725
मीटर
है,
जिसमें
से
440
मीटर
झूला
पुल
है।
वहीं
260
मीटर
डोबरा
साइड
और
25
मीटर
का
एप्रोच
पुल
चांठी
की
तरफ
बनाया
गया
है।
पुल
के
दोनों
किनारों
पर
58-58
मीटर
ऊंचे
चार
टॉवर
निर्मित
हैं।
निर्माणदायी
संस्था
का
कहना
है
कि
भारी
वाहन
चलने
लायक
यह
देश
का
पहला
झूला
पुल
है।
यह
पुल
टिहरी
बांध
पर
बना
है।
इस
बार
की
झांकी
में
टिहरी
डैम
को
भी
दर्शाया
गया
है।
जो
कि
उत्तराखण्ड
राज्य
के
टिहरी
जिले
में
स्थित
है।
इसे
स्वामी
रामतीर्थ
सागर
बांध
भी
कहते
हैं।
यह
बांध
हिमालय
की
दो
महत्वपूर्ण
नदियों
पर
बना
है
जिनमें
से
एक
गंगा
नदी
की
प्रमुख
सहयोगी
नदी
भागीरथी
और
दूसरी
भीलांगना
नदी
है,
जिनके
संगम
पर
इसे
बनाया
गया
है।
टिहरी
बांध
की
ऊंचाई
261
मीटर
है
जो
इसे
विश्व
का
पांचवा
सबसे
ऊंचा
बांध
बनाती
है।
यह
भारत
का
सबसे
ऊंचा
बांध
है।
यह
भागीरथी
नदी
पर
260.5
मीटर
की
उँचाई
पर
बना
है।
टिहरी
बांध
दुनिया
का
आठवां
सबसे
बड़ा
बांध
है,
जिसका
उपयोग
सिंचाई
तथा
बिजली
पैदा
करने
के
लिए
किया
जाता
है।
इस
तरह
से
इस
बार
की
झांकी
में
उत्तराखंड
ही
नहीं
पूरे
विश्व
की
आस्था
के
प्रतीक
मंदिर
और
ऐतिहासिक
टिहरी
डैम
और
डोबरा
चांठी
पुल
को
शामिल
किया
गया
है।