अखिलेश सरकार की एक और भर्ती रद्द, यूपी में 32 हजार से ज्यादा युवाओं को सीएम योगी ने दिया बड़ा झटका
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 4 हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती निरस्त करने के बाद योगी सरकार ने सपा राज में शुरू की गईं 32 हजार अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया भी निरस्त कर दी है। इतनी बड़ी संख्या में खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के पीछे वजह निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मापदंड के विपरीत होना बताया है।
शिक्षा का अधिकार नियम (RTE) के तहत 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक अंशकालिक अनुदेशक की नियुक्ति की जा सकती है। राज्य में सपा सरकार ने 2016 में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से चल रहे 100 से कम छात्र वाले विद्यालयों में भी अनुदेशकों भर्ती प्रक्रिया शुरू करा दी। इसके तहत हर उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक अनुदेशक को 11 महीने के मानदेय पर संविदा पर रखना था।
अखिलेश
सरकार
ने
नहीं
किया
नियमों
का
पालन
अखिलेश
सरकार
ने
कार्यानुभव
शिक्षा,
शारीरिक
शिक्षा
और
खेलकूद
अनुदेशकों
की
ये
भर्ती
हजार-दो
हजार
पदों
के
लिए
नहीं
बल्कि
32,022
के
आंकड़े
में
शुरू
की
थी।
लेकिन
बीते
साल
मार्च
में
सूबे
में
आई
नई
सरकार
ने
अनुदेशकों
की
भर्ती
प्रक्रिया
पर
रोक
लगा
दी
थी।
बाद
में
ये
भी
सामने
आया
कि
सपा
सरकार
ने
भर्ती
प्रक्रिया
आरटीई
के
मापदंड
के
विपरीत
शुरू
की
थी।
जहां अनुदेशक केवल 100 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों में नियुक्त हो सकते हैं, वहीं अखिलेश सरकार ने इसे 100 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में भी शुरू करा दिया। बढ़ते-बढ़ते यह संख्या 30 हजार से भी ज्यादा हो गई।
चार
हजार
उर्दू
शिक्षकों
की
भर्ती
भी
रुकी
थी
योगी
सरकार
ने
अक्टूबर
में
ही
चार
हजार
उर्दू
शिक्षकों
की
भर्ती
प्रक्रिया
भी
निरस्त
कर
दी
थी।
उसमें
भी
अखिलेश
सरकार
की
खामियां
गिनाईं
थीं।
वहीं,
अब
बड़ी
संख्या
में
अनुदेशकों
की
भर्ती
प्रक्रिया
निरस्त
होने
के
बाद
यूपी
में
अभ्यर्थियों
में
मायूसी
छा
गई
है।
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