यूपी: 6 पुलिसवालों ने मिलकर व्यापारी को लुटा, कोर्ट ने कहा- जेल में डालो इनको
यूपी में 6 पुलिस वालों ने एक व्यापारी के साथ लूटपाट की और फिर उसे गलत धाराओं में फंसाकर जेल में डाल दिया। कोर्ट ने आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
कानपुर। कानून का पाठ पढ़ाने वाली और लोगों के जान-माल की रक्षा करने वाली यूपी पुलिस अब लूटपाट और डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देने पर उतर आई हैं। ऐसा ही एक मामला कानपुर देहात में देखने को मिला जहां पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग के दौरान सर्राफ व्यवसायी से लूटपाट की गई। इतना ही नहीं पुलिस ने सर्राफ व्यवसायी को फर्जी मुठभेड़ दिखाकर जेल भेज दिया। जिसके बाद व्यवसायी के परिजनों ने कानपुर देहात के न्यायालय की शरण ली। कोर्ट ने वर्ष 2005 में राजपुर के तत्कालीन एसओ सहित 6 पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारण्ट जारी कर दिया था। जिसके बाद दोषी पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। हाईकोर्ट से स्टे खारिज होने के बाद एक फिर से कोर्ट ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारण्ट जारी कर गिरफ्तार करने के आदेश जारी किया है।
क्या है मामला?
कानपुर देहात के राजपुर थाने के तत्कालीन एसओ और वर्तमान में कानपुर नगर के रायपुरवा कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार मिश्रा ने उपनिरीक्षक दलवीर सिंह सहित चार सिपाहियों के साथ इटावा के लखना के विपिन महेश्वरी, संजीव मिश्रा सहित 7 सर्राफ व्यवसायी को वर्ष 2002 के 29 जुलाई को वाहन चेकिंग के दौरान रोका। जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने सर्राफा व्यवसायियों के साथ लूटपाट की। पुलिस ने सर्राफा व्यवसायियों के 76 हजार 5 सौ रुपये, सोने की 6 अगूंठी और 1 चांदी की तोड़िया लूट ली थी। लूटपाट करने के बाद एसओ संजय कुमार मिश्रा के इशारे पर पुलिस कर्मियों ने उन्हे हवालात में डाल दिया। जिसके बाद विपिन महेश्वरी के पिता ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया।
पुलिस ने चरस के केस में फंसाया
मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद अपने आप को फंसता देख पुलिस ने सर्राफ व्यवसायियों को 30 जुलाई की रात्रि चरस सहित 5 तमंचे बरामद दिखा जेल भेज दिया। जिसके बाद सर्राफा व्यवसायियों के परिजनों ने न्याय के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने न्यायाधीश ने एसओ सहित सभी 6 पुलिस कर्मियों के खिलाफ धारा 395, 397 और 347 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन विवेचना में एसओ सहित सभी 6 पुलिस कर्मियों को बचा दिया। जिसके बाद कोर्ट ने पुलिसया जांच पर सवालिया निशान लगाते हुए एसओ सहित सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारण्ट जारी कर दिया।
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हाईकोर्ट गए पुलिसवाले
गिरफ्तारी से बचने के लिए सभी दोषी पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट से स्टे ले आए। जनवरी 2017 में हाईकोर्ट से स्टे खारिज होने के बाद एक फिर आज डकैती कोर्ट के न्यायाधीश ने गैर जमानती वारण्ट जारी करते हुए राजपुर थाने के तत्कालीन एसओ और वर्तमान में कानपुर नगर के रायपुरवा कोतवाली निरीक्षक संजय कुमार मिश्रा, एसआई दलवीर सिंह, हेड कास्टेबल जगदीश बाबू, कास्टेबल अरविन्द कुमार, राजकुमार और हाकिम सिंह को गिरफतार करने के आदेश जारी किए हैं।