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भाजपा के लिए नाक का सवाल बना फूलपुर और गोरखपुर, रविवार को मतदान

By अमरीश मनीष शुक्ला
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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की जमीन तैयार हो चुकी है। उपचुनाव के मैदान में हर दल ने अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है । रविवार सुबह से इन दोनों जगहों पर मतदान होगा और प्रत्याशियों का भविष्य ईवीएम में कैद हो जाएगा। हर दल व प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहा है।

जनता टटोल रही नब्ज

जनता टटोल रही नब्ज

यह तो साफ है कि फूलपुर लोकसभा और गोरखपुर लोकसभा भाजपा के लिए नाक का सवाल है। यह दोनों सीटें भाजपा के खाते में थी और अब इन पर उपचुनाव हो रहे हैं। गोरखपुर में जहां लंबे समय से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कमल खिलाते रहे हैं। वहीं, केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले लोकसभा चुनाव में फूलपुर में कमल खिलाया था। ऐसे में यह दोनों भाजपा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और इनकी जीत आने वाले आम लोकसभा चुनाव में एक संदेश के तौर अहम भूमिका निभाएंगी । इसके लिये भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी और खुद मुख्यमंत्री योगी दो बार इलाहाबाद प्रचार करने आये। पर अब राजनीतिज्ञ की तरह मतदाता भी दलों की नब्ज टटोल रहा है वह दावों और भाषणों की बजाय जमीनी हकीकत को परख रहा है और यह संभव है कि परिणाम कुछ चौंकाने वाला हो जाये।

इन पर नजर

इन पर नजर

फिलहाल फूलपुर लोकसभा से इस बार 22 प्रत्याशी मैदान में है, जिनमें भाजपा के कौशलेंद्र पटेल, सपा के नागेंद्र पटेल, कांग्रेस के मनीष मिश्रा व निर्दलीय बाहुबली अतीक अहमद पर सबकी नजर है। जबकि गोरखपुर में भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला, सपा के इंजीनियर प्रवीण निषाद और कांग्रेस की डॉक्टर सुरहिता चैटर्जी करीम गोरखपुर में हार जीत तय करने वाले प्रमुख प्रत्याशी हैं। इन दोनों सीटों पर जातिगत गणित हावी है और उसी के अनुसार रिजल्ट भी आयेगा। गोरखपुर में तो भाजपा की राह फूलपुर की अपेक्षा आसान नजर आती है, लेकिन रिकार्ड मतों से फूलपुर में खिलने वाला कमल इस बार भारी दबाव में है और मतों की संख्या घटनी तो तय ही है परिणाम नजदीकी होने के आसार भी दिखने लगे हैं

फूलपुर की सियासी जमीन

फूलपुर की सियासी जमीन

उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा में 19 लाख 63 हजार 543 वोटर इस बार 22 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इन 22 प्रत्याशियों में भी भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल, सपा के नागेंद्र प्रताप पटेल, कांग्रेस के मनीष मिश्रा और निर्दलीय अतीक अहमद ही मुख्य लड़ाई में अब नजर आ रहे हैं। भाजपा और सपा ने फूलपुर के सर्वाधिक मतदाता संख्या वाले पटेल बिरादरी का कैंडिडेट उतारा हैं। फूलपुर में 3 लाख 25 हजार पटेल मतदाता हैं और अब इन में से भाजपा-सपा कितने वोट अपने पक्ष में मोड़ पाएंगे यह देखने वाला विषय होगा।

क्या है जातिगत आंकड़ा

क्या है जातिगत आंकड़ा

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं जिनकी संख्या 3 लाख 25 हज़ार है। दूसरे नंबर पर यादव मतदाता हैं, इनकी संख्या 2 लाख 80 हजार है। जबकि तीसरे नंबर पर इस बार ब्राह्मण मतदाता होंगे, जिनकी संख्या 2 लाख 75 हजार हो गई है। वहीं अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 2 लाख 60 हजार, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2 लाख 50 हजार है। रुख परिवर्तन करने वालों में से शामिल कायस्थ समाज के मतदाताओं की संख्या मौजूदा समय में 2 लाख 7 हजार पार कद चुकी है, जबकि वैश्य मतदाताओं की संख्या 1 लाख 11 हजार है। वही कुशवाहा और मौर्य भी फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में एक लाख की मतदाता संख्या रखते हैं। जबकि पाल और प्रजापति भी 75 हजार से ऊपर की संख्या में नजर आने लगे हैं । हालांकि सबसे कम संख्या मतदाता संख्या में क्षत्रिय है जो लगभग 5000 के आसपास मौजूद हैं । इसके अलावा इनसे भी कम संख्या में बंगाली, पंजाबी, उत्तराखंडी, सिंधी, इसाई आदि मतदाता भी फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत गणित सेट करते हैं।

मजेदार समीकरण

मजेदार समीकरण

भाजपा का शहरी समीकरण उसके अनुकूल है। क्योंकि शहर उत्तरी विधान सभा व पश्चिमी विधान सभा, फूलपुर में जुड़ी है और यहां सबसे जादा कायस्थ और ब्राम्हण वोटर हैं। इनके साथ मुस्लिम आबादी का भी बड़ा हिस्सा है। चूंकि कायस्थ और ब्राम्हण वोट भाजपा के परंपरागत वोटर हो चुके हैं और मुस्लिम वोट अतीक के चलते बिखर रहा है तो शहर में भाजपा की बढ़त तय है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहले ही साबित कर दिया है कि वह किस तरह से वोटों का ध्रुवीकरण कर सकती है । अब मौजूदा समय में ब्राम्हण व कुशवाहा, मौर्य, कायस्थ भाजपा के परंपरागत वोटर नजर आ रहे हैं और अगर कहीं ग्रामीण इलाकों में कौशलेंद्र पटेल के जाति का आंकड़ा सही बैठ गया तो पटेल बिरादरी के सवा तीन लाख वोटों में से एक बड़ी संख्या कमल खिलाने में कारगर साबित होगी ।

सपा के लिए क्या है मौका

सपा के लिए क्या है मौका

चुनाव प्रचार के आखिरी दिन जिस तरह से अखिलेश यादव के रोड शो में भीड़ उमड़ी उसे देखकर यह तो साबित हो गया कि यह लड़ाई शुरुआत में एकतरफा नहीं होगी।। रोड शो में सपाइयों के साथ बसपा समर्थकों की मौजूदगी सपाइयों में जान फूंकने का काम कर रही थी। ऐसे में सपा का वोट कितना अधिक बढ़ सकता है और भाजपा का वोट कितना बिगड़ सकता है इस पर नजर आखरी समय तक रहेगी क्योंकि फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सपा ने 4 बार जीत हासिल की है और पिछले रिकार्डो में लगातार पटेल बिरादरी के कैंडिडेट जीत हासिल कर रहे हैं । ऐसे में अब जब बहुजन समाज पार्टी का सपा को समर्थन मिल गया है तो सपा के परंपरागत मुस्लिम वोट, यादव वोट केसा हाथ दलित वोट एक समीकरण बनाएंगे, लेकिन यह भी कटुसत्य है कि अतीक अहमद मुस्लिम वोटों को काटकर जरूर सपा को नुकसान पहुंचाएंगे।

कांग्रेस का ब्राम्हण कार्ड

कांग्रेस का ब्राम्हण कार्ड

इस बार लोकसभा के उपचुनाव में अगर सबसे मजबूत प्रत्याशी देखा जाए तो वह कांग्रेस के मनीष मिश्रा है। 2 लाख 75 हजार ब्राह्मणों की आबादी वाला यह पूरा इलाका एक तौर से ब्राम्हण राजनीति के इर्द-गिर्द घूमने लगा है। खासकर तब जब शहर उत्तरी और पश्चिमी फूलपुर लोकसभा में शामिल हो गया है। ऐसे में एक बहुत बड़े कांग्रेस दिग्गज जे एन मिश्रा की बेटे मनीष मिश्रा को टिकट देकर कांग्रेस ने पुराने कांग्रेसियों को खुलकर सामने आने और ब्राम्हण प्रत्याशी के नाम पर पुराने परंपरागत वोट को फिर से अपनी ओर मोड़ने का मास्टर कार्ड चला है, लेकिन मुस्लिम और ब्राम्हण जो सामान्य तौर पर कांग्रेस को वोट करते रहे हैं क्या वो भाजपा के मोह और सपा बसपा के दबाव से निकल कर साथ रह पायेंगे? यह तो है कि शहर का पढ़ा-लिखा तबका कांग्रेस को लगातार वोट करता रहा है और शहर उत्तरी में हमेशा से ही कांग्रेस का विधायक रहा है । ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को मिलने वाली वोटों की संख्या सपा और भाजपा की गणित को प्रभावित करेगी, लेकिन इसकी हद सीमित होगी।

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English summary
Voting in Phulpur, Gorakhpur and Araria by elections in Allahabad.
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