एक्सपायर हो चुकी दवाओं की नई पैकिंग कर 8 साल से बेच रहे थे 'जहर', पकड़े गए
वाराणसी। नकली दवाओं के जरिए मरीजों की जान से खिलवाड़ का एक एक बेहद अमानवीय मामला सामने आया है। वाराणसी की स्पेशल टास्क फोर्स ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो एक्सपायर हो चुकी और नॉट फटर सेल की दवाओं की रिपैकिंग और रीसैंपलिंग कर दोबारा मार्केट में बेंचते थे। ये दवाएं पूर्वांचल की दवा मंडी सप्तसागर नए MRP और बैच नंबर के साथ मार्केट में खरीदी बेची जा रही थीं जिसकी खबर किसी को नहीं थी।
8
सालों
से
चला
रहे
था
ये
काला
कारनामा
एसटीएफ
के
डिप्टी
एसपी
विनोद
कुमार
सिंह
ने
स्वास्थ
विभाग
की
टीम
के
साथ
जब
सप्तसागर
दवा
मार्केट
में
छापेमारी
की
तो
वहाँ
हड़कंप
मचा
गया।
पुलिस
को
मुखबिरों
से
सूचना
मिली
थी
कि
कुछ
लोग
जीवन
रक्षक
दवाओं
की
रिसैम्पलिंग
कर
होलसेल
मार्केट
में
बेंचते
हैं।
इस
बात
की
खबर
ना
ही
दुकानदारों
को
होती
है
और
ना
ही
पुलिस
को।
ऐसे
में
अचानक
की
छापेमारी
में
थाना
आदमपुर
के
मुकीमगंज,
राजघाट
के
रहने
वाले
प्रशांत
केशरी
और
संदीप
गुप्ता
के
घर
पर
छापेमारी
की
गई
तो
भारी
मात्रा
में
रीपैक
की
हुई
दवाओं
के
आलावा
एमआरपी
बैच,
मोहर
समेत
कई
अन्य
सामान
के
साथ
ही
10
लाख
रुपए
के
सरकारी
व
नॉट
फॉर
सेल
के
दवा
सैंपल
सहित
पैकेजिंग
मशीन
व
अन्य
सामान
भी
बरामद
किया
गया।
वहीं
पकड़े
गए
आरोपी
प्रशांत
व
उसके
साथी
ने
पूछताछ
में
बताया
कि
बीते
8
सालों
से
इस
गोरखधंधे
में
शामिल
थे।
पूर्वांचल सहित अन्य जिलों में फैला है गिरोह
एसटीएफ के ऑफिसर्स की मानें तो दवा के काले कारोबार का यह खेल पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों तक फैला हुआ है जिसकी जड़ें तलाशने के लिए टीम जांच कर रही है पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर रही है। पूछताछ में बताया है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों व एमआर से संपर्क करके यह लोग लंबे वक्त से नॉट फॉर सेल की दवाओं को लेकर उसकी पैकिंग करने के बाद इसे मार्केट में बेचा करते थे। दवाओं की रिचेकिंग का काम आशीष नाम का शख्स कराता था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इसकी भनक ना ही स्वास्थ्य विभाग को लगी और ना ही पुलिस महकमे को।
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