उत्तर प्रदेश का चुनावी रंगमंच : लीक से हटकर सामने आए तीन नये किरदार
लखनऊ, 06 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के चुनावी रंगमंच पर तीन नये किरदार उभरे हैं। इनकी भूमिका लीक से हट कर है, इसलिए जिक्र जरूरी है। कंगना रनौत ने कहा है वे उत्तर प्रदेश के चुनाव में राष्ट्रवादियों का प्रचार करेंगी। क्या वे भाजपा के लिए वोट मांगेंगी ?
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू जो कल तक मोदी-योगी की तारीफ कर रहीं थी अब उन्होंने तिलोई (अमेठी) से चुनाव लड़ने के लिए अखिलेश यादव से आशीर्वाद मांगा है। नीतीश कुमार के निकट सहयोगी केसी त्यागी के पुत्र अमरीश त्यागी भाजपा में आ गये हैं। वे चुनावी रणनीतिकार हैं और उनके गाजियाबाद इलाके की किसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। ये तीनों किरदार बिल्कुल नये हैं जिनकी राजनीतिक भूमिका की परख अभी बाकी है। लेकिन अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण ये चर्चा में हैं।
क्या भाजपा के लिए प्रचार करेंगी कंगना ?
कंगना रनौत हिंदी सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री हैं। सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए उन्होंने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। पद्म श्री से सम्मानित हैं। लेकिन उनका एक दूसरा रूप भी है। फिल्मी हस्तियों से पंगा लेना और बयानों से विवाद पैदा करना भी उनकी एक बड़ी पहचान है। कंगना कहती हैं, "मुझे खुद को राष्ट्रवादी कहे जाने पर गर्व महसूस होता है। क्या राष्ट्रवादी होना शर्म की बात है ? मेरे बयानों से उन्हें ही तकलीफ होती है जिनके मन में चोर होता है। जो राष्ट्रभक्त हैं उन्हें मेरी बात सही लगती है।" अगर कंगना राष्ट्रभक्त हैं तो क्या भाजपा के नजदीक हैं? क्या वे उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगी ? कंगना ने ब्रज में जो बयान दिया है उस पर भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यानी भाजपा अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है। कंगना ने अगर राष्ट्रवादियों का प्रचार किया तो उत्तर उत्तर प्रदेश चुनाव पर क्या असर पड़ेगा ? कुछ लोग कंगना को साहसी कहते हैं तो कुछ मुंहफट कहते हैं। जो बोलती हैं डंके की चोट पर बोलती हैं। नफा-नुकसान की परवाह नहीं करती। कुछ जानकारों का कहना है कि अगर कंगना यूपी के चुनाव प्रचार में उतरी तो मतों के ध्रुवीकरण की प्रक्रिया कई गुनी तेज हो जाएगी।
कंगना के बयान पर भाजपा खामोश
कंगना ने स्पष्ट किया है कि अभी वे किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। वे कहती हैं, "अगर मैं देश के बारे में कुछ बोलती हूं तो इसका ये मतलब नहीं कि पॉलिटिशियन हूं। मैं जो भी कहती हूं वह एक नागरिक की हैसियत से कहती हूं। मैं एक अभिनेत्री के रूप में ही खुश हूं। अगर लोग मेरा समर्थन करेंगे तो मैं राजनीति में आना पसंद करूंगी।" कंगना का राष्ट्रवाद उग्र राष्ट्रवाद का प्रतीक है। कुछ दिनों पहले उन्होंने मुम्बई हमले में शहीदों को याद करते हुए लिखा था, गद्दारों को कभी माफ नहीं करना। ऐसी घटनाओं में अंदरुनी गद्दारों का हाथ होता है। देश के जयचंद साजिश रचते हैं और विघटनकारी ताकतों की मदद करते हैं। मुझे जान से मारने की धमकी दी जा रही है। लेकिन मैं इससे डरती नहीं। मैं ऐसे लोगों के खिलाफ बोलती रहूंगी।" कंगना रनौत के जोशीले अंदाज में अगर लाभ की संभावना है तो उसमें नुकसान की आशंका भी छिपी है। कब कौन से बयान पर हल्ला मच जाए, कहना मुश्किल है। वैसे कंगना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कई बार सार्वजनिक रूप से तारीफ कर चुकी हैं। दो महीना पहले इस बात की चर्चा चली थी कि भाजपा, कंगना को मंडी लोकसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने वाली है। लेकिन अंत में भाजपा ने अपना इरादा बदल दिया था।
अपर्णा यादव का यूटर्न
अपर्णा यादव अखिलेश यादव के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी हैं। 2014 की बात है। उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी। लेकिन अपर्णा यादव का नजरिया सपा की लाइन से बिल्कुल अलग था। उन्होंने नरेन्द्र मोदी को रोल मॉडल बताया और उनकी तुलना महात्मा गांधी से कर दी थी। फरवरी 2019 में 16वीं लोकसभा के अंतिम दिन जब मुलायम सिंह यादव ने नरेन्द्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना दी थी तब अपर्णा यादव ने उसका पुरजोर समर्थन किया था। इसके अलावा अपर्णा ने योगी आदित्यनाथ को कोरोना काल में बेहतर काम करने वाला मुख्यमंत्री बताया था। वे सपा में रह कर भी भाजपा की नीतियों की तारीफ करती थीं। उनकी अपनी अलग राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह के दखल के बाद अपर्णा को लखनऊ कैंट सीट से सपा उम्मीदवार बनाया गया था। उस समय अखिलेश बनाम शिवपाल की लड़ाई चरम पर थी। मुलायम सिंह यादव ने उस चुनाव में सिर्फ दो सीटों पर प्रचार किया था। एक अपर्णा के लिए और दूसरा शिवपाल के लिए। मुलायम सिंह ने अपनी प्रतिष्ठा और बहू के नाम पर वोट मांगा था। लेकिन वे जीत नहीं पायी थीं। भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने अपर्णा को हरा दिया था। रीता बहुगुणा ने सांसद चुने जाने के बाद जब विधानसभा सीट छोड़ दी तो यहां उपचुनाव हुआ। अखिलेश यादव ने उपचुनाव में अपर्णा का टिकट काट दिया था। कहा जाता है कि पारिवारिक झगड़े की वजह से दोनों के रिश्तों में एक खायी है। अब अपर्णा सपा के टिकट पर अमेठी के तिलोई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। यह अखिलेश यादव की रजामंदी के बिना संभव नहीं है। इसलिए अब वे अखिलेश यादव को भैया कह कर उन्हें समाजवाद का दूसरा रूप बता रही हैं।
नीतीश के करीबी नेता के पुत्र भाजपा में
नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन वे अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को कायम रखने के लिए हमेशा सतर्क रहते हैं। वे भाजपा को बार-बार अगाह करते रहते हैं कि धर्मनिरपेक्षता से कभी समझौता नहीं करेंगे। केसी त्यागी जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं और नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में एक हैं। केसी त्यागी कई बार अपने दलीय दायित्व को पूरा करने के लिए भाजपा को चेतावनी भी देते रहे हैं। लेकिन अब केसी त्यागी के पुत्र अमरीश त्यागी भाजपा के नेता बन गये हैं। वे गाजियाबाद में रहते हैं और वहां से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी वोटर निर्णायक हैं। जाट और त्यागी वोटरों के मेल भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन और मजबूत करना चाहती है। अमरीश त्यागी चुनावी रणनीतिकार हैं। उन्होंने काफी होमवर्क कर के ये फैसला लिया है। चूंकि नीतीश कुमार राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ हैं इसलिए जदयू में उनके लिए शायद ही गुंजाइश थी। वैसे भी उत्तर प्रदेश में जदयू का कोई आधार नहीं है। इसलिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरा करने के लिए वे भाजपा में चले गये। अगर चुनाव में अमरीश त्यागी योगी आदित्यनाथ की 'फायर ब्रांड' वाली राजनीति का समर्थन करते हैं तो केसी त्यागी के बहाने नीतीश कुमार पर निशाना साधा जा सकता है।