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यूपी विधानसभा चुनाव 2017: साइकिल पर सवार अखिलेश, बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?

चुनाव आयोग से सपा की 'जंग' जीतने के बाद अखिलेश यादव खुद यूपी चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन की पहल शुरू की है। पढ़िए खास रिपोर्ट...

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में नेतृत्व को लेकर चल रहा झगड़ा सुलझ गया है। चुनाव आयोग ने पिता मुलायम सिंह यादव की जगह पुत्र अखिलेश यादव को ही सपा का नेतृत्व सौंपा है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद जहां अखिलेश यादव सीधे तौर समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा बन गए हैं। वहीं चुनाव आयोग के फैसले से विपक्षी दलों खासकर भाजपा की रणनीति को करारा झटका लगा है। बीजेपी की उम्मीद थी कि सपा में झगड़े से उनकी राह यूपी में थोड़ी आसान होगी लेकिन इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। बीएसपी भी सपना संजो रखी है कि इस बार पार्टी यूपी में बड़ा कमाल कर सकती है, हालांकि उसे कितनी कामयाबी मिलेगी देखना दिलचस्प होगा।

akhilesh यूपी चुनाव: साइकिल पर सवार अखिलेश, BJP के लिए खतरे की घंटी?

अखिलेश ने यूपी के लिए बनाई महागठबंधन की रणनीति

सपा में नेतृत्व की जंग चुनाव आयोग से जीतने के बाद अखिलेश यादव खुद यूपी चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन की पहल शुरू की है। इसके लिए अखिलेश यादव ने कांग्रेस और आरएलडी से बातचीत भी शुरू कर दी है। अगर ये महागठबंधन सफल हो गया तो बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी दोनों के लिए यूपी का चुनावी मुकाबला बेहद कठिन हो जाएगा। अपनों की लड़ाई में मैदान मार कर निकले अखिलेश यादव कैसे विरोधियों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं, पढ़िए खास रिपोर्ट...

पार्टी का नाम और चिन्ह जीतने का अखिलेश को मिलेगा फायदा

पार्टी का नाम और चिन्ह जीतने का अखिलेश को मिलेगा फायदा

अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा बन गए हैं इससे अखिलेश समर्थक तो खुश हैं ही साथ ही वह तबका भी बेहद खुश है जो सपा का हमेशा समर्थक रहा है। समाजवादी पार्टी का अपना एक वोटबैंक है जो पार्टी में अभी तक चल रहे विवाद की वजह से परेशान था कि आखिर चुनाव में वो पिता मुलायम सिंह यादव के साथ जाए या फिर बेटे अखिलेश यादव का समर्थन करे। हालांकि अब चुनाव आयोग ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। ऐसे में सपा के समर्थन वाले मतदाताओं ने राहत की सांस ली है। खास तौर से यादव और मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से सपा का समर्थक माना जाता रहा है। हालांकि पिता-पुत्र की लड़ाई के दौरान इस वोटबैंक में सेंध की उम्मीद बीजेपी और बीएसपी को थी लेकिन अब अखिलेश यादव सपा का नेतृत्व करेंगे तो इस वोट बैंक में सेंध की उम्मीद कम ही है।

'महागठबंधन' से बढ़ेगी बीजेपी-बीएसपी की मुश्किलें...

'महागठबंधन' से बढ़ेगी बीजेपी-बीएसपी की मुश्किलें...

सपा का सर्वेसर्वा बनने के बाद अखिलेश यादव ने सांप्रदायिक ताकतों को यूपी की सत्ता में आने से रोकने के लिए महागठबंधन की रणनीति बनाई है। इसके लिए कांग्रेस लगभग राजी है, आरएलडी से भी बातचीत का दौर जारी है। इसी के साथ बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन चुनाव मैदान में नजर आ सकता है। बिहार में जेडीयू ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। जिसका फायदा चुनाव में मिला था और महागठबंधन ने बीजेपी को झटका देते हुए बिहार की सत्ता हासिल की थी। यूपी में भी अखिलेश यादव के नेतृत्व में महागठबंधन का चुनाव में उतरना तय है। अखिलेश यादव का ये कदम कहीं न कहीं बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 71 लोकसभा सीटें अपने नाम की थी। पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भी पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन करेगी, हालांकि सपा-कांग्रेस के मिलने से बीजेपी की रणनीति को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। वहीं यूपी की सत्ता वापस पाने की उम्मीद लगाए बैठी 'बहन जी' बसपा सुप्रीमो मायावती भी अखिलेश के दांव से कहीं न कहीं मुश्किल में नजर आ रही हैं।

अखिलेश यादव की साफ छवि

अखिलेश यादव की साफ छवि

अखिलेश यादव ने जिस तरह से पिछले पांच साल तक यूपी की सत्ता संभाली उस में उनके फैसलों पर शायद ही किसी सवाल उठाए हों। एक युवा रणनीतिकार की तरह अखिलेश यादव ने अपने फैसले लिए। इस दौरान जहां जरूरत हुई उन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ भी गए। चाहे अपनी सरकार से दागी मंत्रियों को निकाले जाने का मुद्दा हो या फिर सरकार का सीएम रहते हुए विकास कार्यों पर जोर, हर जगह अखिलेश यादव ने कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। अखिलेश यादव की छवि कहीं न कहीं बीजेपी और बीएसपी के लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। अभी तक दोनों ही पार्टियों को उम्मीद थी कि पार्टी में फूट है इसका फायदा उन्हें मिलेगा। उन्हें लग रहा था कि प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी के बीच ही जंग देखने को मिलेगी। हालांकि अब ये मुकाबला बहुकोणीय होता दिख रहा है। महागठबंधन के बाद कहीं न कहीं बीजेपी और बीएसपी को अपनी रणनीति पर नए सिरे से सोचने की जरूरत होगी।

विकास का मुद्दा उठा कर अखिलेश करेंगे विरोधियों को चित

विकास का मुद्दा उठा कर अखिलेश करेंगे विरोधियों को चित

अखिलेश यादव अपने मुख्यमंत्री रहने के दौरान किए गए विकास कार्यों से भी विरोधियों को चित करने की कोशिश करेंगे। ये तय है कि उनके नेतृत्व में सपा साफ छवि और विकास के किए गए कार्यों का मुद्दा जनता के बीच उठाएगी। अखिलेश सरकार ने सपा के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' की जबरदस्त ब्रांडिंग की थी। उन्होंने प्रदेशभर में कई इलाकों में साइकिल ट्रैक बनवाया। इटावा में लॉयन सफारी साइकिल हाइवे बनवाया। साइक्लिंग का का इंटरनेशन इवेंट कराया। इसके साथ-साथ अखिलेश सरकार में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य पूरा हुआ। यूपी सीएम अखिलेश यादव का ये ड्रीम प्रोजेक्ट था। 302 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य महज 22 महीने में पूरा हो गया। इस एक्सप्रेस-वे पर भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट भी उतारे गए।

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English summary
Uttar Pradesh election 2017: Akhilesh yadav gets SP symbol cycle How might impact analysis.
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