UP Madrasa: क्या मदरसों में हो सकता है दूसरे धर्मों के बच्चों का प्रवेश, जानिए बोर्ड ने क्या दिया जवाब
UP Madrasa Education: यूपी की योगी सरकार ने हाल ही में यूपी में मदरसों का सर्वे कराया था जिसमें लगभग आठ हजार गैर मान्यताप्राप्त मदरसों के बारे में जानकारी मिली थी। यूपी में मदरसों को लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
UP Madrasa Education: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने के बाद से ही मदरसों में शिक्षा का मामला गरमाया हुआ है। सरकार ने अक्टूबर और नवंबर में मदरसों का सर्वे भी कराया था जिसमें लगभग आठ हजार मदरसे ऐसे मिले थे जिन्होंने अपनी फंडिंग के स्रोत की जानकारी नहीं दी थी। हालांकि सरकार ने इस मामले में मदरसों से जवाब मांगा है। वहीं दूसरी ओर अब दूसरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। क्या मदरसों में दूसरे धर्मों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है या नहीं। इसको लेकर मदरसा शिक्षा बोर्ड की तरफ से जवाब आया है।
उत्तर प्रदेश राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि हर धर्म के छात्रों को राज्य के मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा,
मदरसे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ हर विषय में आधुनिक शिक्षा प्रदान करते हैं। अगर मुसलमान संस्कृत स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, तो अन्य धर्मों के छात्र मदरसों में शिक्षा क्यों नहीं प्राप्त कर सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि किसी को धर्म के आधार पर छात्रों के बीच भेदभाव करना चाहिए। मैं भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मांगी है जानकारी
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दरअसल, जावेद का यह बयान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के एक नोटिस के जवाब में था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के एक पत्र में गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी सरकारी वित्त पोषित एवं मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच के लिए कहा गया है। पूछताछ में बच्चों का भौतिक सत्यापन शामिल होना चाहिए। जांच के बाद, ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाना चाहिए।
अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग का निर्देश
पत्र में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने और तत्काल प्रभाव से औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी सभी बच्चों को स्कूलों में प्रवेश देने का भी निर्देश दिया गया है। पत्र में रिकॉर्ड और आगे की उचित कार्रवाई के लिए 30 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) की प्रति भी मांगी गई है।
डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा,
पारंपरिक शिक्षा के एक अमूल्य साधन के रूप में मदरसों ने समाज के दलित वर्गों के बीच साक्षरता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छात्र किसी भी धर्म के हो सकते हैं। राज्य में कुछ मदरसे हैं जहां संस्कृत और अन्य भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। मदरसों में विज्ञान, गणित और अन्य विषय भी पढ़ाए जा रहे हैं।
योगी सरकार ने करवाया था मदरसों का सर्वे
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कुछ दिनों पहले ही मदरसों का सर्वे कराया था जिसमें जानकारी आई थी कि यूपी में लगभग 8 हजार मदरसे मिले हैं जो गैर मान्यता प्राप्त हैं। सर्वे के पूरा होने के बाद अब सरकार की नजर उन मदरसों पर है जिन्होंने अपने फंडिंग के स्रोत की सही जानकारी नहीं दी है। इसको लेकर यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री ने अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी हासिल कर उचित जानकारी देने की हिदायत दी गई है।