योगी सरकार ने इस फैसले को दी मंजूरी तो और बढ़ेगी शिक्षामित्रों की टेंशन
नई दिल्ली। शिक्षामित्रों के समायोजन का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। शिक्षामित्र लगातार इस मामले को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच योगी सरकार के सामने अहम प्रस्ताव सामने आया है जिसका असर सीधे तौर पर शिक्षामित्रों पर होगा। अगर योगी सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो इससे शिक्षामित्रों की परेशानी बढ़ सकती है। आखिर क्या है मामला...
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योगी सरकार के सामने प्रस्ताव
योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने जो प्रस्ताव भेजा गया है उसके मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती के लिए अब टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करने वाले अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा का प्रस्ताव रखा गया है, जिसके बाद ही चुने गए शिक्षकों की मेरिट लिस्ट तैयार होगी। इस मेरिट लिस्ट में अभ्यर्थियों के शैक्षिक गुणांक और लिखित परीक्षा के प्राप्तांक को जोड़ा जाएगा। ये नियम शिक्षामित्रों पर भी लागू होगा।
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शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रस्ताव
मामले में जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि सरकार ने शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में अधिकतम 25 अंक तक का वेटेज देने पर सहमति जताई है, हालांकि ये पर्याप्त नहीं है। फिलहाल सरकार के सामने आए लिखित परीक्षा के प्रस्ताव को अगर मंजूरी दी जाती है तो इससे शिक्षामित्रों की परेशानी जरूर बढ़ेगी। ये कदम उनके लिए परेशानी बढ़ाने वाला है।
शिक्षामित्रों के लिए भी लिखित परीक्षा का प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक अभी इस प्रस्ताव को योगी कैबिनेट के सामने भेजा गया है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद टीईटी पास करने वाले शिक्षामित्रों को भी लिखित परीक्षा देनी होगी। बता दें कि राइट टू एजुकेशन कानून लागू होने के बाद पहली से 8वीं तक के शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है।
कैबिनेट की मंजूरी का है इंतजार
फिलहाल अभी इस मामले पर कैबिनेट का फैसला नहीं हुआ, अगर योगी कैबिनेट इसे मंजूरी देती है तो इससे शिक्षामित्रों को लिखित परीक्षा भी देनी होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को अहम फैसला सुनाते हुए शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। इस फैसले के बाद 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को दो साल के अंदर टीईटी एग्जाम पास करना होगा। इसके लिए उन्हें दो साल में दो मौके मिलेंगे और उम्र के नियमों में भी छूट दी जाएगी।
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