अखिलेश यादव को नहीं मिलती 'साइकिल' तो डूब जाते करोड़ों
दुकानदारों ने चुनाव-चिन्ह साइकिल के हिसाब से प्रचार सामग्री तैयार की हुई थी, जिस पर अगर वो सीज हो जाती तो इन्हें करोड़ों का नुकसान होता।
लखनऊ। 'साइकिल' पर अब अखिलेश यादव का अधिकार है, साइकिल अब चुनावी दंगल में दौड़ेगी या पंचर होगी, ये तो प्रदेश की जनता तय करेगी लेकिन यहां आपको हम एक खास बताते हैं कि साइकल चुनाव चिह्न सीज ना हो इसके लिए लाखों लोग दुआएं मांग रहे थे ।
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क्योंकि अगर ये चिह्न सीज होता तो केवल नुकसान सपा पार्टी, अखिलेश या मुलायम को नहीं होता बल्कि इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता जिन्होंने इस साइकिल के पीछे अपने करोड़ों रूपए दांव पर लगाए हैं।
प्रचार सामग्री तैयार करने में करोड़ों रूपए खर्च
हम बात कर रहे हैं सपा कार्यालय के बाहर प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदारों की, जिन्होंने प्रचार सामग्री तैयार करने में करोड़ों रूपए खर्च किए हैं। जिनकी सांसे चुनाव आयोग के फैसले के पहले अटकी हुई थीं। इन दुकानदारों ने चुनाव-चिन्ह साइकिल के हिसाब से प्रचार सामग्री तैयार की हुई थी, जिस पर अगर वो सीज हो जाती तो इन्हें करोड़ों का नुकसान होता, जो कि इन सब के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं होता। पिलहाल अखिलेश यादव के पक्ष में साइकिल निशान आने के बाद यह तय हो गया है कि इनका कारोबार खराब नहीं होगा।
'साइकिल' पर अखिलेश का अधिकार
आपको बता दें कि सोमवार को निर्वाचन आयोग ने अखिलेश यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मान्यता दे दी और 'साइकिल' भी। आयोग का फैसला चुनाव की पहले चरण की अधिसूचना से ठीक एक दिन पहले आया है जिससे बाद से अखिलेश खेमा तो जश्न मना रहा है लेकिन मुलायम खेमे में मायूसी छाई हुई है।