उत्तर प्रदेश न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

यूपी में दूसरे दलों से नेताओं की एंट्री के बाद अखिलेश यादव के सामने पैदा हुई नई चुनौती

Google Oneindia News

लखनऊ, 13 जनवरी: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बीजेपी को उसी के फॉर्मूले से घेरने की तैयारी कर चुकी है। इस बार अखिलेश यादव की रणनीति का बड़ा हिस्सा उसी तर्ज पर आगे बढ़ रहा है, जिसकी वजह से भाजपा तीन चुनावों से वहां अजेय बनी हुई है। लेकिन, स्वाभाविक तौर पर इसके चलते सपा के नेता के सामने भी नई चुनौतियां उभर रही हैं। यह चुनौती है, सबको एडजस्ट करने की। यह काम आसान नहीं है और अगर अखिलेश यादव ने इसपर नियंत्रण पा लिया तो उनकी राह का बहुत बड़ा चुनावी कांटा निकल सकता है।

वफादारों,सहयोगियों और दल-बदलुओं को खुश रखने की चुनौती

वफादारों,सहयोगियों और दल-बदलुओं को खुश रखने की चुनौती

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बार वही रणनीति अख्तियार की है, जिसपर चलकर बीजेपी लगातार करीब 40% वोट ला रही है। सपा नेता को यह बात समझ में आ चुकी है कि सिर्फ मुस्लिम-यादव फॉर्मूले से अब बीजेपी के गैर-यादव ओबीसी, गैर-जाटव दलित और ऊंची जातियों के मजबूत समीकरण को ध्वस्त करना मुश्किल है। इसीलिए उन्होंने कुर्मी, मौर्य, नोनिया जाति आधारित छोटी-छोटी अन्य पिछड़ी जातियों की पार्टी या उनके नेताओं के साथ गठबंधन किया है। उन्होंने चाचा-भतीजे का विवाद दूर कर यादव वोट बैंक में भी संभावित दरार को भी पाटने की कोशिश की है। हाल के कुछ ही दिनों में भाजपा के कई गैर-यादव ओबीसी नेता उसके साथ जुड़े हैं। पार्टी ने बीएसपी और कांग्रेस में भी जोरदार सेंध लगाई है। अखिलेश यादव की यह रणनीति पहले दौर के चुनाव से करीब एक महीना पहले पूरी तरह से रंग लाती दिख रही है। लेकिन, इसकी वजह से समाजवादी पार्टी के सामने एक नई चुनौती भी खड़ी हुई है। यह चुनौती है पार्टी के पुराने वफादारों और ठीक चुनाव से पहले गुलाटी मारने वाले दल-बदलुओं को और उनके चहेतों को ऐडजेस्ट करने की।

टिकट के दावेदारों को लेकर बढ़ सकती है माथापच्ची

टिकट के दावेदारों को लेकर बढ़ सकती है माथापच्ची

अखिलेश यादव को इस चुनाव में सिर्फ अपनी पार्टी के वफादारों को ही टिकट देकर खुश नहीं करना है, उन्होंने जिन छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है और जो नेता पाला बदलकर साइकिल की सवारी करने आए हैं, सबको टिकट देना और वह भी उनकी मनचाही सीट से यह स्वाभाविक रूप से एक आसान काम नहीं लग रहा। जाहिर है कि जिन नेताओं ने साइकिल पकड़ी है, उन्हें सपा नेतृत्व से टिकट मिलने का भरोसा जरूर दिया गया होगा। जबकि, उन छोटे दलों का भी टिकट पर अपना अधिकार बनता है, जो पहले से ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तय कर चुके हैं। मसलन, जनवादी पार्टी (सोशल) के नेता संजय चौहान ने अंग्रेजी अखबार ईटी को बताया है, 'हमनें 10 सीटों की लिस्ट दी है।' हालांकि, उन्होंने ऑन द रिकॉर्ड जरूर कहा है कि हम गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगे, चाहे कितनी भी सीट दी जाए।

किनको टिकट देंगे और किनको इनकार करेंगे ?

किनको टिकट देंगे और किनको इनकार करेंगे ?

यूपी में शरद पवार की पार्टी ने भी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया गया है और सपा ने उसके उम्मीदवार केके शर्मा के लिए अनूपशहर विधानसभा सीट छोड़ने का ऐलान कर दिया है। लिहाजा बाकी सहयोगी दल भी ऐसी ही घोषणाओं के इंतजार में बैठे हैं। जैसे महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा, 'सीटों की घोषणाएं फेजवाइज की जाएंगी; और हमें भी कुछ दिनों में अपनी सीटों के बारे में पता चल जाएगा।' इनके बेटे चंद्र प्रकाश मौर्य ने पहले ही बदायूं की बिल्सी सीट से अपना प्रचार शुरू कर दिया है। इनकी पार्टी ने अखिलेश से यही सीट मांगी है। लेकिन, इस सीट के सीटिंग बीजेपी विधायक आरके शर्मा हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं और इसके चलते अखिलेश यादव के लिए फैसला लेने में मुश्किल हो सकती है।

एक-एक सीट से कई दावेदार

एक-एक सीट से कई दावेदार

बड़े ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवरों से लगता है कि बीजेपी सरकार के कैबिनेट मंत्री का पद उन्होंने समाजवादी पार्टी में आने के लिए ही छोड़ा। लेकिन, उनकी एक दशक से यूपी की सिर्फ एक ही सीट पर नजर रही है, वह है रायबरेली की ऊंचाहार सीट। अगर अखिलेश को यह सीट उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य के लिए छोड़नी पड़ी तो मौजूदा सपा विधायक मनोज पांडे का अपसेट होना तय माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक स्वामी का 'प्रसाद' पाने के लिए अखिलेश उनके बेटे को कुशीनगर की फाजिलनगर या प्रयागराज की फाफामऊ सीट का ऑफर दे सकते हैं। लेकिन, जहां तक फाजिलनगर सीट का सवाल है तो यहां से आरएलडी के रामाशीष राय भी ताल ठोक रहे हैं। पूर्व बीजेपी नेता इसी सीट से टिकट मिलने की शर्त पर हाल ही में जयंत चौधरी की पार्टी में शामिल हुए हैं।

इसे भी पढ़ें- UP election:स्वामी प्रसाद मौर्य ने दलित-पिछड़ों नहीं बेटे के 'उत्थान' की वजह से छोड़ी भाजपाइसे भी पढ़ें- UP election:स्वामी प्रसाद मौर्य ने दलित-पिछड़ों नहीं बेटे के 'उत्थान' की वजह से छोड़ी भाजपा

वफादारों की नाराजगी का सता सकता है डर

वफादारों की नाराजगी का सता सकता है डर

बीएसपी नेता लालजी वर्मा के सपा में आने के बाद यह तय माना जा रहा है कि उन्हें पार्टी कटेहरी विधानसभा सीट से ही टिकट दे सकती है। क्योंकि,पिछले चुनाव में उन्होंने यहां से भाजपा को हराया था। लेकिन, उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी नेता जयशंकर पांडे इस बार भी वहीं से चुनाव लड़ने की उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वैसे सपा के वरिष्ठ नेता अभिषेक मिश्रा का दावा है कि, 'पार्टी में शामिल होने वाले लोग सिर्फ टिकट लेने के इरादे से ही नहीं आ रहे हैं। वे पार्टी की समाजवाद की विचारधारा से प्रभावित होकर हमारे साथ आ रहे हैं।' लेकिन, साथ ही उन्होंने साफ किया है कि, 'जो भी बड़े नेता हमारी पार्टी में आ रहे हैं, उन्हें निश्चित रूप से उनका हक दिया जाएगा।'

Comments
English summary
UP election:a big challenge for Akhilesh Yadav to keep happy to SPs loyalists and defectors of other parties
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X