UP विधानसभा चुनाव; SP-BSP को काउंटर करने का BJP का प्लान, 5 से 20 सितंबर तक होंगे प्रबुद्ध सम्मेलन
लखनऊ, 3 अगस्त। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी है। यूपी में चुनाव से पहले प्रकाश को लुभाने के लिए और खासतौर से ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए सपा और बसपा की तरफ से पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन कराया जा रहा है। इसी क्रम में अब भाजपा भी पूरे प्रदेश में 5 सितंबर से 20 सितंबर के बीच प्रबुद्ध सम्मेलनों का आयोजन करेगी।
पार्टी के रणनीतिकारों की माने तो इसका मुख्य मकसद कोरोना महामारी के बाद जनता के बीच फैली सरकार के प्रति नाराजगी और बीकरू कांड के बाद योगी सरकार के प्रति ब्राह्मणों के मन में हेली नाराजगी को दूर करना है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चलाया जा रहा है इस अभियान की जिम्मेदारी भाजपा के युवा सांसद सुब्रत पाठक को दी गई है। सुब्रत पाठक ने प्रबुद्ध सम्मेलन को लेकर कहा कि या किसी जाति विशेष को ध्यान में रखकर नहीं चलाया जा रहा है। यह अभियान उन सभी लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है चाहे वो किसी भी वर्ग से जुड़े हों।
इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की तरफ से पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों का आयोजन कर रही है। इसकी कमान खुद मायावती ने अपने खास राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में जातिगत सम्मेलनों पर रोक लगा रखी है। इसको देखते हुए बसपा ने सम्मेलनों के नाम के बदलाव कर दिया था।
कन्नौज से बीजेपी के सांसद सुब्रत पाठक ने हालाकि बसपा पर सम्मेलनों के बहाने जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाया है। सुब्रत पाठक कहते हैं कि,
''दूसरी पार्टियों की तरह बीजेपी नही करती। हमारा केस अलग है। हमारा लक्ष्य पार्टी की विचारधारा और नीतियों को प्रबुद्ध लोगों तक पहुंचाना है।''
हालाकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बीजेपी दूसरी पार्टियों को काउंटर करने के लिए इस तरह के सम्मेलन का आयोजन करने के लिए मजबूर हो रही है। भाजपा का यह अभियान पूरी तरह से अपर कास्ट, खासतौर से ब्राह्मणों को खुश करने के लिए ही तैयार किया गया है। हालांकि दूसरी पार्टियों की अपेक्षा बीजेपी के सामने चुनौतियां ज्यादा हैं। क्योंकि अपर कास्ट में रिजर्वेशन को लेकर भी काफी नराजगी है।
बसपा
ओर
सपा
की
तरफ
सेआयोजित
हुए
सम्मेलन
बसपा
और
सपा
की
तरफ
से
भी
पूरे
प्रदेश
में
प्रबुद्ध
सम्मेलनों
का
आयोजन
किया
गया।
बसपा
के
सम्मेलनों
में
जयश्रीराम
और
जय
परशुराम
के
नारे
लगने
से
भाजपा
की
नींद
उड़ी
हुई
है।
लिहाजा
अपर
कास्ट
को
टारगेट
करने
के
लिए
अब
भाजपा
ने
भी
इसी
तरह
का
दांव
चला
है।
बताया
जा
रहा
है
कि
बीएसपी
के
किसी
सम्मेलन
में
जयश्रीराम
के
नारे
शायद
पहली
बार
लगे
हों
लेकिन
यही
नारे
अब
बीएसपी
की
राजनीतिक
दिशा
तय
कर
रहे
हैं।
अयोध्या में बसपा के पहले सम्मेलन में रैली और कार्यकर्ताओं का जो रुख था उसने आगे के सम्मेलनों की राह खोल दी। बसपा ने इन संगोष्ठियों की शुरुआत के लिए अयोध्या को ही क्यों चुना। इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे सतीश मिश्रा ने जब अपने भाषण का समापन किया था कि चारों तरफ 'जयश्रीराम' और 'जयपरशुराम' के नारे गूंज उठे। इस तरह के सम्मेलन अयोध्या के बाद काशी, मथुरा में भी किए जाएंगे।