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UP Budget 2022-23: योगी के इस दांव ने ओम प्रकाश राजभर और मायावती की बढ़ाई टेंशन ?, जानिए इसके पीछे की वजहें

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लखनऊ, 26 मई: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने राजभर और दलित वोटरों को रिझाने के लिए न जाने क्या क्या जतन किए थे। दलितों और राजभर वोटरों को भुनाने के लिए अब योगी सरकार ने नया दांव चला है। हालांकि पहले भी चर्चा थी की बीजेपी ऐसा कदम उठाएगी। इसी के अनुरूप अब योगी सरकार महाराजा सुहेलेदव और आम्बेडकर के नाम पर स्मारक बनाए जाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करेगी। बीजेपी और सरकार के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि बीजेपी के इस कदम से आने वाले 2024 के चुनाव में ये दोनों जातियां बीजेपी के पक्ष में खड़ी हो सकती हैं। हालांकि सूत्रों की माने तो बीजेपी यह मानकर चलती है कि विधानसभा चुनाव में दलितों और राजभरों का कुछ फीसदी वोट मिला था जिसके बाद अब इन जातियों में पैठ बनाने के लिए सरकार ने यह दांव चला है।

ओम प्रकाश राजभर

राजभर ने पूर्वांचल में पहुंचाया था बीजेपी को नुकसान

लाख कोशिशों के बावजूद ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के साथ आने की बजाए समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े। अखिलेश के साथ आने से असर ये हुआ कि पूर्वांचल के कई जिलों में बीजेपी या तो साफ हो गई या फिर सीटें काफी कम हो गईं। इन नतीजों से डरी बीजेपी ने इस बार ओपी राजभर के आदर्श महाराजा सुहेलदेव राजभर की स्मृति में भव्य स्मारक के निर्माण के लिए 200 करोड़ का इंतजाम बजट में किया है। यह स्मारक यूपी के बहराइच जिले में बनना प्रस्तावित है। सुहेलदेव स्मारक को लेकर हालांकि पहले भी बीजेपी ओर ओम प्रकाश राजभर कई बार आमने सामने आ चुके हैं। राजभरों को साधने की कवायद के तहत ही विधानसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ में सुहेलदेव विश्वविद्यालय खोलने का ऐलान योगी सरकार ने किया था।

मायावती

आम्बेडकर स्मारक के बहाने दलित वोटरों पर नजर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने दलित मतदाताओं को साधने के लिए कई तरह के कदम उठाए थे। दलित और खासकर जाटव समुदाय को साधने के लिए उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को इस्तीफा दिलवाकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया फिर उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाकर यूपी में मंत्री बनाया गया था। तब ऐसी चर्चा थी कि बीजेपी बेबीरानी मौर्य को दलित चेहरे के तौर पर आगे कर सकती है। सरकार बनने के बाद ऐसी अटकलें भी लगाई जा रहीं थीं कि योगी सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बेबीरानी के साथ ही कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरूण जो दलित समुदाय से ही आते हैं, उन्हें भी वीआरएस दिलवाकर चुनाव लड़ाया गया और अब वो योगी सरकार में मंत्री हैं।

दलितों की मायावती से बढ़ती दूरी का लाभ उठाने की कोशिश में बीजेपी जुटी है इसी रणनीति के तहत अब योगी सरकार ने अपने बजट में बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के नाम पर एक स्मारक बनाने की कवायद शुरू की है। बजट में इसके निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपए और इसके रखरखाव के लिए एक करोड़ के बजट का प्रस्ताव दिया गया है।

संजय निषाद

महर्षि बाल्मिकी और निषादराज को भुनाने की कवायद

देश ही नहीं यूपी में भी प्रतीकों की राजनीति हो रही है। इसी के तहत एक तरफ जहां सुहेलदेव और अंबेडकर को साधने की कवायद हो रही है वहीं दूसरी ओर संत रविदास और निषादराज गुह्य से संबंधित स्थली को पर्यटन स्थली के तौर पर विकसित करने की कोशिश हो रही है। इसके पीछे की मंशा यही है कि निषाद समुदाय और संत रविवादास के अनुयायिओं में बीजेपी की पैठ बनायी जा सके। योगी सरकार ने अपने बजट में चित्रकूट में महर्षि बाल्मिकी और वाराणसी में संत रविदास , श्रृंगवेरपुर में निषादराज गुह्य और बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मृति स्थल बनाने के लिए 200 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है।

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English summary
This bet of Yogi increased the tension of Om Prakash Rajbhar and Mayawati?, know the reasons behind it
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