इलाहाबाद: गठबंधन की सीट पर सपा ने फिर उतारा अपना प्रत्याशी, अब क्या करेगी कांग्रेस ?
ऐसे में फिर से एक बार सियासत गर्म है और कांग्रेस की ओर से किसी बयान की उम्मीद की जा रही है। गौरतलब है कि इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में से 4 सीटें कांग्रेस को मिली हैं।
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन से पहले हुए सियासी ड्रामे का क्रम जारी है। सपा से गठबंधन में मिली इलाहाबाद की सोरांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित तो किया लेकिन तीन दिन बाद ही सपा ने इस सीट पर फिर अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर ड्रामे को नया मोड़ दे दिया है।
Read more: मोदी के गढ़ में पलटा जाएगा हाईकमान का फैसला, विरोध के आगे टेके घुटने
सपा ने मरोड़ा हाथ, गठबंधन के बाद चला रही है अपनी मर्जी
ऐसे में फिर से एक बार सियासत गर्म है और कांग्रेस की ओर से किसी बयान की उम्मीद की जा रही है। गौरतलब है कि इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में से 4 सीटें कांग्रेस को मिली हैं। जिसमें सोरांव विधानसभा सीट पर तीन दिन पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी का नाम घोषित हुआ था। प्रतापपुर के पूर्व विधायक जवाहर लाल दिवाकर को कांग्रेस ने यहां से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था।
क्या कांग्रेस ले पाएगी कोई एक्शन ?
हालांकि यहां से मौजूदा समय में सत्यवीर मुन्ना विधायक हैं, उनका टिकट काटकर यह सीट गठबंधन को दी गई थी। लेकिन सपा की जारी हुई तीन प्रत्याशियों की सूची में सोरांव विधानसभा से अब फिर से सत्यवीर मुन्ना को प्रत्याशी घोषित किया गया है। गठबंधन से पहले भी सत्यवीर ही यहां से प्रत्याशी घोषित हुए थे। लेकिन अब कांग्रेस इस पर क्या एक्शन लेती है ? यह देखने वाला विषय होगा ।
कांग्रेस की सीट पर भी सपा ने दिखाई अपनी ताकत
बीते बुधवार को कांग्रेस की जारी सूची में सोरांव सीट से जवाहर लाल दिवाकर प्रत्याशी बनाए गए तो कार्यकर्ताओं से लेकर हर कोई चौंक गया। चौंकना एक तरह से ठीक भी था क्योंकि मौजूदा विधायक का टिकट काटना आसान नहीं होता। समाजवादी पार्टी से हुए गठबंधन के बाद इलाहाबाद में चार सीटें कांग्रेस के खाते में आई थी। जिसमें सोरांव के अलावा इलाहाबाद शहर उत्तरी, बारा एवं कोरांव विधानसभा सीट सपा ने कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी। कांग्रेस ने उत्तरी शहर से अनुग्रह नारायण सिंह, कोरांव से रामकृपाल कोल, बारा से सुरेंद्र कुमार वर्मा और सोरांव से जवाहर लाल दिवाकर को मैदान में उतारा था।
हाथ पर चढ़ने लगी साइकिल, क्या दर्द का इजहार करेगी कांग्रेस ?
ऐसे में कई सवाल भी उठ रहे थे। आपको बता दें कि विधायक सत्यवीर मुन्ना के भाई शैलेंद्र कौशांबी से तीन बार सांसद रहे हैं और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी माने जाते हैं। पार्टी में शैलेंद्र की अच्छी खासी हैसियत के बावजूद भी सत्यवीर का टिकट कट जाना किसी को पच नहीं रहा था। जबकि सत्यवीर के पिता स्व. धर्मवीर केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं। सत्यवीर के साथ शैलेंद्र ने लखनऊ और दिल्ली तक टिकट कटने पर जमकर मथनी चलाई और आखिरकार मुन्ना को फिर से टिकट मिल ही गया।