यूपी: अगस्त में बहराइच में 60, बरेली में 38 बच्चों की मौत
38 बच्चों में वह बच्चे भी शामिल है जो प्रीमैच्योर के साथ सेफ्टीसीमिया के साथ अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। जिला अस्पताल प्रशासन ने इन मौतों के संबंध में एक रिपोर्ट बरेली के कमिश्नर, डीएम को सौंपी है।
बरेली/बहराइच। गोरखपुर, फैज़ाबाद के बाद बरेली जिला भी बच्चों की मौत के मामले में सुर्खियां बटोर रहा है। बरेली जिले में अगस्त माह में 38 बच्चों की मौत हुई है। 38 बच्चों में वह बच्चे भी शामिल है जो प्रीमैच्योर के साथ सेफ्टीसीमिया के साथ अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। जिला अस्पताल प्रशासन ने इन मौतों के संबंध में एक रिपोर्ट बरेली के कमिश्नर, डीएम को सौंपी है।
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शासन को भेजी रिपोर्ट
बरेली जिला अस्पताल के सीएमएस के एस गुप्ता ने मीडिया को बताया है कि अस्पताल में मरने वाले 22 बच्चों की मौत साँस और इन्फेक्शन की वजह से हुई है। बाकी बच्चों की मौत निमोनिया, बुखार के वजह से हुई है। इस सम्बन्ध में शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। कमिश्नर डॉक्टर पीवी जगनमोहन ने जिला अस्पताल का दौरा कर अस्पताल की व्यवस्था को देखा और हिदायत दी कि अस्पताल में बच्चों के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाये। बरेली के डीएम राघवेंदर विक्रम सिंह ने सीएमओ विनीत शुक्ला से बच्चों की मौत के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट के साथ डीएम कार्यालय बुलाया है।
अस्पताल में मचा हुआ है हड़कंप
बच्चा वार्ड में हुई मौत की रिपोर्ट के बाद डॉक्टरों में कार्रवाई का भय है | इसकी के चलते डॉक्टर अस्पताल में अपने समय से पहुंचने लगे है। वहीं लोग मान रहे है शासन बच्चों की मौत पर गंभीर है। शासन जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर सागर, कर्मेंदर से जवाब मांग सकती है।
बहराइच में हुई 60 मौतें
स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य सुविधाओं के दुरुस्तीकरण का दावा तो कर रहा है लेकिन यह दावे नजर नहीं आ रहे। अगस्त माह में जिले में 60 बच्चों की मौत हुई है। औसतन प्रतिदिन दो मासूमों की सांसें थम रही हैं। आधी मौतें बर्थ एक्सफीसिया व अन्य रोगियों की मौत संक्रामक रोगों से हुई है। गंभीर नन्हे रोगियों के इलाज के लिए जिला अस्पताल में बाल पीआईसीयू स्थापित है। यहां पर छह डॉक्टरों की तैनाती का मानक है लेकिन एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है। इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर की ड्यूटी लगाकर काम चलाया जा रहा है।
बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर कम
गोरखपुर और फर्रुखाबाद में नौनिहालों की मौत का मामला उछला, लेकिन बहराइच भी पीछे नहीं है। अगस्त माह में जिला अस्पताल में 57 व ग्रामीण अंचलों में तीन बच्चों ने दम तोड़ा है। इनमें 20 बच्चे ऐसे हैं, जो जन्म के आधे से एक घंटे के अंदर बीमार हुए। उन्हें बर्थ एक्सपीसिया की शिकायत थी जबकि 43 बच्चों की मौत बुखार, डायरिया व अन्य संक्रमण से हुई है। नवजात बच्चों की तबियत बिगड़ने पर उन्हें पीआईसीयू में भर्ती कराया गया। यहां पर 15 बेड हैं। आठ वेंटिलेटर की व्यवस्था है। फिर भी जिंदगी बचायी नहीं जा सकी। गौरतलब हो कि पीआईसीयू में छह डॉक्टरों की तैनाती का मानक है लेकिन एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है। इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर की ड्यूटी लगाकर जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है।
मुख्य चिकित्साधीक्षक जिला अस्पताल पीके टंडन ने बताया कि चिल्ड्रेन वार्ड में स्थापित पीआईसीयू में मैन पावर की कमी है। चिकित्सक भी नहीं हैं। फिर भी बच्चों का इलाज प्रभावित न हो, इसके लिए संचालन किया जा रहा है। चिकित्सकों की कमी के मामले में शासन को पत्र लिखा गया है।
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