उस शहर से यलगार करने जा रहे हैं चाचा शिवपाल जहां से जुड़ी हैं सपा सरकार की सबसे बुरी यादें
मुजफ्फरनगर। किसी भी सरकार में अगर दंगे हो तो ये उस सरकार के लिए किसी गहरे जख्म से कम नहीं है। अखिलेश सरकार के लिए मुजफ्फरनगर दंगे भी किसी गहरे घाव या दुखती रग से कम नहीं है। शायद इसीलिए चाचा शिवपाल यादव अखिलेश की इसी दुखती रग को दबाने के लिए आज शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में समाजावादी सेक्युलर मोर्चा का पहला कार्यक्रम आयोजित कर रहे है।
इस कार्यक्रम में सहारे शिवपाल यादव अपने भतीजे यानी अखिलेश यादव के जख्मों को कुरेदने का काम करेंगे। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। शिवपाल यादव 2013 में हुए दंगों की नफरत खत्म करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। यह कार्यक्रम समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का वेस्ट यूपी में पहला कार्यक्रम और लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
ये कार्यक्रम बुढाना कोतवाली क्षेत्र के कांधला रोड में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में समाजावादी सेक्युलर मोर्चा के संरक्षक शिवपाल यादव मुख्य अतिथि रहेंगे। इस कार्यक्रम के डेढ़ सौ होल्डिंग कस्बे के साथ क्षेत्रों में प्रचार के लिए लगाए गए है।
एक तरफ अमर सिंह जहां समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह हमलावर है वहीं दूसरी तरह चाचा शिवपाल का ये कार्यक्रम जाहिर तौर पर अखिलेश के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। सपा ही नही सत्ताधारी दल भाजपा की भी नजर शिवपाल के इस कार्यक्रम पर है। 2019 के लोकसभा चुनाव में ये समाजवादी सेक्युलर मोर्चा भाजपा को भी परोक्ष रूप से फायदा पहुंचा सकता है। असल मे शिवपाल जिस तरीके से छोटे डेल और बागियों को जोड़ने की बाद कर रहे उसको देख कर तो ये लगता है कि समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के माध्यम से वो तीसरा मोर्चा तैयार करने की सोच रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो ये मोर्चा लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के खिलाफ भाजपा को जरूर फायदा पहुंचाएगा।
बता दें कि सपा सरकार के दौरान साल 2013 में मुजप्फरनगर में दंगे हुए थे। मुजफ्फरनगर दंगे के 5 साल बीत जाने के बाद शिवपाल का यही से अपनी पार्टी का यलगार करना अपने आप में काफी कुछ कहता है। 2013 में हुए इस दंगे ने करीब 100 लोगों की जान ले ली, दर्जनों घर राख कर दिए, अनगिनत महिलाओं की अस्मत लूटी गई और हजारों लोग बेघर हो गए।
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