अखिलेश को छोड़ भाजपा खेमे में जाने की तैयारी में शिवपाल और मुलायम!
राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल सिंह यादव दे सकते हैं रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन, शिवपाल यादव ने की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात
लखनऊ। राष्ट्रपति चुनाव की तारीख करीब आने के ठीक पहले जिस तरह से सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है, उसके बाद सियासी हलचल बढ़ गई है। मुख्यमंत्री से शिवपाल यादव ने तकरीबन 25 मिनट तक मुलाकात की , जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपाल यादव एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन दे सकते हैं।
मुलायम-शिवपाल दे सकते हैं रामनाथ कोविंद को वोट
सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव और कुछ अन्य सपा विधायक रामनाथ कोविंद को अपना वोट दे सकते हैं। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के पास कुल पांच लोकसभा सांसद हैं, जिसमें मुलायम सिंह यादव भी शामिल हैं। जबकि चार अन्य सांसद अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप सिंह यादव और अक्षय यादव हैं, माना जा रहा है कि ये सभी सांसद अखिलेश यादव के खेमे के हैं।
मुलायम ने की थी रामनाथ कोविंद की तारीफ
आपको बता दें कि जिस दिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की थी, तो इसपर प्रतिक्रिया देते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए अच्छा उम्मीदवार चुना है, मेरा रामनाथ कोविंद से पुराना संबंध हैं। जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मुलायम सिंह यादव रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन दे सकते हैं। उसी शाम को मुलायम सिंह यादव ने भी योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, इस दौरान पीएम मोदी भी बैठक में मौजूद थे।
शिवपाल के पास 1 दर्जन विधायकों का समर्थन
यहां गौर करने वाली बात यह है कि शिवपाल यादव ने भी योगी आदित्यनाथ को मेहनती और ईमानदार मुख्यमंत्री बताया था। शिवपाल यादव के करीबी सूत्र की मानें तो उनके पास तकरीबन एक दर्जन विधायकों का समर्थन है, जिन्हें अखिलेश यादव ने पहले टिकट देने से इनकार कर दिया था। इनमें से मुख्य नाम हैं विजय मिश्रा, अमनमणि त्रिपाठी। विजय मिश्रा ने निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था, जबकि अमनमणि त्रिपाठी ने निर्दलीय महाराजगंज से चुनाव जीता था।
223 से 47 सीटों पर सिमटी सपा
समाजवादी पार्टी के भीतर लंबे समय से विवाद चल रहा है, पिछले वर्ष चाचा-भतीजे के बीच शुरू हुआ विवाद पार्टी के लिए काफी खातक साबित हुआ। एक जनवरी को अखिलेश यादव को पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया। तमाम आपसी मतभेद के बाद भी अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को जसवंत नगर से टिकट दिया और वहां से उन्हें जीत हासिल हुई थी। हालांकि शिवपाल यादव को इस चुनाव में जीत दर्ज हुई थी, लेकिन 2012 में 223 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी इस बार के चुनाव में सिर्फ 47 सीटों पर सिमट गई।