बार बार बेइज्जत किए जाने से नाराज हुए शिवपाल, जानिए उनके सामने क्या बचे हैं विकल्प
लखनऊ, 30 मार्च: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब बदली हुई परिस्थितियों में भी सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। दरअसल इसकी अटकलें उस समय लगाई जाने लगीं जब सहयोगी दलों की बैठक में शिवपाल यादव नहीं पहुंचे। जब लखनऊ में बैठक चल रही थी तब शिवपाल यादव इटावा में भागवत कथा सुन रहे थे। शिवपाल ने अभी तक विधानसभा की सदस्यता की शपथ नहीं ली है जिसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि वह दिल्ली गए थे और उन्होंने मुलायम सिंह यादव के अलावा बीजेपी के कुछ नेताओं से मुलाकात हुई थी।
शिवपाल के सामने क्या बचे हैं विकल्प
शिवपाल यादव यदि सपा से अलग होते हैं तो उनके सामने क्या विकल्प होंगे। विधानसभा चुनाव के दौरान अपनों के दबाव में आकर वह अखिलेश के साथ गठबंधन करने को तैयार हुए थे। लेकिन चुनाव के दौरान जब टिकटों का बंटवारा हुआ तो शिवपाल को एक सीट पकड़ा दी गई और उसके बाद उनके करीबीयों को किनारे कर दिया गया। लेकिन चुनाव में शिवपाल के करीबियों ने दूसरे दलों का दामन थामना शुरू कर दिया था। चुनाव के दौरान भी शिवपाल ने कहा कि उन्होंने अखिलेश को अपना नेता मान लिया था लेकिन उनके लोगों का समायोजन नहीं किया गया। अखिलेश के लिए शिवपाल ने हर बड़ी कुर्बानी दी लेकिन वह बेकार गई थी।
बेटे का भविष्य सुरक्षित करने के लिए बीजेपी के साथ जाने की उम्मीद
अखिलेश की ओर से सम्मान नहीं मिलने के बाद शिवपाल यादव अब जल्द ही अपने बड़े कदम का ऐलान करेंगे। बताया जा रहा है कि वह जल्द ही बड़ी पार्टी की शरण में जाएंगे। इस बात की चर्चाएं जोरों पर है कि शिवपाल यादव को बीजेपी राज्यपाल बना सकती है और जसवंतनगर सीट से उनके बेटे आदित्य यादव को समर्थन दे सकती है। इसमें शिवपाल का भी फायदा है। शिवपाल को एक बड़े पेड़ की छांव मिल जाएगी और बेटे का राजनीतिक उदय हो जाएगा।
सहयोगी दलों की बैठक में नहीं पहुंचे शिवपाल
असल में शिवपाल कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। वे भाजपा के भी संपर्क में बताए जाते हैं लेकिन अभी उन्होंने कई मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है। उनका कहना है कि वह जल्द अपनी बात सबके सामने कहेंगे। अखिलेश यादव ने मंगलवार की सहयोगी दलों की बैठक में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव को भी बुलाया था लेकिन वह नहीं आए। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवपाल जल्द ही बीजेपी के साथ आगे बढ़ेंगे। हालांकि इसकी घोषणा कब होगी यह भविष्य पर निर्भर है।
सपा विधायक दल की बैठक में न बुलाने से नाराज थे शिवपाल
असल में शिवपाल यादव दिल्ली चले गए और सपा संरक्षक व अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मिले और उनसे आशीर्वाद लिया। वहां से शिवपाल यादव इटावा चले गए। शिवपाल यादव सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज थे। सपा उन्हें सहयोगी दल बताती है जबकि वह कहते हैं कि वह सपा के टिकट पर जीते हैं। इसलिए उन्हें सपा विधायकों की बैठक में बुलाया जाना चाहिए था। हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि शिवपाल यादव कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।