चक्रव्यूह तैयार, राज्यसभा में मायावती के उम्मीदवार को रोकेंगे अमित शाह, ये है प्लान
नई दिल्ली। गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने अहमद पटेल को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी थी, कुछ इसी तरह से इस बार पार्टी उत्तर प्रदेश में मायावती के उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की 31 राज्यसभा सीटों में से 10 सीटों पर फैसला होगा कि किस पार्टी का उम्मीदवार सदन में पहुंचेगा। यूं तो भाजपा के पास 8 उम्मीदवारों को सदन भेजने व सपा के पास एक उम्मीदवार को सदन में भेजना के लिए पर्याप्त संख्या है, लेकिन 10वीं सीट के लिए सपा-बसपा-कांग्रेस-भाजपा-आरएलडी के बीच जद्दोजहद जारी है।
क्या है वोटों का समीकरण
राज्यसभा के नामांकन की तारीख खत्म होने से पहले 10 सीटों के लिए कुल 10 नामांकन किए गए हैं जिसमे से 8 पर भाजपा, एक पर सपा और एक पर बसपा के उम्मीदवार ने नामांकन भरा है। तीनों ही पार्टी अपने उम्मीदवार की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। आपको बता दें कि राज्यसभा में पहुंचने के लिए उम्मीदवार को 37 विधायकों के वोट की जरूरत होती है। लेकिन भाजपा के पास 300 से अधिक विधायक हैं, ऐसे में भाजपा आसानी से अपने 8 सदस्यों को राज्यसभा में भेज सकती है। सपा के पास 47 विधायक हैं, लिहाजा उसके पास एक सदस्य को राज्यसभा भेजने के बाद भी 10 अतिरिक्त वोट हैं। वहीं मायावती के पास कुल 19 विधायक हैं, ऐसे में उन्हें 18 अतिरिक्त विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी ताकि वह अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकें।
आखिरी वक्त में शाह की चाल
सपा ने पहले ही साफ किया है कि वह अपने 10 विधायकों का वोट बसपा को देगी, जबकि अजीत सिंह की पार्टी ने अपने एक विधायक का समर्थन बसपा को देने का ऐलान किया है। वहीं कांग्रेस अपने 7 विधायकों का समर्थन भी बसपा को देने को तैयार है। लिहाजा इस गणित से मायावती के उम्मीदवार आसानी से राज्यसभा पहुंच सकता है। लेकिन मायावती के गणित को खराब करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नई रणनीति अपनाई और आखिरी समय पर अपनी पार्टी की ओर से 9वें उम्मीदवार का नामांकन भरवाया। ऐसे में साफ है कि मायावती के उम्मीदवार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
नरेश अग्रवाल बिगाड़ेंगे खेल
मायावती के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर और भाजपा के नौंवे उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के बीच राज्यसभा को लेकर टक्कर होगी। माना जा रहा है कि मायावती के गणित को बिगाड़ने के लिए अमित शाह ने नरेश अग्रवाल को पार्टी में शामिल किया है, जोकि कांग्रेस, बसपा और सपा तीनों ही पार्टी में रह चुके हैं। नरेश अग्रवाल के बेटे खुद विधायक हैं, लिहाजा वह भाजपा उम्मीदवार को अपना वोट दे सकते हैं, इसका मतलब साफ है कि मायावती के खाते से सपा का एक वोट कट जाएगा।
सपा के विधायकों पर रहेगी नजर
नरेश अग्रवाल के भाजपा में आने के बाद भाजपा लगातार इस बात की कोशिश कर रही है कि बसपा का उम्मीदवार राज्यसभा नहीं पहुंचने पाए। हालांकि कांग्रेस को इस बात का भरोसा है कि उसके सबी सात विधायक बसपा के पक्ष में अपना वोट देंगे, लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी के विधायकों को लेककर संशय बरकरार है। कई ऐसे सपा विधायक हैं जोकि शिवपाल समर्थक हैं और वह पार्टी के खिलाफ वोट कर सकते हैं। इससे पहले भी राष्ट्रपति के चुनाव में सपा के कुछ विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना वोट दिया था।
भाजपा को चाहिए 9 अतिरिक्त विधायक
भाजपा के पास 8 उम्मीदवारों को राज्यसभा भेजने के बाद 28 अतिरिक्त विधायक हैं, ऐसे में पार्टी के उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को कुल 9 वोट चाहिए जिसकी बदौलत वह बसपा उम्मीदवार को इस रेस से बाहर कर सकते हैं। भाजपा के पास तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। वहीं पार्टी के पास निषाद पार्टी के विजय मिश्रा का भी समर्थन मिल सकता है। लेकिन भाजपा को अपने नौंवे उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायकों की जरूरत होगी, दोनों की पार्टी के विधायक योगी सरकार में मंत्री हैं। लेकिन जिस तरह से सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओपी राजभर ने बागी तेवर दिखाएं हैं वह भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। राजभर ने कहा कि अभी तक भाजपा की ओर से हमसे उनके उम्मीदवार को वोट करने के लिए संपर्क नहीं किया गया है, ऐसे में हम नहीं कह सकते हैं कि हम किसे वोट करेंगे