यूपी: 30 नवंबर को लखनऊ में बड़ी रैली करेंगे राजा भैया, लांच हुई टी-शर्ट
प्रतापगढ़। कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अपने कैरियर के 25 साल पूरे होने पर 30 नवंबर को लखनऊ में एक बड़ी रैली करने जा रहे है। इस मौके पर राजा भैया के समर्थकों ने मुंबई से राजा भैया की फोटो लगी टी-शर्ट भेजी है जिसे कार्यकर्ता पहनकर रैली में जाएंगे। बताया जा रहा है कि रैली में हजारों समर्थकों के पहुंचने की उम्मीद है।
25 साल के राजनीतिक करियर के बाद बनाएंगे अपनी पार्टी
25 साल के राजनीतिक करियर के बाद पहली बार 'कुंडा के राजा' रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया दलीय राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तो कभी समाजवादी पार्टी (सपा) के करीबी रहे राजा भैया, हमेशा से निर्दलीय ही चुनाव लड़ा। वो यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों की ही सरकार में मंत्री रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कभी किसी पार्टी में शामिल होने की योजना नहीं बनाई। हालांकि अब बदले हुए सियासी हालात में उन्होंने भी अपनी पार्टी बनाने की रणनीति अपनाई है।
पार्टी बनाने के पीछे ये है मुख्य वजह
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के नई पार्टी बनाने के पीछे मुख्य वजह ये है कि कुछ समय पहले ही संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में उम्मीद की जा रही थी राजा भैया अपने सहयोगी विधायकों के साथ एसपी-बीएसपी के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और बीजेपी समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया। उनके इस कदम की वजह से अखिलेश यादव से उनकी तल्खी बढ़ गई। वहीं जिस योजना के तहत उन्होंने बीजेपी का समर्थन किया, उसमें भी उन्हें खास तरजीह नहीं मिली। ऐसा हालात में अब उन्होंने दलीय राजनीति में उतरने और अपनी पार्टी बनाने का मन बना लिया।
30 नवंबर को करेंगे राजनीतिक पार्टी का ऐलान
राजा भैया 30 नवंबर को राजनीतिक दल का ऐलान कर सकते हैं। दरअसल 30 नवंबर को उनके राजनीति 25 साल पूरे हो रहे हैं, सियासी पारी की सिल्वर जुबली के मौके पर वो नई पार्टी का ऐलान करेंगे। इस बीच खबर है कि राजा भैया के झंडे का रंग पीले और हरे रंग का हो सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग में अपनी पार्टी का नाम जनसत्ता दल रखने और पार्टी के झंडे के रंग को लेकर आवेदन कर दिया है। हालांकि अभी चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और पार्टी के झंडे को मंजूरी नहीं दी है। देखना होगा कि आखिर उनकी पार्टी का क्या नाम होता है और 2019 के चुनाव में इसका प्रदर्शन कैसा रहेगा?