प्रमोद तिवारी की "प्रेशर पॉलिटिक्स" के आगे झुक गया कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ?, जानिए इसकी INSIDE STORY
लखनऊ, 13 जून: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी राज्यसभा का चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो चुनाव जीतने से पहले प्रमोद तिवारी ने केंद्रीय नेतृत्व पर पार्टी छोड़ने का दबाव बनाया था जिसकी वजह से अंत में आलाकमान ने उनको उम्मीदवारों की सूची में शामिल करना पड़ा। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा के टिकट से पहले ऐसी माहौल बनाया गया कि यदि तिवारी को टिकट नहीं मिला तो वो बीजेपी के दामन थाम सकते हैं। आलाकमान इस बात में दबाव में आ गया और प्रमोद तिवारी को राजस्थान से राज्यसभा भेजना उनकी मजबूरी बन गई। दरअसल तिवारी यूपी में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं और यदि वो पार्टी छोड़ते तो कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता था।
प्रमोद तिवारी के दबाव के आगे झुक गया आलाकमान ?
राज्यसभा चनुाव में अपनी जीत का परचम लहरा चुके प्रमोदी तिवारी ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने इस बात का दबाव बनाया कि यदि उनको राज्यसभा नहीं भेजा गया तो वो पार्टी छोड़ सकते हैं और बीजेपी उनको राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने इसकी पुष्टी करते हुए बताया कि प्रमोद तिवारी बीजेपी के टच में थे। शायद इसकी भनक केंद्रीय नेतृत्व को लग गई थी जिसके बाद आनन फानन में उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। दरअसल कांग्रेस में पहले ही कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और कांग्रेस लगातार संघर्ष कर रही है। ऐसे में 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस प्रमोद तिवारी को खोना नहीं चाहती थी।
प्रतापगढ़ में 41 साल से है एक पार्टी का कब्जा
41 साल से प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा पर सिर्फ एक पार्टी का कब्जा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी 1980 में पहली बार मैदान में कूदे थे। इसके बाद वे लगातार 34 साल तक यहां से विधायक रहे। साल 2014 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्विरोध चुना गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी सीट बेटी आराधना मिश्रा मोना को सौंपी। उपचुनाव में आराधना ने जीत हासिल की। इसके बाद आराधना ने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की।
1980 में पहली बार मैदान में उतरे
किसान परिवार में जन्में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी पहली बार 1980 में जीते थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रमोद तिवारी रामपुर खास सीट से 10 बार विधायक चुने गए। 1984 और 1989 के बीच दो बार राज्य मंत्री बने। एक विधानसभा, एक पार्टी और एक चुनाव चिह्न से लगातार 9 जीत के लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। साल 2012 में उन्होंने दसवीं बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2014 में वे राज्यसभा के लिए निर्विरोध सदस्य चुने गए।
कांग्रेस के टिकट पर 9 बार जीत चुके हैं चुनाव
प्रमोद तिवारी के पिता किसान थे, एक सामान्य परिवार में जन्में प्रमोद तिवारी ने राजनीति में एक नया अध्याय लिखने का काम किया। प्रमोद तिवारी 1984 और 1989 के बीच दो बार राज्य मंत्री रहे, रामपुर खास की सीट से लगातार चुनाव जीते। वह एक ही विधानसभा सीट से 9 बार जीतकर एक ही चुनाव चिन्ह पर विधानसभा पहुंचे। जिसके लिए प्रमोद तिवारी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ, 2012 के विधानसभा चुनाव में दसवीं बार विधानसभा पहुंचे। प्रमोद तिवारी 2014 में राज्यसभा गए और उनकी बेटी ने उपचुनाव जीता।
मोदी-योगी की लहर भी नहीं भेद सकी तिवारी का गढ़
2014 में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे, मोदी लहर अपने चरम पर थी। लेकिन मोदी लहर का रामपुर खास के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा। प्रमोद तिवारी अपनी बेटी आराधना मिश्रा को उपचुनाव जीतने में भी सफल रहे। 2017 में भी जब मोदी योगी और अमित शाह जैसे दिग्गज नेताओं ने प्रतापगढ़ जिले में रैली की तो यह सीट कांग्रेस के पास ही रही। राजनीतिक रूप से जीत और हार जनता के हाथ में होती है। लेकिन रामपुर खास के लोग प्रमोद तिवारी के इतने दीवाने हैं कि उनके राजनीतिक गढ़ों को कोई नहीं तोड़ सका। इस विधानसभा क्षेत्र में राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गजों ने किस्मत आजमाई और फिर लौट गए।
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