कितना बदहाल है सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र रायबरेली, देखिए..
रायबरेली। रायबरेली पर्यटन विभाग की उपेक्षा से जिले में पर्यटन स्थलों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। कहने को ये देश की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी और वर्तमान में सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन यहां की गड्ढायुक्त सड़कें परिवहन और शहर में फैली गंदगी चीख-चीख कर यहां की बदहाली बयां कर रही है। हालात ये हैं कि कभी देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल व पौराणिक महत्व वाला रायबरेली जिला आज उपेक्षा का शिकार है। यहां शहीदों के सम्मान में बना शहीद स्मारक और भारत माता मंदिर बजट की कमी से जूझ रहा है और इसकी स्थिति दन पर दिन बदहाल होती जा रही है।
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टूरिस्ट तो दूर स्थानीय लोग भी नहीं जाते झांकने
समसपुर पक्षी विहार, पौराणिक नगरी डलमऊ, बेहटा पुल या फिर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद में बना वानस्पतिक उद्यान नही क्यों न हों, सभी की दशा दिशा एक जैसी ही है। कभी विदेशी पक्षियों से गुलजार रहने वाला समसपुर पक्षी विहार का भी वही हाल है। टूरिस्टों तो दूर की बात यहां स्थानीय लोग भी जाना पसंद नहीं करते। बदहाली के कारण आज पर्यटकों का रुझान इन पर्यटन स्थलों से कम होता जा रहा है।
पहले आते थे 300 प्रजाति के विदेशी पक्षी
सलोन उचांहार मार्ग पर भोलागंज बाजार से करीब तीन किमी की दूरी पर समसपुर पक्षी बिहार है। यहां पर यूरोप व साइबेरियन देशों की करीब 300 प्रजातियों के पक्षी अक्टूबर से जनवरी माह तक प्रवास करते थे। छह झीलों से बना पक्षी बिहार उपेक्षित पड़ा है। यहां पर पहुंचने वाली सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। झील में जलकुंभी फैली हुई है। पक्षियों की संख्या भी दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। पर्यटकों के लिए खोली गई चाय व नाश्ते की कैंटीन भी विगत कई वर्षों से बंद पड़ी है। पर्यटकों को मात्र एक इंडिया मार्का हैडपंप का पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है। सलोन पक्षी बिहार में प्रतिमाह औसत 200 पर्यटक आते हैं। इससे सात से आठ हजार की राजस्व हो प्राप्त हो पाता है।
पर्यटन स्थल बन चुके हैं प्रेमी जोड़ों का अड्डा
जिले के मुंशीगंज स्थित सई नदी के पुराने पुल पर 7 जनवरी 1921 को हुए गोलीकांड में शहीदों की स्मृति में बने स्मारक की उपेक्षा भी किसी छिपी नही है। इतिहासकारों ने इसे भले ही इसे देश का दूसरा जलियावाला बाग गोलीकांड का दर्जा दिया हो। लेकिन पर्यटन विभाग की ओर से इसे सवांरने के लिए आरडीए ने एक बार पहल भी की। बजट की कमीं के कारण आज यहां का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। यहां पर भारत माता का मंदिर भी बना है, लेकिन पर्यटकों के बजाए प्रेमी जोड़े इश्क लड़ाते आसासनी से देखें जा सकते हैं।
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