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फूलपुर ने दिए देश को राजनीति के धुरंधर, जो जीता वो बना 'सिकंदर'

By Rajeevkumar Singh
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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट आजादी के बाद पहले लोकसभा चुनाव से ही चर्चा में आ गई थी। यहां से जो भी सूरमा जीतकर सांसद बने वह देश की राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करने में सफल रहे। यहां से जीतने वाले कई सांसद मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बने। यहीं से पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में देश को पहला प्रधानमंत्री मिला था जबकि मौजूदा समय में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी यहीं से जीतकर संसद भवन पहुंचे थे और उसके बाद उनका कद बढ़ाया गया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित सांसद बनीं और उन्होंने तो विश्व पटल पर अपना नाम अंकित कराया था। वह संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि चुनी गई थी। इसी सीट से सांसद बनने वाले जनेश्वर मिश्र को कौन नहीं जानता है? राजनीति में छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र यहीं से सांसद बने और पूरे देश में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए। जनेश्वर मिश्र 7 बार केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। 1971 में यहां से सांसद बनकर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सफर तय किया और बाद में वह देश के प्रधानमंत्री भी बने। फूलपुर लोकसभा में कुल 16 बार चुनाव हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा 3-3 बार पंडित जवाहरलाल नेहरू व रामपूजन पटेल सांसद चुने गये जबकि दो बार विजया लक्ष्मी पंडित सांसद बनी। इसके अलावा जनेश्वर मिश्र , विश्वनाथ प्रताप सिंह, कमला बहुगुणा, प्रोफ़ेसर बी डी सिंह , जंग बहादुर पटेल, धर्मराज पटेल, अतीक अहमद, कपिल मुनि करवरिया और केशव प्रसाद मौर्य एक बार चुनाव जीते।

1952 से 1962 तक

1952 से 1962 तक

सबसे पहले 1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फूलपुर सीट से अपनी किस्मत आजमाई और डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से वह जीतकर संसद पहुंचे और देश के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1957 व 1962 के चुनाव में भी जवाहरलाल नेहरू लगातार जीतते रहे और फूलपुर लोकसभा में हैट्रिक लगाकर एक रिकॉर्ड भी बना दिया।

1964 का उपचुनाव व 1967 आम चुनाव
पंडित जवाहरलाल नेहरु के निधन के बाद 1964 में फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इस उप चुनाव में पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित कांग्रेस से चुनाव लडी और जीत कर सांसद बनी। जब 1967 में लोकसभा का चुनाव हुआ उस वक्त भी विजयलक्ष्मी पंडित फूलपुर से सांसद चुनी गई, हालांकि 1967 में ही विजयलक्ष्मी पंडित के संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधि चुन ली गयी जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

1969 में उपचुनाव

1969 में उपचुनाव

विजयलक्ष्मी पंडित के संयुक्त राष्ट्र चले जाने के बाद खाली हुई फूलपुर सीट पर 1969 में उपचुनाव हुआ। यह चुनाव ऐतिहासिक रहा और पहली बार देश के राजनैतिक इतिहास का बड़ा उलटफेर साबित हुआ। उपचुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार हार मिली और छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्रा ने जीत दर्ज की और वह संसद पहुंच गए ।

1971 में वीपी सिंह का जलवा
1971 में एक बार फिर जब आम चुनाव की घंटी बजी तो फूलपुर लोकसभा सीट पर जाने माने नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कदम रखा। वी पी सिंह भी यहां से चुनाव जीते और संसद पहुंचे । बाद में वह यूपी के मुख्यमंत्री बने और फिर देश के प्रधानमंत्री बनने तक का गौरव हासिल किया।

1977 में जीता राजनैतिक घराना
1977 में जब लोकसभा का चुनाव हुआ तो दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के राजनीतिक घराने की जीत का क्रम शुरू हुआ । इस चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा को भारतीय लोकदल से टिकट मिला और वह चुनाव लड़ी, चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर कमला बहुगुणा सांसद बन गई ।बहुगुणा राजनीतिक घराना आज भी पूरी तरह से सक्रिय है और भारतीय राजनीति में बड़ा नाम व पहचान बन चुका है।

1980 में जनता पार्टी जीती

1980 में जनता पार्टी जीती

1980 का लोकसभा चुनाव भी खासा चर्चित रहा इस चुनाव में जनता पार्टी छायी रही और फूलपुर लोकसभा सीट से बी डी सिंह को टिकट दिया। बी डी सिंह ने भी जनता पार्टी की नैया को पार लगा दिया और जीतकर सांसद बन गए।

1984 में कांग्रेस की वापसी
फूलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का तिलिस्म टूटे हुए चार चुनाव हो चुके थे, लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई । इस हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर दौड़ गई और जिसका परिणाम यह रहा कि 1984 में हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस के टिकट पर रामपूजन पटेल ने एक बार फिर से फूलपुर को कांग्रेस के नाम कर दिया।

1989 से 1991 रामपूजन की हैट्रिक
1984 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले रामपूजन पटेल ने कांग्रेस का साथ अगले चुनाव में छोड़ दिया। 1989 में जब फिर से लोकसभा का चुनाव हुआ तब रामपूजन पटेल जनता दल में शामिल हो गए और जनता दल के टिकट पर ही 1989 और 1991 में लगातार दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे । रामपूजन पटेल, जवाहरलाल नेहरू के बाद ऐसे प्रत्याशी रहे जिन्होंने लगातार फूलपुर लोकसभा से जीत की हैट्रिक लगाई थी। हालांकि उन्होंने एक बार कांग्रेस से दो बार जनता दल से हैट्रिक पूरी की थी ।

1996 में भी कुर्मी वोट बैंक

1996 में भी कुर्मी वोट बैंक

फूलपुर लोकसभा सीट पर लगातार कई चुनाव से रामपूजन पटेल की जीत ने यह तो साबित कर दिया था कि फूलपुर लोकसभा सीट को कुर्मी बहुल इलाका कहने और उसकी गुणा गणित के क्या मायने हैं। इसका फायदा उठाते हुए अगले लोकसभा चुनाव में यानी 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बड़ा दांव खेला और इलाके के तेज तर्रार नेता जंग बहादुर पटेल को टिकट दे दिया ।अपनी जमीन छवि का फायदा उठाते हुए जंग बहादुर पटेल ने करिश्माई नेतृत्व दिखाया और पहली बार समाजवादी पार्टी का इस सीट पर खाता खोलते हुए खुद संसद भवन पहुंच गए।

सपा ने जीते चार चुनाव
फूलपुर लोकसभा सीट पर 1996 के बाद लगातार चार चुनावों में समाजवादी पार्टी ने एकछत्र राज किया। 1996, 1998, 1999, और सन 2000 में हुए चार चुनाव में सपा के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। 1996 में जंग बहादुर पटेल ने पहली बार सपा का खाता खोला था , इसके बाद 1998 में भी जंग बहादुर पटेल ने लगातार दूसरी बार इस सीट से जीत हासिल की। जंग बहादुर पटेल को हैट्रिक लगाने का मौका नहीं मिला और समाजवादी पार्टी ने 1999 के चुनाव में जंग बहादुर पटेल की जगह स्थानीय नेता धर्मराज पटेल को टिकट दे दिया । धर्मराज पटेल भी फूलपुर इलाके के बड़े कुर्मी नेता थे और उसका उन्हें फायदा मिला ।सपा के टिकट पर वह जीते और सांसद भवन पहुंचने में सफल रहे।

 2004 में बाहुबली अतीक अहमद की जीत

2004 में बाहुबली अतीक अहमद की जीत

2004 में फूलपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी की तलाश कर रही थी । उन दिनों बाहुबली अतीक अहमद का नाम जरायम की दुनिया में गूंज रहा था । इलाहाबाद में अतीक की तूती बोल रही थी और वह लगातार विधानसभा चुनाव में जीत पर जीत दर्ज कर रहे थे। समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा सीट पर बड़ा दांव खेला और अतीक अहमद को टिकट दे दिया अतीक अहमद ने सपा को निराश नहीं किया और फूलपुर के में रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए पहली बार सांसद बने।

2009 में पहली बार बसपा जीती
2009 में फूलपुर लोकसभा सीट पर चुनावी बिगुल बजा तो बसपा ने ब्राम्हण मतदाताओं को रिझाने के लिए पंडित कपिल मुनि करवरिया को टिकट दे दिया। चूंकि बसपा के पास अपने दलित वोट पहले से ही थे और एक लंबे अरसे बाद फूलपुर इलाके को मिले ब्राह्मण प्रत्याशी के पक्ष में ब्राह्मण मतदाताओं ने एकतरफा वोट किया। इसका असर यह रहा है कि कपिल मुनि करवरिया पूरी तरह से फाइट कर गए और लगभग 15000 वोटों से सपा को पटकनी देते हुए बसपा का परचम लहरा दिया।

इतिहास में दर्ज हुआ 2014 का चुनाव

इतिहास में दर्ज हुआ 2014 का चुनाव

2014 में लोकसभा का चुनाव सही मायनों में ऐतिहासिक था। वर्षों बाद किसी दल को पूर्ण बहुमत से सत्ता मिली थी और पूरे देश में मोदी लहर का जलवा देखने को मिला था। मोदी लहर में प्रत्याशी बनकर आए गुमनाम केशव प्रसाद मौर्य अचानक से चमक गये। फूलपुर के इतिहास में सबसे बड़ी रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करने में केशव सफल रहे। पहली बार फूलपुर लोकसभा सीट पर कमल खिला और केशव प्रसाद मौर्य को कुछ समय बाद ही यूपी भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया। केशव के संसद पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई है जिस पर उपचुनाव होने जा रहा है। इस समय केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद का निर्वाहन कर रहे हैं।

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English summary
Phulpur Lok Sabha constituency gave renowned MPs to the nation.
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