फूलपुर ने दिए देश को राजनीति के धुरंधर, जो जीता वो बना 'सिकंदर'
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट आजादी के बाद पहले लोकसभा चुनाव से ही चर्चा में आ गई थी। यहां से जो भी सूरमा जीतकर सांसद बने वह देश की राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करने में सफल रहे। यहां से जीतने वाले कई सांसद मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बने। यहीं से पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में देश को पहला प्रधानमंत्री मिला था जबकि मौजूदा समय में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी यहीं से जीतकर संसद भवन पहुंचे थे और उसके बाद उनका कद बढ़ाया गया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित सांसद बनीं और उन्होंने तो विश्व पटल पर अपना नाम अंकित कराया था। वह संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि चुनी गई थी। इसी सीट से सांसद बनने वाले जनेश्वर मिश्र को कौन नहीं जानता है? राजनीति में छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र यहीं से सांसद बने और पूरे देश में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए। जनेश्वर मिश्र 7 बार केंद्र सरकार में मंत्री रहे थे। 1971 में यहां से सांसद बनकर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सफर तय किया और बाद में वह देश के प्रधानमंत्री भी बने। फूलपुर लोकसभा में कुल 16 बार चुनाव हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा 3-3 बार पंडित जवाहरलाल नेहरू व रामपूजन पटेल सांसद चुने गये जबकि दो बार विजया लक्ष्मी पंडित सांसद बनी। इसके अलावा जनेश्वर मिश्र , विश्वनाथ प्रताप सिंह, कमला बहुगुणा, प्रोफ़ेसर बी डी सिंह , जंग बहादुर पटेल, धर्मराज पटेल, अतीक अहमद, कपिल मुनि करवरिया और केशव प्रसाद मौर्य एक बार चुनाव जीते।
1952 से 1962 तक
सबसे पहले 1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फूलपुर सीट से अपनी किस्मत आजमाई और डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से वह जीतकर संसद पहुंचे और देश के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1957 व 1962 के चुनाव में भी जवाहरलाल नेहरू लगातार जीतते रहे और फूलपुर लोकसभा में हैट्रिक लगाकर एक रिकॉर्ड भी बना दिया।
1964
का
उपचुनाव
व
1967
आम
चुनाव
पंडित
जवाहरलाल
नेहरु
के
निधन
के
बाद
1964
में
फूलपुर
लोकसभा
सीट
पर
उपचुनाव
हुआ।
इस
उप
चुनाव
में
पंडित
जवाहरलाल
नेहरू
की
बहन
विजयलक्ष्मी
पंडित
कांग्रेस
से
चुनाव
लडी
और
जीत
कर
सांसद
बनी।
जब
1967
में
लोकसभा
का
चुनाव
हुआ
उस
वक्त
भी
विजयलक्ष्मी
पंडित
फूलपुर
से
सांसद
चुनी
गई,
हालांकि
1967
में
ही
विजयलक्ष्मी
पंडित
के
संयुक्त
राष्ट्र
संघ
में
प्रतिनिधि
चुन
ली
गयी
जिसके
बाद
उन्होंने
अपने
पद
से
इस्तीफा
दे
दिया।
1969 में उपचुनाव
विजयलक्ष्मी पंडित के संयुक्त राष्ट्र चले जाने के बाद खाली हुई फूलपुर सीट पर 1969 में उपचुनाव हुआ। यह चुनाव ऐतिहासिक रहा और पहली बार देश के राजनैतिक इतिहास का बड़ा उलटफेर साबित हुआ। उपचुनाव में कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार हार मिली और छोटे लोहिया कहे जाने वाले जनेश्वर मिश्रा ने जीत दर्ज की और वह संसद पहुंच गए ।
1971
में
वीपी
सिंह
का
जलवा
1971
में
एक
बार
फिर
जब
आम
चुनाव
की
घंटी
बजी
तो
फूलपुर
लोकसभा
सीट
पर
जाने
माने
नेता
विश्वनाथ
प्रताप
सिंह
ने
कदम
रखा।
वी
पी
सिंह
भी
यहां
से
चुनाव
जीते
और
संसद
पहुंचे
।
बाद
में
वह
यूपी
के
मुख्यमंत्री
बने
और
फिर
देश
के
प्रधानमंत्री
बनने
तक
का
गौरव
हासिल
किया।
1977
में
जीता
राजनैतिक
घराना
1977
में
जब
लोकसभा
का
चुनाव
हुआ
तो
दिग्गज
नेता
हेमवती
नंदन
बहुगुणा
के
राजनीतिक
घराने
की
जीत
का
क्रम
शुरू
हुआ
।
इस
चुनाव
में
हेमवती
नंदन
बहुगुणा
की
पत्नी
कमला
बहुगुणा
को
भारतीय
लोकदल
से
टिकट
मिला
और
वह
चुनाव
लड़ी,
चुनाव
में
शानदार
जीत
दर्ज
कर
कमला
बहुगुणा
सांसद
बन
गई
।बहुगुणा
राजनीतिक
घराना
आज
भी
पूरी
तरह
से
सक्रिय
है
और
भारतीय
राजनीति
में
बड़ा
नाम
व
पहचान
बन
चुका
है।
1980 में जनता पार्टी जीती
1980 का लोकसभा चुनाव भी खासा चर्चित रहा इस चुनाव में जनता पार्टी छायी रही और फूलपुर लोकसभा सीट से बी डी सिंह को टिकट दिया। बी डी सिंह ने भी जनता पार्टी की नैया को पार लगा दिया और जीतकर सांसद बन गए।
1984
में
कांग्रेस
की
वापसी
फूलपुर
लोकसभा
सीट
पर
कांग्रेस
का
तिलिस्म
टूटे
हुए
चार
चुनाव
हो
चुके
थे,
लेकिन
इसी
बीच
प्रधानमंत्री
इंदिरा
गांधी
की
हत्या
हो
गई
।
इस
हत्या
के
बाद
पूरे
देश
में
कांग्रेस
के
प्रति
सहानुभूति
की
लहर
दौड़
गई
और
जिसका
परिणाम
यह
रहा
कि
1984
में
हुए
चुनाव
के
दौरान
कांग्रेस
के
टिकट
पर
रामपूजन
पटेल
ने
एक
बार
फिर
से
फूलपुर
को
कांग्रेस
के
नाम
कर
दिया।
1989
से
1991
रामपूजन
की
हैट्रिक
1984
में
पहली
बार
कांग्रेस
के
टिकट
पर
जीत
दर्ज
करने
वाले
रामपूजन
पटेल
ने
कांग्रेस
का
साथ
अगले
चुनाव
में
छोड़
दिया।
1989
में
जब
फिर
से
लोकसभा
का
चुनाव
हुआ
तब
रामपूजन
पटेल
जनता
दल
में
शामिल
हो
गए
और
जनता
दल
के
टिकट
पर
ही
1989
और
1991
में
लगातार
दो
बार
चुनाव
जीतकर
संसद
पहुंचे
।
रामपूजन
पटेल,
जवाहरलाल
नेहरू
के
बाद
ऐसे
प्रत्याशी
रहे
जिन्होंने
लगातार
फूलपुर
लोकसभा
से
जीत
की
हैट्रिक
लगाई
थी।
हालांकि
उन्होंने
एक
बार
कांग्रेस
से
दो
बार
जनता
दल
से
हैट्रिक
पूरी
की
थी
।
1996 में भी कुर्मी वोट बैंक
फूलपुर लोकसभा सीट पर लगातार कई चुनाव से रामपूजन पटेल की जीत ने यह तो साबित कर दिया था कि फूलपुर लोकसभा सीट को कुर्मी बहुल इलाका कहने और उसकी गुणा गणित के क्या मायने हैं। इसका फायदा उठाते हुए अगले लोकसभा चुनाव में यानी 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बड़ा दांव खेला और इलाके के तेज तर्रार नेता जंग बहादुर पटेल को टिकट दे दिया ।अपनी जमीन छवि का फायदा उठाते हुए जंग बहादुर पटेल ने करिश्माई नेतृत्व दिखाया और पहली बार समाजवादी पार्टी का इस सीट पर खाता खोलते हुए खुद संसद भवन पहुंच गए।
सपा
ने
जीते
चार
चुनाव
फूलपुर
लोकसभा
सीट
पर
1996
के
बाद
लगातार
चार
चुनावों
में
समाजवादी
पार्टी
ने
एकछत्र
राज
किया।
1996,
1998,
1999,
और
सन
2000
में
हुए
चार
चुनाव
में
सपा
के
प्रत्याशियों
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
1996
में
जंग
बहादुर
पटेल
ने
पहली
बार
सपा
का
खाता
खोला
था
,
इसके
बाद
1998
में
भी
जंग
बहादुर
पटेल
ने
लगातार
दूसरी
बार
इस
सीट
से
जीत
हासिल
की।
जंग
बहादुर
पटेल
को
हैट्रिक
लगाने
का
मौका
नहीं
मिला
और
समाजवादी
पार्टी
ने
1999
के
चुनाव
में
जंग
बहादुर
पटेल
की
जगह
स्थानीय
नेता
धर्मराज
पटेल
को
टिकट
दे
दिया
।
धर्मराज
पटेल
भी
फूलपुर
इलाके
के
बड़े
कुर्मी
नेता
थे
और
उसका
उन्हें
फायदा
मिला
।सपा
के
टिकट
पर
वह
जीते
और
सांसद
भवन
पहुंचने
में
सफल
रहे।
2004 में बाहुबली अतीक अहमद की जीत
2004 में फूलपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी की तलाश कर रही थी । उन दिनों बाहुबली अतीक अहमद का नाम जरायम की दुनिया में गूंज रहा था । इलाहाबाद में अतीक की तूती बोल रही थी और वह लगातार विधानसभा चुनाव में जीत पर जीत दर्ज कर रहे थे। समाजवादी पार्टी ने फूलपुर लोकसभा सीट पर बड़ा दांव खेला और अतीक अहमद को टिकट दे दिया अतीक अहमद ने सपा को निराश नहीं किया और फूलपुर के में रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए पहली बार सांसद बने।
2009
में
पहली
बार
बसपा
जीती
2009
में
फूलपुर
लोकसभा
सीट
पर
चुनावी
बिगुल
बजा
तो
बसपा
ने
ब्राम्हण
मतदाताओं
को
रिझाने
के
लिए
पंडित
कपिल
मुनि
करवरिया
को
टिकट
दे
दिया।
चूंकि
बसपा
के
पास
अपने
दलित
वोट
पहले
से
ही
थे
और
एक
लंबे
अरसे
बाद
फूलपुर
इलाके
को
मिले
ब्राह्मण
प्रत्याशी
के
पक्ष
में
ब्राह्मण
मतदाताओं
ने
एकतरफा
वोट
किया।
इसका
असर
यह
रहा
है
कि
कपिल
मुनि
करवरिया
पूरी
तरह
से
फाइट
कर
गए
और
लगभग
15000
वोटों
से
सपा
को
पटकनी
देते
हुए
बसपा
का
परचम
लहरा
दिया।
इतिहास में दर्ज हुआ 2014 का चुनाव
2014 में लोकसभा का चुनाव सही मायनों में ऐतिहासिक था। वर्षों बाद किसी दल को पूर्ण बहुमत से सत्ता मिली थी और पूरे देश में मोदी लहर का जलवा देखने को मिला था। मोदी लहर में प्रत्याशी बनकर आए गुमनाम केशव प्रसाद मौर्य अचानक से चमक गये। फूलपुर के इतिहास में सबसे बड़ी रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करने में केशव सफल रहे। पहली बार फूलपुर लोकसभा सीट पर कमल खिला और केशव प्रसाद मौर्य को कुछ समय बाद ही यूपी भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया। केशव के संसद पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई है जिस पर उपचुनाव होने जा रहा है। इस समय केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद का निर्वाहन कर रहे हैं।
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