चुनावी महाभारत में किसके रथ पर चढ़ेंगे मुलायम, जानिए अखिलेश-शिवपाल क्यों कर रहे 22 नवंबर का इंतजार
लखनऊ, 23 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल हाने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव के बीच सुलह होती नजर नहीं आ रही है। चाचा-भतीजे के बीच चल रहे इस धर्मयुद्ध का अंत मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के दिन हो सकता है क्योंकि शिवपाल यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अभी सुलह की उम्मीद नहीं छोड़ी है। शिवपाल ने यह भी कहा है कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) पहले भी उनके साथ थे और अब भी उनके साथ हैं। हालांकि शिवपाल यादव के एक बेहद करीबी ने बताया कि शिवपाल नेताजी के जन्मदिन को अंतिम उम्मीद के तौर पर देख रहे हैं जो नवम्बर में आने वाला है। उस दिन सारा परिवार एक होगा और हो सकता है वहां से कोई अच्छा संकेत मिल जाए।

दरअसल सपा के संरक्षक और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव का 22 नवंबर को जन्मदिन है। अखिलेश ने कानपुर से और उनके चाचा शिवपाल यादव ने मथुरा वृंदावन से चुनावी बिगुल फूंक दिया है, लेकिन दोनों अलग-अलग रास्तों पर हैं। सवाल ये है कि क्या चाचा भतीजे का रथ 22 नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के यहां रुकेगा? राजनीतिक गलियारे में ये अटकलें लगाई जा रही है कि 22 नवंबर को मुलायम का जन्मदिन है और इस दिन चाचा-भतीजे एक साथ दिखेंगे। ऐसे समय में पूरा परिवार भी मौजूद रहेगा। उम्मीद है कि 22 नवंबर को रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी और दोनों फिर से एक होंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले चाचा- भतीजे में हुआ था विवाद
अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शुरू हुआ पारिवारिक झगड़ा अगले चुनाव के साथ खत्म होता नहीं दिख रहा है। दोनों मंगलवार से राज्य भर में अलग-अलग यात्रा (अभियान जुलूस) शुरू करेंगे। शिवपाल ने समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बीच गठबंधन के लिए अपने भतीजे से संपर्क किया था, लेकिन अखिलेश ने दी गई समय सीमा में कोई जवाब नहीं दिया।

समाजवादी विजय यात्रा से पहले अखिलेश ने लिया था मुलायम का आशीर्वाद
समाजवादी विजय यात्रा शुरू करने से पहले सपा प्रमुख ने दिल्ली में अपने पिता मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लेने के लिए मुलाकात की। अखिलेश अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा कानपुर से शुरू की थी और पहले चरण में 12-13 अक्टूबर को हमीरपुर और जालौन की यात्रा की। बताया जा रहा है कि अखिलेश की यात्रा में संबंधित जिले के केवल एसपी कार्यकर्ता ही शामिल हुए थे। अखिलेश की इस यात्रा के बाद सपा में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अखिलेश और शिवपाल 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों के लिए एक साथ आते हैं, तो इससे समाजवादी पार्टी की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी। काशी विद्यापीठ में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रह चुके एस एन सिंह ने कहा कि,
"2017 के बाद से शिवपाल द्वारा कोई महत्वपूर्ण प्रदर्शन नहीं किया गया है, लेकिन अगर शिवपाल और अखिलेश दोनों एक साथ आते हैं तो समाजवादी पार्टी की मारक क्षमता बढ़ जाएगी। मुलायम को यह बात समझ में आ जाती है लेकिन अखिलेश नहीं देख पाते। मुलायम ने महसूस किया है कि अखिलेश और शिवपाल एक साथ आने की तुलना में अखिलेश अपने दम पर सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। यदि मुलायम अपने बेटे और भाई को एक साथ लाने में सफल हो जाते हैं तो सपा के उभरने की बेहतर संभावना है।"

सपा के लिए लकी मानी जाती है रथयात्रा
समाजवादी पार्टी द्वारा रथ यात्रा को लकी चार्म माना जाता है क्योंकि जब भी अखिलेश यादव किसी एक पर गए हैं, सपा ने राज्य में सरकार बनाई है। पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, रामपुर से पार्टी सांसद आजम खान, सपा नेता राम गोपाल यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की तस्वीरों से सजाया गया था। 'बड़ों का हाथ युवा का साथ' के नारे के साथ इसकी शुरुआत हुई। बस के दूसरी तरफ 'किसान, गरीब, महिला, युवा, करोबारी, सबकी एक आवाज है, हम समाजवादी' (किसान, गरीब, महिलाएं, युवा, व्यापारी) के नारे के साथ तस्वीर लगाई गई थी।
शिवपाल- अखिलेश की यात्रा एक ही दिन क्यों शुरू हुई
हालांकि शिवपाल- अखिलेश की रथयात्रा का कार्यक्रम आपस में टकाराने को लेकर शिवपाल के बेटे आदित्य यादव ने कहा कि इस समय कई अन्य लोग इस तरह के अभियान चलाएंगे। हमारी यात्रा की तारीखों की घोषणा उनकी यात्रा की घोषणा से बहुत पहले की गई थी। हमारी यात्रा मौजूदा सरकार के खिलाफ है। हमारा ध्यान अपनी यात्रा पर है। चुनाव नजदीक हैं और कई अन्य दल अपनी यात्राएं निकाल रहे हैं, चाहे वह समाजवादी पार्टी हो या राष्ट्रीय लोक दल (रालोद)।