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मुख्तार अंसारी: जिसे जेल से ट्रांसफर करने में छूटे दो राज्यों की पुलिस के पसीने, जानिए उसकी क्राइम फाइल

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लखनऊ: अपराधी सरगना से बाहुबली विधायक बने मुख्तार अंसारी को बांदा जेल शिफ्ट करवाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। जब सुप्रीम कोर्ट ने उसे पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया तो ये काम दो-दो राज्यों की पुलिस के लिए भी आसान नहीं था। उसे रोपड़ से बांदा लाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को 150 जवान भेजने पड़े, जिसमें प्रदेश की हाई-प्रोफाइल पीएसी की एक कंपनी भी शामिल है। पुलिस की सात वाहनों में इस गैंगस्टर को पंजाब से यूपी लाने के लिए गई पुलिस टीम ने अपने साथ अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा भी रखा है, ताकि रास्ते में किसी भी चुनौती का मुकाबला किया जा सके। जाहिर है कि जिस गैंगस्टर को सिर्फ एक जेल से दूसरे जेल में शिफ्ट करने के लिए दो-दो राज्यों की पुलिस के पसीने छूटे हैं, वह कोई मामूली अपराधी तो हो नहीं सकता। ये बात अलग है कि वह पिछले दो वर्षों से ज्यादा वक्त से जिस अपराध के सिलसिले में पंजाब की जेल में 'आराम' फरमा रहा था, वह उसके कुख्यात कारनामों की तुलना में कुछ भी नहीं है।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ यूपी समेत बाकी जगहों पर 52 केस दर्ज हैं

मुख्तार अंसारी के खिलाफ यूपी समेत बाकी जगहों पर 52 केस दर्ज हैं

यूपी पुलिस के मुताबिक इस वक्त उत्तर प्रदेश समेत बाकी जगहों पर उसके खिलाफ कम से कम 52 केस दर्ज हैं, जिनमें से 15 तो ट्रायल के स्तर पर है। पंजाब की रोपड़ जेल में वह 2019 के जनवरी से जबरन वसूली के एक सामान्य से केस में बंद था, जिसमें उसने कभी जमानत लेने की भी खास पहल नहीं की है। आरोप तो यहां तक लगाए जाते हैं कि वह यूपी पुलिस से बचने के लिए ही जानबूझकर खुद पर पंजाब में ऐसे मामले दर्ज करवा कर वहीं की जेल में पड़े रहना चाहता था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मंशा पर पानी फेर दिया और आखिरकार उसे बांदा जेल में शिफ्ट होने के लिए मजबूर होना पड़ा। अंसारी फिलहाल यूपी की मऊ विधानसभा से बसपा का विधायक है, जिस सीट पर 1996 से उसका लगातार कब्जा बना हुआ है। इतने वर्षों में उसने कई पार्टियां जरूर बदली हैं और निर्दलीय भी चुनाव लड़ा है, लेकिन उसके हाथ से उसकी विधायकी कभी नहीं गई है।

यूपी की जेल में जाने से क्यों डर रहा था मुख्तार अंसारी?

यूपी की जेल में जाने से क्यों डर रहा था मुख्तार अंसारी?

मुख्तार अंसारी के लंबे क्राइम रिकॉर्ड को खंगालें उससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि आखिर ऐसी क्या स्थिति बन गई थी कि यूपी जाने के नाम पर ही उसके रोंगटे सिहरने लगते थे। दरअसल, यूपी पुलिस ने योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में अपराधियों के खिलाफ बहुत ही सख्त रवैया अपना रखा है। वह ऐसे कुख्यात अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट समेत बाकी कानूनों के तहत ठोस कार्रवाई में लगी हुई है। इसी कड़ी में वह अबतक अंसारी गैंग के 96 अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें से 75 के खिलाफ उसने गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की है। इसके गैंग के 72 अपराधियों के हथियारों के लाइसेंस या तो कैंसिल किए जा चुके हैं या निलंबित कर दिए गए हैं। इस गैंग के 7 ठेकेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में अंसारी और उसके गिरोह से जुड़ी 192 करोड़ की प्रॉपर्टी या तो जब्त की जा चुकी है या उस मुक्त किया जा चुका है या फिर उसे ध्वस्त कर दिया गया है। यानी दशकों में अपने गैंग के दम पर इसने जो अपराध का अपना साम्राज्य खड़ा किया था, उसकी जड़ें उखाड़ी जा चुकी हैं।

मुख्तार अंसारी की हिस्ट्री शीट

मुख्तार अंसारी की हिस्ट्री शीट

अगर अंसारी के आपराधिक रिकॉर्ड को देखें तो क्राइम की दुनिया में उसकी पहली एंट्री 1988 में गाजीपुर में हत्या के एक मामले से ही हुई थी। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश में अपराध का दूसरा नाम बनता चला गया और यह सिलसिला कभी थमने का नाम ही नहीं लिया। उसके बाद कोयले के ठेके को लेकर वर्चस्व की लड़ाई में उसके खिलाफ वाराणसी कैंट थाने में हत्या का दूसरा केस दर्ज हुआ। इस मामले में वाराणसी पुलिस लाइन के एक हेड कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। 1991 में उसके खिलाफ गाजीपुर के दो थानों में हत्या के दो अलग-अलग केस दर्ज हुए। एक में तो वह सबूतों के अभाव में बरी भी हो चुका है, दूसरे में केस कोर्ट में ही पड़ा हुआ है। इसी साल हत्या का ही एक और केस मुगलसराय में भी उसके खिलाफ दर्ज हुआ था। आगे चलकर 1996 में गाजीपुर में उसके खिलाफ 302 का एक और केस दर्ज हुआ।

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोपी

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोपी

इस तरह से एक के बाद उसके खिलाफ हत्या के 18 केस दर्ज हो चुके हैं। वह 29 नवंबर, 2005 को हुई बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोपी है। मुहम्मदाबाद में उनकी हत्या के बाद पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में इसने अपनी बादशाहत कायम कर ली। राय से इसकी खुन्नस की एक वजह ये थी कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में इसके सबसे बड़े भाई सिबगतउल्ला अंसारी को हरा दिया था। जानकारी के मुताबिक कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 से कम से कम 400 राउंड गोलियां बरसाई गई थीं। इस वारदात में राय के अलावा उनका गनर और ड्राइवर के साथ ही कुल 7 लोगों की मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम में राय के शव से 21 गोलियां निकाली गई थीं।

33 साल से अपराध की दुनिया में जुड़ा है नाम

33 साल से अपराध की दुनिया में जुड़ा है नाम

उसके खिलाफ हत्या ही नहीं, हत्या की कोशिश, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आर्म्स ऐक्ट, टाडा, गैंगस्टर ऐक्ट, एनएसए और मकोका के तहत भी कई केस दर्ज हैं। उसका अपराध का दायरा मुख्य रूप से पूर्वी यूपी रहा है। वह तकरीबन 33 साल से आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहा है, इतने में तो कई सरकारी कर्मचारी की रिटायरमेंट की उम्र हो जाती है। उसके खिलाफ हत्या की कोशिश यानी आईपीसी की धारा-307 के भी 10 केस दर्ज हैं। कहते हैं कि कृष्णानंद राय को रास्ते से हटाने के बाद इसने अपने गैंग को विस्तार देना शुरू कर दिया था और बिहार के राजद नेता रहे और हत्या के मामले में सजायाफ्ता शहाबुद्दीन गैंग के साथ भी अपराध का नेटवर्क खड़ा कर लिया। लेकिन, बाहुबल के दम पर इसने ऐसा राजनीतिक संरक्षण हासिल कर लिया है, जो इतने जघन्य अपराधों के बावजूद नेता बनकर अबतक जेल में भी माननीय की जिंदगी ठाठ से गुजारता आया है।

जेल में पूरी सुरक्षा में रहेगा बाहुबली नेता

जेल में पूरी सुरक्षा में रहेगा बाहुबली नेता

बांदा जेल में उसे सुरक्षित रखने के लिए 3 लेयर की सिक्योरिटी इंतजामात किए गए हैं। उसके लिए वहां दो बैरक का इंतजाम किया गया है, जिसे 'तनहाई' सेल कहा जा रहा है। सबसे बाहरी घेरे की सुरक्षा सिविल पुलिस की दो टीमों के जिम्मे होगी, जिनमें से प्रत्येक में एक सब-इंस्पेक्टर और 10 हथियारबंद कॉन्सटेबल शामिल होंगे। दूसरे घेरे में एंट्री प्वाइंट पर लगे स्पेशल सीसीटीवी कैमरे होंगे जिसकी निगरानी 24 घंटे 5 जेल अधिकारियों की टीम के जिम्मे होगी। तीसरी और सबसे भीतरी घेरे में जेल वॉर्डनों की टीम शामिल होगी। यही नहीं अगर जरूरत पड़ी तो इस अपराधी सरगना की सुरक्षा और भी बढ़ाई जा सकती है।

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English summary
Gangster-turned-politician BSP MLA Mukhtar Ansari's crime record in UP and other state
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