मुरादाबाद: बसपा प्रत्याशी ने स्टिंग में कबूला, चुनाव में खर्च हुए चार करोड़
स्टिंग में बीएसपी उम्मीदवार अतीक अहमद सैफी कहते दिखाई दे रहे हैं कि उनके चार करोड़ से अधिक हो गए हैं। वो पिछले दो साल से अधिक समय से प्रचार में जुटे हैं।
मुरादाबाद। भले ही जिले में चुनाव निपट गया हो लेकिन एक टीवी चैनल पर चले बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार के स्टिंग से हड़कंप मच गया है। मुरादाबाद शहर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अतीक अहमद सैफी ने स्टिंग के दौरान कबूल किया है कि अब तक उनका इस चुनाव में चार करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो गए हैं। इसमें टिकट मिलने का पैसा भी शामिल है। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि कितना पैसा टिकट के लिए गया। स्टिंग प्रसारित होने के बाद ही शहर के सियासी माहौल में हड़कंप मच गया क्योंकि यहां चुनाव भले ही संपन्न हो गया हो लेकिन अभी कुछ चरणों के मतदान बाकी हैं।
स्टिंग से बढ़ी बीएसपी उम्मीदवार की मुश्किलें
दूसरी ओर जो खर्च का ब्यौरा अतीक अहमद सैफी ने दिया है वो चुनाव आयोग की ओर से उम्मीदवारों के लिए तय खर्च से कई गुना ज्यादा है। इस बीच स्टिंग सामने आने के बाद जिले के डीएम ने चैनल से स्टिंग की सीडी मांगी है। उन्होंने मामले की जांच कर इसे चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। इस बीच स्टिंग के टीवी पर आने के बाद मचे हड़कंप के बीच बीएसपी उम्मीदवार अतीक सैफी ने पूरे घटनाक्रम को अपने खिलाफ साजिश बताया है। जानकारी के मुताबिक निजी चैनल की स्टिंग करने वाली टीम प्रचार कंपनी बनकर बीएसपी उम्मीदवार अतीक सैफी के पास पहुंची। उनसे बातों ही बातों में टीम ने चुनाव प्रचार और चुनाव में हुए खर्च को कबूल करा लिया।
इस दौरान खुद अतीक सैफी कहते दिखाई दे रहे हैं कि उनके चार करोड़ से अधिक चुनाव में खर्च हो गए हैं। वो पिछले दो साल से अधिक समय से प्रचार में जुटे हैं, जिसमें इतने पैसे खर्च हो गए। इसमें मीडिया में विज्ञापन और दूसरे खर्चे सहित टिकट का पैसा शामिल है। हालांकि टिकट के लिए कितना पैसा दिया ये नहीं बताया। स्टिंग की जानकारी के बाद जिलाधिकारी ने इस मामले में चैनल से सीडी मांगी है और इसकी जांच की बात कही है। दूसरी ओर बसपा नेताओं ने अभी इस मामले पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया है। जिला अध्यक्ष समेत कई नेताओं का फोन नहीं उठा। ज्यादातर ने मामले से अनभिज्ञता जताई। फिलहाल ये मामला पूरे शहर में चर्चा का विषय जरुर बना हुआ है, साथ ही प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे के गए चुनावी खर्च पर भी सवाल खड़े कर रहा है।