नीम के पेड़ से कहीं बहा पानी और कहीं दूध, दैवीय कृपा मान भरने की होड़, वैज्ञानिक बोले- 'ट्यूमर है पेड़ में'
उत्तर प्रदेश के दो अलग अलग ज़िलों से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमे एक प्राकर्तिक घटना को चमत्कार का रूप देकर नीम के पेड़ की पूजा अर्चना तो की ही जा रही है बल्कि चढ़ावा भी चढ़ाया जा रहा है।
हिंदू धर्म का प्रकृति से गहरा नाता है। वृक्षों को हिंदू धर्म में पूजा जाता है। वृक्ष लगाने को भी पुण्य माना जाता है। यही नहीं, बल्कि धर्म शास्त्रों में भी सभी तरह के वृक्ष और उनके महत्व की विवेचना की गई है। मान्यता है कि जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है। इसलिए वृक्षों की पूजा अर्चना भारत में एक आम बात है। लेकिन उत्तर प्रदेश के दो अलग अलग ज़िलों से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमे एक प्राकर्तिक घटना को चमत्कार का रूप देकर नीम के पेड़ की पूजा अर्चना तो की ही जा रही है बल्कि चढ़ावा भी चढ़ाया जा रहा है।
नीम के पेड़ से टपक रहा है पानी, इलाज के लिए भरकर ले जा रहे हैं लोग
दरअसल,
पहली
घटना
है
यूपी
के
जनपद
मिर्ज़ापुर
के
रेलवे
स्टेशन
की,
जहां
पिछले
दो
महीने
से
रेलवे
स्टेशन
के
दक्षिणी
निकास
द्वार
परिसर
में
मौजूद
नीम
के
पेड़
से
अकस्मात्
पानी
टपकने
लगा।
लोगों
में
इस
बात
की
चर्चा
होने
लगी
और
देखते
ही
देखते
नीम
के
पेड़
से
टपक
रहे
पानी
को
लेने
के
लिए
लोगों
की
होड़
मच
गई।
असल
में
नीम
का
पेड़
औषधीय
गुणों
से
परिपूर्ण
होता
है
इसलिए
लोगों
का
मानना
है
कि
इस
टपकते
पानी
से
कई
रोगों
का
इलाज
हो
सकता
है
और
इसलिए
ही
लोग
इसे
बोतलों
में
भरकर
ले
जा
रहे
हैं।
बिछा
रखी
है
पन्नी,
भारी
संख्या
में
आते
हैं
लोग
स्थानीय
लोगों
का
कहना
है
कि
इस
पानी
को
भरने
के
लिए
भारी
संख्या
में
लोग
आते
हैं।
पानी
इकट्ठा
नहीं
हो
पाता
है
उसके
पहले
ही
लोग
भरने
लगते
हैं।
शुगर,
बुखार
जैसे
रोगों
में
नीम
का
पानी
कारगर
साबित
हो
रहा
है।
वहीं
कुछ
लोगों
का
मानना
है
कि
नीम
के
पेड़
में
देवी
का
वास
होता
है।
देवी
की
कृपा
से
यह
पानी
टपक
रहा
है।
उसे
ले
जाकर
लोग
ग्रहण
कर
रहे
हैं
और
उन्हें
रोगों
से
मुक्ति
भी
मिल
रही
है।
टपक
रहे
पानी
को
इखट्टा
करने
के
लिए
वकायदा
लोगों
ने
पॉलिथीन
बिछा
रखा
है।
जिससे
पानी
पॉलिथीन
में
इकट्ठा
हो
जाता
है
और
लोग
प्लास्टिक
के
छोटे
से
कप
से
पानी
उठाकर
बोतल
में
भर
लेते
हैं।
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नीम के पेड़ से बह रही दूध की धारा, प्रसाद समझ कर पी रहे हैं लोग
वही दूसरी घटना यूपी के बलरामपुर ज़िले के रामपुर अरना बाजार से जाने वाली रोड मौजा( भिरवा) के ग्राम सभा घोरिया पुर की है। यहां के निवासी सेव तिवारी (दिनेश तिवारी) के यहां लगे नीम के पेड़ से पिछले 1 महीने से दूध की धार बह रही है। दूध की धार लगातार बहते हुए देखकर श्रद्धालु गढ़ वहां पर उपस्थित हुए और मां शीतला जी के आगमन की खुशी में सभी मिलकर मां काली जी का भजन कीर्तन करने लगे। भजन कीर्तन में दूर दूर से आए हुए तमाम लोगों ने नीम के पेड़ से दूध की धार को प्रसाद समझ कर चरणामृत के रूप में पिया और अगरबत्ती धूप मालाओं सहित पूजा अर्चना की।
चमत्कार है या बीमारी ? जानिये वैज्ञानिक कारण
तो
यह
थे
दो
अलग
अलग
मामले
जिसमे
नीम
के
पेड़
से
बह
रहे
पानी
या
दूध
जैसे
पदार्थ
को
लोग
प्रसाद
समझ
कर
ग्रहण
कर
रहे
हैं
या
दवाई
के
तौर
पर
मरीजों
को
पिला
रहे
हैं।
अब
जानते
हैं
इसका
वैज्ञानिक
कारण
क्या
है?
पेड़
भी
होते
हैं
बूढ़े
इस
पूरे
मामले
पर
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण
के
लिए
जब
हमने
देहरादून
स्थित
एफआरआई
(FRI)
की
पीएचडी
छात्रा
अक्षिता
गौड़
से
बात
की
तो
उन्होंने
और
उनके
अन्य
साथी
विद्यार्थियों
ने
इसका
स्पष्ट
वैज्ञानिक
कारण
बताते
हुए
कहा
कि
यह
एक
तरीके
के
बैक्टीरियल
इन्फेक्शन
के
कारण
होता
है।
जिन
पेड़ों
की
उम्र
काफी
ज्यादा
हो
जाती
है,
वह
पेड़
आसानी
से
बैक्टीरियल
इन्फेक्शन
के
शिकार
हो
जाते
हैं।
आसान
भाषा
में
कहें
तो
जैसे
इंसानो
में
बुजुर्गों
को
जल्दी
इन्फेक्शन
पकड़
लेता
है
ठीक
वैसे
ही
पेड़
पौधों
को
भी
ज्यादा
उम्र
होने
पर
इन्फेक्शन
होते
हैं।
पेड़
को
भी
होता
है
ट्यूमर
थोड़ा
विस्तार
में
जानकारी
देते
हुए
उन्होंने
बताया
कि,
वैसे
तो
नीम
के
पेड़
के
एंटी
बैक्टीरियल
इफ़ेक्ट
या
एंटी
माइक्रोबियल
इफ़ेक्ट
काफी
जाने
जाते
है
मगर
पेड़
में
अगर
कोई
जख्म
या
वूंड
है
और
पेड़
की
उम्र
भी
ज्यादा
है
तो
उसी
जख्म
के
रास्ते
बैक्टीरिया
पेड़
में
पहुंच
जाता
है
और
इस
तरह
की
बीमारी
पेड़
को
हो
जाती
है।
जख्म
यानी
जैसे
किसी
ने
कील
ठोक
दी,
कुल्हाड़ी
मार
दी
या
किसी
अन्य
कारण
से
पेड़
में
घाव
हो
जाए।
उन्होंने
ही
उन्होंने
बताया
कि
मिर्ज़ापुर
वाली
घटना
में
जो
बैक्टीरियल
इन्फेक्शन
है
उससे
पेड़
में
ट्यूमर
बन
गया
है।
इसी
ट्यूमर
में
पानी
एकत्रित
होता
है
जो
धीरे
धीरे
टपकता
है।
क्या है नीम के पेड़ से बह रहे सफ़ेद पानी का वैज्ञानिक कारण
वहीं
अगर
बात
करें
बलरामपुर
में
नीम
के
पेड़
से
निकल
रहे
सफ़ेद
पानी
की
तो
रीसर्च
कहती
है
कि
इस
सफ़ेद
पानी
को
नीम
एक्सूडेट
(
Neem
exudate
)
या
तौड़ी
(
Toddy
)
भी
कहते
हैं।
यह
नीम
के
पेड़
में
दो
डालियों
या
ब्रांचेज
के
बीच
में
पहले
से
मौजूद
होता
है।
इस
केस
में
भी
पेड़
की
उम्र
ज्यादा
हो
जाने
की
वजह
से
यह
बाहर
रिसने
लगता
है।
हालांकि,
सभी
नीम
के
पेड़ों
में
ऐसा
नहीं
होता
है।
पर
कुछ
पेड़ो
में
यह
प्रक्रिया
कई
बार
देखी
गई
है।
रिसर्च
में
बताया
गया
है
कि
शुरुवात
में
इस
सफ़ेद
पानी
का
रिसाव
बहुत
तेज़ी
से
होता
है
फिर
थोड़ा
हल्का
पड़ता
है
और
बाद
में
बंद
हो
जाता
है।
यह
प्रक्रिया
लगभग
एक
महीने
तक
चलती
है।
वैसे
रिसर्च
में
इसे
एक
बेहतरीन
ब्लड
प्यूरीफायर
भी
बताया
गया
है
जो
की
कई
प्राचीन
दवाओं
और
नुस्खों
में
भी
इस्तेमाल
किया
जाता
था।
इसके
साथ
ही
यह
लेप्रोसी
(
leprosy
)
और
कई
अन्य
बीमारियों
में
बेहद
ही
फायदेमंद
भी
बताया
गया
है।