कटिया में फंसाकर मछली की तरह निकाला मामूम का शव, जगह-जगह से लटक गए मांस के लोथड़े
मिर्जापुर। मिर्जापुर जिले के सुदूर लालगंज थाना के बनकी ग्राम पंचायत के सहरसा मजरे में सोमवार को बोरवेल में गिरी दो वर्ष की बच्ची को निकालने में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया। प्रशासन ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर कटिया फंसा-फंसाकर मासूम के शरीर को छलनी कर दिया। बच्ची को बोरिंग से बाहर निकालने में सभी अमानवीय तरीकों का प्रयोग किया गया। बाहर निकलने के बाद बच्ची का क्षत-विक्षत शव देखकर हर कोई हतप्रभ रह गया। अत्याधुनिक तकनीकी के युग में बोरिंग के अंदर गिरी बच्ची को निकालने में मछली फंसाने जैसे देशी तकनीकी का प्रयोग किए जाने पर हर कोई अंदर से दुखी हुआ।
गहरे बोरवेल में 30 फीट पर फंसी थी दो साल की मासूम
सहरसा गांव के सूर्यलाल कोल के घर से दो सौ मीटर दूरी पर सोमवार की दोपहर बाद तीन बजे उनकी दो वर्ष की बच्ची दीपांजलि नौ इंच के बोरवेल में गिर गई। मां ने शोर मचाकर इलाके के लोगों तक अपनी गुहार पहुंचा दी। कई गांवों के लोगों के साथ पुलिस और एनडीआरएफ की टीम, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को निकालने की कवायद शुरू कर दी।
मछली की तरह बच्ची को बार-बार कटिया में फंसाते रहे
सहरसा गांव में बोरवेल में गिरी बच्ची को निकालने में बार-बार मछली की तरह बच्ची के शरीर में कटिया फंसाया जाना अमानवीयता की हदें पार करने के जैसा है। अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग करने के बजाय सामान्य प्रक्रिया अपनाई गई। एनडीआरएफ के आते ही पुलिसकर्मियों ने बोरिंग को घेरकर बैरिकेडिंग करके ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों को वहां से दूर कर दिया गया। इसके बाद टीम की ओर से मनमानी कवायद शुरू कर दी गई। बार-बार कटिया फंसाने का विरोध करने वालों को भी डांट डपटकर शांत करा दिया जाता रहा लेकिन कोई बोलने वाला नहीं था। इसलिए ग्रामीणों में पुलिस और प्रशासनिक कवायद को लेकर आक्रोश देखा गया।
साढ़े तीन घंटे बाद बोरवेल में दी गई ऑक्सीजन की सप्लाई
अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी कालेज में 30 बच्चो की मौत के बाद एक बार फिर लालगंज के सरहसा गांव में बोरवेल के अंदर लापरवाही के चलते दो वर्षीय बालिका के मौत के बाद एक बार फिर समय से ऑक्सीजन सप्लाई का मुद्दा गरमा गया है। बोरवेल में 30 फीट नीचे फंसी बालिका को साढ़े तीन घंटे बाद ऑक्सीजन दिया गया, जबकि पहला काम ऑक्सीजन देने का होना चाहिए था। जिससे उसका दम न घुटे।
सिपाही ने कहा पोस्टमार्टम के खर्चे का कर लेना इंतजाम
गरीब माता-पिता अपनी मासूम पुत्री को खोने के बाद बेसुध अस्पताल परिसर में पोस्टमार्टम होने का इंतजार कर रहे थे। इस बीच मानवीय संवेदना खो चुकी पुलिस सुबह फोन कर पोस्टमार्टम में खर्चे के इंतजाम के लिए कहती रही। जिस नंबर से फोन आया वह चौकी प्रभारी पटेहरा का था। उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई मामला नहीं है, सिपाही ने फोन किया होगा।
बैठक के चक्कर में चला गया मासूम का जीवन
जिला पंचायत सभागार में ग्राम्य विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सहित चार मंत्रियों की मौजूदगी में विंध्याचल और इलाहाबाद मंडल में जल को बचाने के लिए हो रही बैठक के चक्कर में मासूम बच्ची का जीवन चला गया। शायद यह बैठक न हुई होती तो अधिकारियों का दल जल्दी मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कर दी गई होती तो बच्ची की जान बच सकती थी।
एक सप्ताह पूर्व बंद कर दिया होता बोरवेल तो जिंदा होती दीपांजलि
आखिरकार बोरवेल ने बालिका की जान ले ली। एक सप्ताह पूर्व बोलवेल को बंद करा दिया गया होता तो दीपांजलि जिंदा होती। दीपांजलि के पिता सुर्यलाल ने बताया कि घर के पास वाहिद और उसके भाई इदरीश से कई बार बोरवेल को बंद कराने के लिए कहा था। दोनों भाईयों ने तीन बोर कराया है। इसमें दो में पानी आता है। तीसरे में पानी न आने पर तीन माह से खुला छोड़ा था। बोरवेल खुला होने के कारण कई बार उसे बंद कराने को कहा गया। आखिर कार बोरवेल ने दीपांजलि की जान ले ली
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