मिलिए टीम मोदी के उस शख्स से जिसने आज तक नहीं ली सैलरी, जानिए क्यों?
तीन सालों से उन्होंने विधयकों को मिलने वाली सैलरी का एक भी पैसा नहीं लिया है। 36 महीनों में करीब 18 लाख रुपए इन्होंने काशी के मोहल्लों पर खर्च किया है।
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहर काशी में बीजेपी ने जिन आठ सीटों पर अपनी जीत दर्ज कराई है उसमें एक विधायक ऐसा भी है जिसने अपने पिछले कार्यकाल में न तो अपना वेतन लिया और ना ही विधायक निधि में आने वाली कोई सेवा ली। बल्कि इसने अपने पैसे से ही विधानसभा की सेवा की है। वाराणसी के शहर उत्तरी विधानसभा सीट से जीतने वाले विधायक रविंद्र जायसवाल ने अपने पिछले विधायक के सफर में ऐसा ही किया है और इसकी वजह है कि इन्होंने अपने पिता से ये वादा किया था कि वो अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी सरकारी पैसा नहीं लेंगे। तब जाकर इन्हें राजनीति में आने की परमीशन मिली थी।
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आज तक सैलरी का एक रुपया भी नहीं ले गए घर
शहर उत्तरी के विधायक रविंद्र जायसवाल ने समाज में एक मिशाल पेश की है। तीन सालों से उन्होंने विधयकों को मिलने वाली सैलरी का एक भी पैसा नहीं लिया है। 36 महीनों में करीब 18 लाख रुपए इन्होंने काशी के मोहल्लों पर खर्च किया है। करीब 300 मोहल्लों में 600 से ऊपर बिजली के खंभों और दूसरी सुविधाओं पर खर्च किया गया है। रविंद्र जायसवाल ने बताया कि उन्होंने विधानसभा सचिव को पत्र लिखकर आगे मिलने वाली पूरी तनख्वा को आपदा संबंधित कार्यों में लगाने को कहा है साथ ही दो महीने की तनख्वा नेपाल त्रासदी में देने के लिए भी पत्र लिखा है। जनता के लिए समर्पित विधायक रविंद्र जायसवाल की पहल पर पीएम मोदी ने भी 871 करोड़ रुपए काशी में बिजली व्यवस्था को सुधारने के नाम पर स्वीकृति दे दी है।
रविंद्र के प्रयास में पीएम मोदी ने भी निभाई अहम भूमिका
उन्होंने बताया कि वाराणसी की खराब और जर्जर बिजली व्यवस्था को लेकर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संपर्क में थे। अच्छी पहल पर उन्होंने इसके लिए 871 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत गांवों के लिए 300 करोड़ और आईपीडीएस योजना के तहत शहर के लिए 571 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हुआ है। पूरे शहर में खंभों और विद्युत तारों की व्यवस्था की जाएगी। हर गांव में बिजली पहुंचेगी।
पति ने पेश की है मिसाल- पत्नी अंजू जायसवाल
पत्नी अंजू जायसवाल ने बताया कि उनके पति राजनीति का एक भी पैसा कभी घर नहीं ले गए। अंजू का कहना है कि अगर हम सक्षम हैं तो राजनीति के पैसे की असली हकदार जनता है। अंजू ने बताया कि शादी के बाद ही ये तय हो गया था कि राजनीति से अगर पैसा घर आया तो भी समाजसेवा में ही लगेगा। अंजू का मानना है कि उनके पति राजनेता नहीं बल्कि समाजसेवक हैं। बेटी सांभवी अनपे पिता के इस काम से गौरवांवित हैं।
पिता ने कहा था राजनीति का पैसा कभी घर मत लाना
विधायक रविंद्र जायसवाल ने बताया कि बनारस में ही उनका जन्म हुआ और यहां से ही उन्होंने बीए, एलएलबी की। आगे कि शिक्षा उनकी काशी में हुई। रविंद्र जायसवाल के पिता जी संघ के कार्यसेवक थे। उनका सपना था कि बेटा बिना राजनीति के समाज में जनता की सेवा करे। रविंद्र ने बताया की 2002 में उन्होंने पिता से पहली बार चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की तो पिता जी ने मना कर दिया। लेकिन बाद में उन्होंने 10 लाख रुपए देते हुए स्वयं ही स्वीकृति दे दी बाद में बुलाकर एक वादा करवाया कि राजनीति में कमाया धन घर नहीं लाओगे। उन्हीं की बातों को मानकर तीन सालों से रविंद्र ने अपनी सैलरी का एक रुपया भी खुद पर खर्च नहीं किया है।
स्वास्थ्य बीमा के पैसे से लगवाए खंभे
रविंद्र जायसवाल ने बताया कि क्षेत्र की जनता खराब बिजली के खंभों और तारों से परेशान थी। सरकारी मदद में बिजली के एक खंभे की कीमत दस हजार थी। इस पर रविंद्र ने अपनी तनख्वा से 600 से ऊपर खंभे लगवाए जिसे 2200 रुपए प्रति खंभे उसी कंपनी से खरीदे और लगवाए। आज भी जिसे जरूरत होती है वो अपने इलाके की परिस्थितयों को बताकर इनके पास से खंभा लेकर खुद लगता है जिसके लिए बकायदा जांच की प्रक्रिया भी की जाती है। रविंद्र की स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत आने वाले पैसे का इस्तेमाल भी गरीबों के इलाज और उनके परिवार के विवाह पर किया जाता है।
सुर्खियों में हैं ये विधायक, मिल सकता है मंत्रिमंडल में स्थान!
वाराणसी के शहर उत्तरी से दोबारा विधायक बने रविंद्र जायसवाल ने इस बार अपने निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन उम्मीदवार हाजी समद अंसारी को 45,502 मतों से हराकर है और इसके बाद इन्होंने अपने काम से अपने विधानसभा सहित प्रधानमंत्री के रिंग रोड परियोजनाओं में भी उपस्थिति दर्ज कराई है। ऐसे में काशी के शहर उत्तरी विधायक रविंद्र जायसवाल को इस बार के उत्तर प्रदेश सरकार की टीम में अहम् जिम्मेदारी मिल सकती हैं। जब रविंद्र से OneIndia मुद्दे पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार में उनको जो भी भूमिका मिलेगी वो अपनी कर्मठता का वहां पूरा इस्तेमाल करेंगे।
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