Mainpuri Loksabha By Election: अखिलेश की टेंशन बढ़ाएंगे ओम प्रकाश राजभर ?
Mainpuri Loksabha By Election: उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर पूरे यूपी ही नहीं देश की निगाहें टिकी हैं। मैनपुरी को मुलायम का गढ़ माना जाता था। उनके निधन के बाद अब अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस सीट पर जीत हासिल करने की है। मैनपुरी उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस ने उम्मीदवार न उतारने का निर्णय लिया है जबकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ मिलकर बीजेपी से दो दो हाथ करने वाले सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मैनुपरी में उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। हालांकि देखना होगा कि वो मैनपुरी में वह अखिलेश का कितना नुकसान कर पाएंगे।
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मैनपुरी में नहीं है राजभर का कोई जनाधार
ओम प्रकाश राजभर का ज्यादा प्रभाव पूर्वांचल में माना जाता है। पूर्वांचल के करीब दर्जनभर जिलों में उनका वोट बैंक है लेकिन मैनपुरी में उनका कोई अपना जनाधार नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मैनपुरी में वह एक प्रतिकात्मक साबित हो सकते हैं क्योंकि वहां चुनाव बीजेपी-सपा के बीच ही होगा। राजभर ने मैनपुरी उपचुनाव में उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है जिसको लेकर अखिलेश सतर्क हो गए हैं। सपा के एक नेता ने बताया कि चुनाव में किसी को कम आंकने की भूल करना ठीक नहीं। चुनाव लड़ना सबका अधिकार है । हर कोई चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है।
विधानसभा चुनाव बाद टूट गया था अखिलेश-राजभर का गठबंधन
इसी साल के शुरुआत में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में यूपी का सियासी समीकरण एकदम अलग नजर आ रहा था। ओम प्रकाश राजभर अखिलेश के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे और बीजेपी को कमजोर करने के दावे कर रहे थे। चुनाव में सपा की सरकार नहीं बनी तो राजभर ने पाला बदल लिया और अब वो बीजेपी के नजदीक आ गए हैं। बीजेपी अब उनको अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रही है। हालांकि अक्टूबर में राजभर ने लखनऊ से पटना तक सावधान यात्रा निकाली थी लेकिन इसका कितना फायदा होगा यह तो आने वाला समय बताएगा।
आजमगढ़ उपचुनाव में अखिलेश के साथ थे ओम प्रकाश राजभर
उत्तर प्रदेश में कुछ महीने पहले ही आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में राजभर ने समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार किया था। यहां भी बीजेपी ने सपा को हरा दिया जिसके बाद राजभर ने अखिलेश से अलग होने का बहाना ढूंढ लिया। राजभर ने अखिलेश पर आरोप लगाया था कि जब तक वह एसी कमरे से बाहर निकलकर प्रचार नहीं करेंगे तब तक सपा का भला नहीं होगा। दरअसल उपचुनाव में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में प्रचार नहीं किया था। इसलिए उनपर इस बात के आरोप लगे की उन्होंने इस चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया था।
विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ मिलकर बीजेपी को दी टक्कर
यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन किया था। चुनाव के नतीजे आने के बाद राजभर ने अपने सुर बदल लिए। राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने शिवपाल यादव के साथ मिलकर बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था। इस चुनाव के बाद अखिलेश और राजभर के बीच दूरियां बढ़ गईं थीं। बाद में यह फासला ऐसा बढ़ा कि ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ मिलकर राजभर की पार्टी ने 6 सीटें जीतीं थीं।
UP के 19 जिलों से निकली थी राजभर की सावधान यात्रा
राजभर ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा विद्रोह और त्याग का जवाब सावधान यात्रा के जरिये देने की कोशिश की है। 26 सितंबर को लखनऊ से शुरू होने वाली सावधान यात्रा का मकसद अपने कैडर को एकजुट करने की थी। यह यात्रा लखनऊ, अंबेडकर नगर, वाराणसी, आजमगढ़, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, कुशीनगर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, गोरखपुर, महाराजगंज, चंदौली, मऊ और गाजीपर-बलिया सहित पूर्वी यूपी के 19 जिलों से होकर गुजरी थी। यात्रा का समापन 27 अक्टूबर को एसबीएसपी के स्थापना दिवस के अवसर पर पटना में हुआ था।
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