वो दलबदलू जिन्होंने चांदी काटी
वो बड़े नेता जिन्होंने इस बार चुनाव से पहले दल बदले और खूब फ़ायदे में रहे.
इन विधानसभा चुनावों में दलबदलुओं की चांदी रही. जिन्होंने अपनी पूर्व पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामा और उन्हें जीत भी मिली.
यह पंजाब, उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक में देखने को मिला. हम आपको वैसे प्रत्याशियों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने दल बदलने के बाद जीत हासिल की.
नवजोत सिंह सिद्धू
चुनाव के ठीक पहले सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था. बीजेपी से नाराज़गी के बाद सिद्धू के आम आदमी पार्टी के साथ आने की चर्चा थी लेकिन आख़िर में वह कांग्रेस के साथ गए.
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सिद्धू ने कांग्रेस के टिकट पर अमृतसर विधानसभा से चुनाव लड़ा और वह जीतने में कामयाब रहे. पंजाब में कांग्रेस को बहुमत मिला है.
रीता बहुगुणा जोशी
रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कद्दावर ब्राह्मण नेता मानी जाती थीं लेकिन चुनाव से ठीक पहले वह पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई थीं.
जोशी ने बीजेपी के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ा और वह जीतने में कामयाब रहीं. रीता ने मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव को हराया.
स्वामी प्रसाद मौर्या
स्वामी प्रसाद मौर्या उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के पिछड़ी जाति बड़े नेता थे. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष थे.
चुनाव के ठीक पहले मौर्या ने बहुजन समाज पार्टी को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.
वह अभी पडरौना विधानसभा से काफी आगे चल रहे हैं. हालांकि ऊंचाहार से इनके बेटे उत्कर्ष मौर्या समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मनोज कुमार पांडे से पीछे चल रहे हैं.
सौरभ बहुगुणा जोशी
सौरभ बहुगुणा जोशी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जोशी के छोटे बेटे हैं.
अपने पिता की बीजेपी में एंट्री के साथ ही उनका भी बीजेपी में आगमन हो गया था. बीजेपी ने सौरभ को उत्तराखंड में सितारगंज से टिकट दिया था. सौरभ इस सीट से जीत चुके हैं.