यूपी: खराब हैंडराइटिंग पर भड़के जज ने डॉक्टर की कोर्ट में लगाई क्लास, 5 हजार रुपए का लगाया जुर्माना
बहराइच। यूपी के बहराइच से कोर्ट व डॉक्टर से जुड़ा एक अजीब मामला सामने आया है। इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच इमरजेंसी में तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉ. रमाशंकर गुप्ता पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। डॉक्टर की खराब हैंडराइटिंग से परेशान होकर कोर्ट ने यह फैसला लिया है। बता दें कि डॉक्टर गुप्ता ने दहेज व हत्या मामले में एक महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट को जब कोर्ट में पेश किया गया तब कोर्ट ने इसे पढ़ने योग्य नहीं माना जिस कारण परेशान होकर कोर्ट ने डॉक्टर पर जुर्माना लगा दिया।
लखनऊ खंडपीठ ने लगाया जुर्माना
बताया जा रहा है इन दिनों डॉक्टरों की खराब लिखावट की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट परेशान है। जिसके चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच इमरजेंसी में तैनात मेडिकल अफसर डॉ रमाशंकर गुप्ता पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है। एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डॉक्टर पर जुर्माना लगाया है।
इस सुनवाई के दौरान जज को आया गुस्सा
यह जुर्माना कोर्ट ने एक जमानत याचिका के सुनवाई के दौरान लगाया। याची शिवपूजन पर दर्ज एफआईआर के अनुसार उसका विवाह 6 साल पहले हुआ था। दहेज की मांग पूरी ना कर पाने की वजह से शिवपूजन का परिवार उसकी पत्नी के साथ मारपीट करता था। जिसके बाद मायके वाले अपनी बेटी को वापस ले गए जिसके कुछ दिन बाद ससुराल वालों ने सुलह कर महिला को वापस ले गए। इसके कुछ दिन बाद मायके वालों को उनकी बेटी की मौत की सूचना मिली। डॉक्टरों ने जब शव का पोस्टमॉर्टम किया तो गला दबाकर मारने की बात सामने आई। ऐसी परिस्थिति में न्यायधीश अनंत कुमार ने आरोपी शिवपूजन की जमानत खारिज कर दी। वहीं जज ने इस मामले में खराब लिखावट के साथ रिपोर्ट बनाने वाले डॉक्टर को इस मामले में तलब कर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया।
काम के बोझ की वजह से खराब हो जाती है लिखावट
कोर्ट में डॉ. गुप्ता ने अपनी सफाई में कहा कि काम के अधिक बोझ के बढ़ जाने के कारण उनकी लिखावट खराब हो जाती है। इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाते समय ऐसा हो जाता है। जिसके बाद जस्टिस अनंत कुमार ने डॉ गुप्ता के इस तर्क को नकारते हुए असंतोषजनक बताया। न्यायधीश ने कहा कि समय-समय हाईकोर्ट और प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे पोस्टमॉर्टम व घायलों की रिपोर्ट ऐसी लिखें, जिसे कम से कम पढ़ा तो जा सके। ऐसा करने से त्वरित न्याय में आसानी होगी और मामलों का जल्द निस्तारण होगा।
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