अखिलेश यादव-ओम प्रकाश राजभर के बीच बढ़ रही तल्खी किस ओर कर रही इशारा, जानिए
लखनऊ, 6 जुलाई : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सपा के चीफ अखिलेश यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के बीच तल्खी दिनो दिन बढ़ती जा रही है। इस मतभेद की क्या वजहें हैं या दोनों के बीच मतभेद पैदा करने की पटकथा कहीं और से लिखि जा रही है। अखिलेश यादव ने मंगलवार को ऐसा क्यों कहा कि आजकल की राजनीति वह नहीं है जो आप देखते हैं। कई बार राजनीति पीछे से संचालित होती है। आखिर अखिलेश यादव किसकी तरफ इशारा कर रहे थे। क्या ओम प्रकाश राजभर के साथ संबंधों में वाकई खटास आ गई है या जैसा दिख रहा है वैसा कुछ भी नहीं है।
मायावती के साथ गठबंधन को लेकर क्यों बिफरे अखिलेश
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के सुझाव को खारिज कर दिया कि उन्हें अगले लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती के साथ गठबंधन के लिए तैयार रहना चाहिए। अखिलेश ने कहा कि उन्हें किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद से ही जिस तरह से अखिलेश और ओम प्रकाश राजभर के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है उससे लगता है कि अंदरखाने सबकुछ सही नहीं चल रहा है।
किसी के परेशान होने के बारे में कुछ नहीं कर सकता
अखिलेश ने मंगलवार को अपनी पार्टी के सदस्यता अभियान के शुभारंभ पर एसबीएसपी के साथ मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर कहा, "आजकल, राजनीति वह नहीं है जो आप देखते हैं। कई बार, राजनीति पीछे से संचालित होती है। हालांकि एसबीएसपी प्रमुख ओ.पी. राजभर के असंतोष के बारे में पूछे जाने पर, अखिलेश ने चुटकी ली कि वह किसी के परेशान होने के बारे में कुछ नहीं कर सकते।
राजभर ने अखिलेश को लेकर उठाए थे गंभीर सवाल
दरअसल राजभर, जिनकी पार्टी सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है, ने 29 जून को कहा था कि अखिलेश अपने पिता, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की कृपा से ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी पार्टी ने 2014 के बाद से ही कोई चुनाव नहीं जीता है। एसबीएसपी प्रमुख ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रचार नहीं करने को लेकर भी अखिलेश की आलोचना की थी।
उपचुनाव में बिना कमांडर के लड़ रही थ सपा की सेना
राजभर ने कहा था कि उन्होंने लगभग 300 कार्यकर्ताओं के साथ आजमगढ़ में प्रचार किया, लेकिन सपा की "सेना बिना कमांडर के लड़ रही थी"। उन्होंने कहा, 'मैं वहां 12 दिन रहा... हम लड़ते रहे लेकिन गठबंधन सहयोगी बिना कमांडर के लड़ रहा था। ऐसी लड़ाई कौन जीतेगा? राजभर कहते हैं कि अगर वह हमारे सुझावों को नहीं सुन रहे हैं, तो यह उसके ऊपर है। हमने जमीन पर कुछ महसूस किया और कहा कि यह (सपा-बसपा गठबंधन) होना चाहिए। जब दोनों पक्ष (सपा-बसपा) एक ही बात कह रहे हैं तो आप (सपा-बसपा) पिछड़ों और दलितों को क्यों गुमराह कर रहे हैं।
अखिलेश के नहले पर राजभर ने मारा दहला
क्या अखिलेश और मायावती 2019 के आम चुनाव में परिणाम देने में विफल रहने के बाद फिर से साथ आ सकते हैं, राजभर ने कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। 2019 में, जब सपा-बसपा एक साथ आए, तो किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि मुलायम सिंह और मायावती की पार्टियां हाथ मिला सकती हैं। समय और परिस्थितियाँ लोगों को ऐसे निर्णय लेने के लिए मजबूर करती हैं। जब उन्होंने (अखिलेश) बसपा के साथ-साथ कांग्रेस के साथ समझौता किया, तो क्या उस समय पीछे से कोई काम कर रहा था।
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