गोरखपुर हादसे पर डीएम की रिपोर्ट ने खोले राज, क्या 3 लोगों की लापरवाही पड़ी भारी?
गोरखपुर कांड में डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को ठहराया दोषी, डॉक्टर कफील खान को क्लीन चिट
लखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जिस तरह से कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 33 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था, उसमें अब डीएम की रिपोर्ट सामने आ गई है। डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरके मिश्रा को मुख्य आरोपी ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के लिए आरके मिश्रा जिम्मेदार हैं। यही नहीं अस्पताल में वित्तीय गड़बड़ियों की भी बात इस जांच रिपोर्ट में सामने आई है।
अस्पताल के प्रिंसिपल मुख्य आरोपी
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डीएम की जांच रिपोर्ट में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि ऑक्सीजन के टेंडर में कमीशखोरी होती थी। आरोपियों में ना सिर्फ अस्पताल के प्रिंसिपल बल्कि एनिस्थिसिया विभाग के हेड को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। विभाग के हेड व ऑक्सीजन सप्लाई के प्रभारी डॉक्टर सतीश पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ड्यूटी को सही से नहीं निभाया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन प्रिंसिपल और ऑक्सीजन विभाग के प्रभारी की यह जिम्मेदारी थी ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई जारी रहे और सप्लाई करने वाली कंपनी को भुगतान किया जाए।
भुगतान में देरी के लिए विभागाध्यक्ष दोषी
ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को भुगतान में देरी के लिए भी इन्हें जिम्मेदार ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी संबंधित विभाग ने उसका भुगतान नहीं किया, इन लोगों ने भुगतान में लापरवाही बरती है। जांच रिपोर्ट में ना सिर्फ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और ऑक्सीजन विभाग के हेड बल्कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल को भी आरोपी ठहराया गया है।
ऑक्सीजन सप्लाई कंपनी भी दोषी, डॉक्टर कफील को क्लीन चिट
रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को यह पता है कि यह जीवन रक्षक गैस है, ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी जीवन रक्षक गैस की सप्लाई को बंद नहीं किया जाए। पुष्पा सेल्स भुगतान के लिए दूसरे तरीकों को अपना सकती थी, बजाइ इसके कि उसने अस्पताल में जवन रक्षक गैस की सप्लाई को ही बंद कर दिया। हालांकि इस रिपोर्ट में मीडिया में हीरो से विलेन बने डॉ कफील खान को क्लीन चिट दी गई है। कफील खान बालरोग विभाग के हेड हैं। विभाग ने उनपर कोई गंभीर आरोप नहीं लगाए हैं और मामले की जांच उच्चस्तरीय कमेटी से कराने की सिफारिश भी की है।