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गोरखपुर हादसा: 'हीरो' बने डॉ. कफील का ऐसा सच आया सामने, जिसे जानकर हिल जाएंगे आप

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नोएडा। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कई बच्‍चों की मौत के बीच टाई-कोर्ट पहने बाल रोग विशेषज्ञ और इंसेफलाइटिस वार्ड के हेड डॉ कफील खान के रोल की जबर्दस्त तारीफ हो रही है। कफील को हीरों बना दिया गया क्‍योंकि उन्होंने मुश्किल समय में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए और मदद की। लेकिन अब डॉक्‍टर कफील अहमद की जो सच्‍चाई सामने आई है वो होश उड़ा देने वाली है। जी हां मेडिकल कॉलेज से जुड़े कई लोगों ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर हैरानी जताई है जिनमें कफील को फरिश्ते की तरह दिखाया गया है। आईए आपको कफील से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं जो कफील को विलन बना रही हैं।

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मेडिकल कॉलेज का ऑक्‍सीजन सिलेंडर चुराकर निजी क्‍लीनिक पर करते थे इस्‍तेमाल

मेडिकल कॉलेज का ऑक्‍सीजन सिलेंडर चुराकर निजी क्‍लीनिक पर करते थे इस्‍तेमाल

डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं। उनपर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करते थे।

मचा कोहराम तो सिलेंडर भिजवाया जो चोरी का था

मचा कोहराम तो सिलेंडर भिजवाया जो चोरी का था

एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों ने इस बात का खुलासा किया कि बीते शुक्रवार को जब बच्चों की मौत की खबर पर हंगामा मचा तो कफील अपने प्राइवेट अस्पताल में थे। वहां से उन्होंने कुछ सिलेंडरों को अस्पताल भिजवा दिया। क्योंकि ये वो सिलेंडर थे जो वो खुद मेडिकल कॉलेज से चोरी करके ले गए थे। उन्होंने मीडिया को बताया कि इन सिलेंडरों का इंतजाम उन्होंने अपनी जेब से किया है। जबकि ऐसा कुछ नहीं था।

मीडिया में पैठ के चलते बने हीरो

मीडिया में पैठ के चलते बने हीरो

जानकारी के मुताबिक कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के बीच गहरी साठगांठ थी और दोनों इस हादसे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। लेकिन हादसे के बाद से ही उन्हें फरिश्ते की तरह दिखाया गया था, कहा जा रहा है कि इसमें उन्होंने अपने पत्रकार दोस्तों की मदद ली।

सीएम योगी के साथ रहे लेकिन बकाए रकम के बारे में नहीं बताया

सीएम योगी के साथ रहे लेकिन बकाए रकम के बारे में नहीं बताया

डॉ. कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी का मेंबर है। उसे भी ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी थी। दो दिन पहले जब सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज के दौरे पर आए थे वो भी उनके इर्द-गिर्द घूम रहा थे। लेकिन उसने भी उन्हें ऑक्सीजन की बकाया रकम के बारे में कुछ नहीं बताया।

हर सिलेंडर पर कमिशन लेते थे कफील

हर सिलेंडर पर कमिशन लेते थे कफील

मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि डॉक्टर कफील वहां होने वाली हर खरीद में कमीशन लेते थे। और उसका एक तय हिस्सा प्रिंसिपल राजीव मिश्रा तक पहुंचाता था। ऑक्सीजन कंपनी पुष्पा सेल्स के साथ चल रहे विवाद में भी राजीव मिश्रा के साथ कफील का बड़ा हाथ था।

योगी ने लगाई फटकार, कहा हीरो बनने चले गए तुम

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मेडिकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो उन्होंने बंद कमरे में पूरे स्टाफ की क्लास लगाई। डॉ पूर्णिमा और बाल रोग विभाग की एचओडी से पूछा कि एक दिन में कितने सिलेंडर की जरूरत होती है तो उन्होंने बताया कि 21। इस पर योगी ने डॉ. काफिल से पूछा कि जब 21 सिलेंडर की जरूरत होती है तो फिर तीन सिलेंडर की व्यवस्था करके मीडिया में हीरो बनने चले गए। तुम बाहर कैंपस में फोटो खिंचाने में बिजी रहे, अंदर बाकी साथी चिकित्सक इलाज कर रहे थे। सब फोटो खिंचाने लगेंगे तो इलाज कौन करेगा।

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English summary
Gorakhpur hospital tragedy: Dr Kafeel Khan no hero? Allegations of stealing oxygen cylinders.
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