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इस कब्र से जाता है जिन्नातों के मंदिर तक रास्ता, देखिए तस्वीरें...

आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी इमारत के बारे में जिसके लिए कहा जाता हैं कि इस का निर्माण करीब 700-800 साल पहले जिन्नातों ने शुरू किया था लेकिन किसी वजह से वो इसे पूरा नहीं कर पाए।

By Gaurav Dwivedi
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बुलंदशहर। भूत-प्रेतों और जिन्नतों के बारे में लोगों को जानने और उसे समझने की उत्सुकता आज भी कायम है। आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी इमारत के बारे में जिसके लिए कहा जाता हैं कि इस का निर्माण करीब 700-800 साल पहले जिन्नातों ने शुरू किया था लेकिन किसी वजह से वो इसे पूरा नहीं कर पाए। माना जाता है कि एक महिला को जिन्नातों ने कभी यहां लाकर दफन किया था तो उसकी कब्र से ही जिन्नातों के मंदिर तक रास्ता जाता है। ऐसी लोगों की मान्यता है कि ये कब्र एक रात अचानक से अपनी जगह से हट गई। जब लोगों ने जाकर देखा तो जमीन के नीचे रास्ता था। जानिए आखिर क्या है इसकी काहानी?

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इस कब्र से जाता है जिन्नातों के मंदिर तक रास्ता, देखिए तस्वीरें...
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दिल्ली से 84 किमी. दूर है 'बारहखंभा'

दिल्ली से महज 84 किमी. दूर बुलंदशहर का छोटा सा कस्बा शिकारपुर जहां बारहखंभा स्थित है। आपको बता दें कि ये वही बारहखंभा है जिसका निर्माण जिन्नातों ने शुरू किया लेकिन पूरा नहीं कर पाए।

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इनमें 16 'पिलर' हैं और 'खन' 12

बता दें कि बारहखंभा में 16 पिलर हैं लेकिन 'खन' 12 हैं। 'खन' उर्दू का शब्द है 'खन' का हिन्दी में अर्थ है दरवाजे। बारहखंभों में 12 दरवाजे हैं। इसकी खासियत ये है कि आप इसे जिस भी तरफ से देखेंहे 12 दरवाजे आपको दिखाई देंगे।

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ये है काहनी

लोगों की मानें तो वो और उनके बाबा के भी बाबा इस ऐतिहासिक बारहखंभों को बचपने से दखते आ रहे हैं। बारहखंभों के बारे में एक रहस्यमयी कहानी भी प्रचलित है। कहा जाता है कि आज से 700-800 साल पहले एक रात जिन्नातों ने यहां आकर निर्माण शुरू किया था। इस निर्माण को जिन्नात जब तक पूरा करते कहीं दूर एक चक्की चलने की उन्हें आवज आई। उन्हें लोगों के जागने का अभास हुआ तो जिन्नात उस निर्माण को बीच में छोड़कर वहां से चले गए। जब से ये निर्माण आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। लोग ये भी बताते हैं कि जिस महिला ने चक्की चलाई थी जिन्नातों ने उसी महिला को जिन्दा यहां लाकर दफन कर दिया था।

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खासियत

बारहखंभों की खासियत ये है कि ये एक के ऊपर एक इस प्रकार से रखे हुए है कि ये गिर नही सकते। भूकंप, आंधी-तूफान में भी ये खंभे नहीं हिले। साथ ही कई बार लोगों ने इस खंभों पर छत भी बनाने की कोशिश की लेकिन कभी भी छत नहीं बना सके। जब छत का निर्माण हुआ छत अपने आप गिर गई। कई बार तो छत बनने के साथ ही गिर गई और बनाने वाले की हालत खबरा हो गई। जिन्नातों से माफी मांगने के बाद ही कारिगरों की हालत सही हुई। ​

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Comments
English summary
From this grave the way to the Temple of Jinnatas goes know the story
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