शिक्षामित्रों को 17 हजार मानदेय का फर्जी आदेश वायरल, सूबे में हड़कंप
दिलचस्प बात ये है कि वायरल आदेश की कॉपी हू-ब-हू सरकारी आदेश कि तरह है। जिसके चलते इसका प्रभाव काफी अधिक रहा। मामले में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने तत्काल इस पर एक्शन लिया है।
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में मंगलवार की रात सरकारी मशीनरी में उस वक्त खलबली मच गई जब शिक्षामित्रों को लेकर एक फर्जी आदेश सोशल मीडिया पर आया। हालांकि सूबे में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने कि बड़ी कोशिश समय रहते संभाल ली गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा के फर्जी दस्तखत से तैयार जारी किया एक आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसमें शिक्षामित्रों का मानदेय 17,000 रुपया करने और अपने मूल विद्यालय में एक सप्ताह में ज्वाइन करने का आदेश दिया गया है। आदेश की कॉपी जैसे-जैसे यूपी के शिक्षामित्रों तक पहुंची। शिक्षामित्र फिर से लामबंद होने लगे।
दिलचस्प बात ये है कि वायरल आदेश की कॉपी हू-ब-हू सरकारी आदेश कि तरह है। जिसके चलते इसका प्रभाव काफी अधिक रहा। मामले में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने तत्काल इलाहाबाद के सिविल लाइन थाने में शरारती तत्वों के खिलाफ तहरीर भिजवाई और एक आदेश जारी कर इस फर्जीवाड़े का खंडन किया। इस वायरल मैसेज को किसने जारी किया अब पुलिस ऐसे पता लगाने में जुटी हुई है।
मुश्किल से थमा है बवाल
जैसा कि आप जानते ही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 25 जुलाई को उत्तर प्रदेश के 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन टीईटी पास होने कि दशा में ही करने को कहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो इनका समायोजन रद्द कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के साथ ही नाराज शिक्षामित्रों ने पूरे प्रदेश में उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया था। बड़ी मुश्किल से सरकार ने इनका प्रदर्शन बंद कराया था लेकिन किसी शरारती तत्व ने मंगलवार को इन शिक्षामित्रों के जख्मों पर नमक छिड़ककर फिर से बवाल करने के लिए चिंगारी को हवा दे दिया। हालांकि समय रहते विभाग हरकत में आया और फर्जी आदेश का खंडन करते हुए पुलिस कार्रवाई के लिए लिखा-पढ़ी की है।
क्या है फर्जी आदेश?
वायरल फर्जी आदेश में लिखा गया है कि कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्रों की रोजी-रोटी को देखते हुए मुख्यमंत्री द्वारा ये निर्णय लिया गया है कि यूपी के सभी शिक्षामित्रों का मानदेय तत्काल प्रभाव से 17,000 रुपया प्रति माह किया जाता है। जारी आदेश में ये भी कहा गया है कि सभी बीएसए एक सप्ताह के अंदर सभी शिक्षामित्रों को उनके मूल स्कूल में 17 हजार मानदेय पर ज्वाइन कराए और साथ ही रिपोर्ट शासन को भेजें। जो शिक्षामित्र 7 दिन में ज्वाइन नहीं करता है उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाए।
क्या बोले सचिव?
सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने बताया कि मेरी ओर से मानदेय 17 हजार करने संबंधी कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। ये आदेश पूरी तरह से फर्जी है। फर्जी आदेश जारी करने वाले के खिलाफ विधिक कार्रवाई के लिए सिविल लाइंस पुलिस से अनुरोध किया है। सभी बीएसए को भी इस संबंध में आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं। शिक्षामित्रों को मानदेय देने संबंधी निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ कैबिनेट के पास है, मेरे पास नहीं।
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