UP विधानसभा चुनाव बीतने के तीन महीने बाद भी कांग्रेस और BJP को नहीं मिला नया BOSS, जानिए
लखनऊ, 14 जून: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों की नजर निकाय चुनाव पर है। सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा ने इन चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) इसलिए नगर निकाय बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है क्योंकि 2017 के नगर निकाय चुनाव में इसने अच्छा प्रदर्शन किया था। आमतौर पर निकाय चुनावों में बीजेपी (BJP) अच्छा प्रदर्शन कर रही है और वह इस बार भी तैयारी में लगी हुई है। कांग्रेस (Congress) निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी है लेकिन खास बात यह है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाए हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जाति और क्षेत्रीय समीकरणों में उलझे हुए हैं और इस वजह से वे प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पा रहे हैं।
अभी से शुरू हो गई हैं आम चुनाव की तैयारियां
लोकसभा चुनाव-2024 की तैयारियां शुरू हो गई हैं और उससे पहले राज्य में निकाय चुनाव होने हैं. जो एक तरह से सभी राजनीतिक दलों के लिए लिटमस टेस्ट होगा। राज्य में भाजपा की सरकार है और उसे कई दशकों से लगातार नगर निकाय चुनावों में सफलता मिल रही है। इसलिए वह एक बार फिर से तैयारी में लगी हुई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बदलना होगा। लेकिन अभी तक पार्टी किसी विश्वसनीय चेहरे के नाम का ऐलान नहीं कर सकी है।
नए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में होंगे निकाय और आम चुनाव
यूपी में नए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होगा, उनके नेतृत्व में राज्य में निकाय और लोकसभा चुनाव लड़े जाएंगे। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति सबसे अहम हो जाती है। कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस का भी है। तीन दशक से हार का सामना कर रही कांग्रेस राज्य में नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है। कांग्रेस जहां मुस्लिम और ब्राह्मण समीकरण में उलझी हुई है, वहीं बीजेपी राज्य की कमान दलित या ब्राह्मण वर्ग से किसी को सौंपना चाहती है।
नए समीकरण पर बीजेपी की नजर
राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद स्वतंत्रदेव सिंह योगी कैबिनेट में मंत्री बन गए हैं और वर्तमान में वे अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाल रहे हैं. पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू है। ऐसे में उनके लिए दो पदों पर बने रहना मुश्किल है। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बने तीन महीने होने जा रहे हैं और पार्टी को अभी तक कोई नया अध्यक्ष नहीं मिला है। भाजपा संगठन की कमान ब्राह्मण को सौंपे या दलित को, यह चर्चा इसी समीकरण में अटकी हुई है। खास बात यह है कि जब राज्य की कमान नए अध्यक्ष को सौंपी जाएगी, तभी नई कार्यकारिणी का गठन होगा और जिलों में भी नई टीम का गठन होगा।
मजबूत चेहरे की तलाश में कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अब तक उत्तर प्रदेश में कई प्रयोग किए हैं। लेकिन वे प्रयोग विफल रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उसके पास सात विधायक थे। इतना ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी, जबकि 2014 में उसके दो सांसद थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने गढ़ अमेठी में ही हार गई है। जबकि अमेठी की सारी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के पास थी. अब कांग्रेस राज्य में एक ऐसे चेहरे पर दांव खेलना चाहती है, जो लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी जीत दिला सके।
दावेदारों में शामिल हैं कई चेहरे
फिलहाल पार्टी में नए अध्यक्ष के लिए पीएल पुनिया से लेकर प्रमोद कृष्णम, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विधायक वीरेंद्र चौधरी, नदीम जावेद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री के नाम चर्चा में हैं। इससे कांग्रेस अन्य राज्यों की तरह राज्य में भी चार कार्यकारी अध्यक्षों के फार्मूले को लागू कर सकती है। फिलहाल कांग्रेस ब्राह्मण और मुस्लिम समीकरण पर फोकस कर रही है। हालांकि कांग्रेस ने यूपी में दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और रामपुर में होने वाले उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। कांग्रेस अभी संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है।
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