चुनावी हार के बाद धर्मेंद्र यादव की सियासी पिच को लेकर उठ रहे सवाल, जानिए क्या बचे हैं विकल्प
लखनऊ, 28 जून: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में बीजेपी की जीत ने एक तरफ जहां समावजादी पार्टी की तैयारियों की कलई खोलकर रख दी है वहीं दूसरी ओर सपा नेता धर्मेंद्र यादव की राजनीति और उनके सियासी पिच को लेकर कई सवाल भी खड़े कर दिये हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो धर्मेंद्र आधे अधूरे मन से आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव लड़ने उतरे थे। धर्मेंद्र वहां जाना नहीं चाहते थे लेकिन उन्हें सपा के चीफ और बड़े अखिलेश की बात माननी पड़ी लेकिन उनका ये दांव उल्टा पड़ गया। अब सवाल ये है कि आखिर अगले आम चुनाव में धर्मेंद्र यादव की सीट कौन सी होगी और उनका नया ठिकाना कौन सा होगा।
आजमगढ़ में डटे रहेंगे या फिर यहां स्थानीय को तरजीह मिलेगी
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव की हार ने धर्मेंद्र यादव की राजनीति में हलचल मचा दी है। धर्मेंद्र यादव को जिस तरह से आजमगढ़ में उतारा गया और अखिलेश यादव खुद प्रचार करने नहीं गए इससे उनके भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अब धर्मेंद्र यादव के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वो इस हार से सबक लेते हुए आजमगढ़ को ही अपना ठिकाना बनाएंगे या आजमगढ़ की पिच को छोड़कर अपनी पुरानी सियासी पिच पर लौटेंगे। लेकिन धर्मेंद्र के साथ ही अखिलेश यादव के सामने भी बड़ा सवाल है कि क्या वो आजमगढ़ में स्थानीय नेतृत्व को तरजीह देंगे या पिता मुलायम सिंह ने आजमगढ़ जैसी सीट को तैयार कर परिवार को जो विरासत सौंपी थी उसे अपने पास ही रखेंगे।
धर्मेंद्र यादव 2024 में अब कहां से लड़ेंगे चुनाव ये सबसे बड़ा सवाल
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के बाद अब सवाल ये है कि धर्मेंद्र यादव कहां से चुनाव लड़ेंगे। धर्मेंद्र यादव की सियासी पिच हमेशा ही बदलती रही है। धर्मेंद्र यादव को इस बात पर मंथन करना होगा कि आखिर वो राजनीति का ठिकाना किसको बनाएंगे। अगला आम चुनाव 2024 में होना है। एक तरफ जहां बीजेपी अभी से अपनी तैयारियों में जुट गई है वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी में चुनावी हार के बाद रार मची हुई है। धर्मेंद्र यादव के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि उन्हें विश्वास था कि आजमगढ़ सदर सीट पर उनको सबसे ज्यादा वोट मिलेगा। सदर सीट से सपा के दुर्गाशंकर यादव नौंवी बार सपा से विधायक चुने गए हैं लेकिन वहां भी धर्मेंद्र को वोट नहीं मिला। इससे सवाल ये पैदा होता है कि क्या सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी धर्मेंद्र को साथ नहीं दिया।
धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से पहले बदायूं और मैनपुरी से लड़ चुके हैं चुनाव
धर्मेंद्र यादव सबसे मैनपुरी से सांसद बने थे। मैनपुरी को भी मुलायम सिंह यादव ने सपा का गढ़ बनाया था। मैनपुरी छोड़ने के बाद मुलायम ने वहां से धर्मेंद्र यादव को चुनाव लड़वाया था जहां से वो जीत गए थे। इसके बाद धर्मेंद्र का नया ठिकाना बदायूं बन गया। बदायूं से वो दो बार 2009 और 2014 में सांसद बने थे। धर्मेंद्र यादव लगातार अपनी सियासी पिच बदलते रहे हैं इसलिए अब इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि अब उनका अगला ठिकाना क्या होगा। क्या वो बदायूं लौटेंगे या आजमगढ़ में ही अपनी पैठ बनाएंगे ताकि 2024 का चुनाव लड़ सकें।
पिछले आम चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी ने हराया था चुनाव
इसके बाद 2019 के आम चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र को हरा दिया था। स्वामी प्रसाद हालांकि तब बीजेपी में हुआ करते थे लेकिन अब उन्होंने चुनाव से पहले ही सपा में शामिल हो गए थे। सपा में शामिल होने के बाद भी हालांकि उनकी बेटी ने बीजेपी से इस्तीफा नहीं दिया था लेकिन धर्मेंद्र को अगर बदायूं से चुनाव लड़ना है तो उनको संघमित्रा मौर्य से भी जूझना होगा। सपा में शामिल होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा का टिकट दिया था लेकिन वो चुनाव हार गए थे। हालांकि अखिलेश ने बाद में उन्हें एमएलसी बना दिया था।
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