बेटा हो गया देश के लिए शहीद, माता-पिता का चेक दबाकर बैठ गए डीएम साहब
अखिलेश यादव ने ये घोषणा की थी की देश के लिए अपनी जान गवाने वाले शहीद के माता-पिता को मुख्यमंत्री राहत कोष से 5 लाख रुपए की राहत राशि दी जाएगी...
वाराणसी। यूपी के जौनपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने CRPF की कार्यप्रणाली पर फिर बड़ा सवाल उठा दिया है। देश सेवा के दौरान 2016 में आतंकी हमले में शहीद जवान संजय सिंह के परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में मिलने वाले 5 लाख रुपए का चेक जिला प्रशासन की लापरवाही से गायब हो गया। ये चेक शहीद के परिवार वालों को पांच महीने पहले ही भेजा जाना था लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान उसे न जाने कहां रख दिया गया जो आज तक नहीं मिल रहा हैं। CRPF के रिटायर्ड जवान पिता श्याम नारायण सिंह अधिकारियों का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें चेक के माध्यम से मिलने वाली सहायता राशि का अधिकार नहीं मिला है।
एक साल पहले शहीद हुआ था लाल
5 जून 2016 में कश्मीर के पंपोर में संजय सिंह आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये घोषणा की थी की देश के लिए अपनी जान गवाने वाले शहीद की पत्नी को बीस लाख रुपए की सहायता राशि और शहीद के आश्रित माता-पिता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच लाख रुपए दिए जाएंगे। इस घोषणा के बाद शहीद संजय सिंह की पत्नी नीतू सिंह को बीस लाख रुपए का चेक तो मिल गया लेकिन 5 लाख रुपए का चेक आज तक उनके माता-पिता को प्राप्त नहीं हो सका है। जिसके बाद पिता श्याम नारायन सिंह ने जब इस मामले पर विभागीय पूछताछ की तो पता चला की उन्हें दिया जाने वाला चेक तो जौनपुर के डीएम को 5 दिसंबर 2016 को ही भेजा जा चुका हैं। इस जानकारी के बाद वो कई बार डीएम से लेकर तहसीलदार तक से मिले लेकिन अभी तक उन्हें चेक नहीं दिया गया हैं।
सरकारी दफ्तर में गायब हो गया शहीद का चेक
आतंकियों के आत्मघाती हमले में 25 जून 2016 को कश्मीर के पंपोर में शहीद हुए जवानों में जौनपुर के भौरा गांव के संजय सिंह शहीद हुए थे। इस शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची तो पूरे गांव में मातम छा गया और अपने बड़े बेटे के शहीद होने के बाद बुजुर्ग मां बीना सिंह और पिता श्याम नारायण सिंह टूट गए थे पर उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व महसूस हुआ था। यही नहीं शहीद संजय सिंह के पिता खुद सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर टेक्निकल के पद पर तैनात थे जो रिटायर्ड हो चुके हैं। जब उन्होंने तहसीलदार पीके राय से चेक ना दिए जाने की बात पूछी तो तहसीलदार ने कहा की बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उनको दिया जाने वाला चेक दफ्तर से गायब हो गया है जिसे ढूंढने की कोशिश की जा रही हैं।
ऐसे हुई थी घटना
बीते साल 25 जून को सीआरपीएफ की 161वीं वाहिनी के जवानों को लेकर वाहनों का काफिला पुलवामा स्थित कमांडों ट्रेनिंग सेंटर में फायरिंग अभ्यास के लिए जाया जा रहा था। पांपोर के फ्रिस्तबल इलाके में जैसे ही काफिला पहुंचा, वहां पहले से ही घात लगाए बैठे आतंकियों ने बीच वाली बस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस हमले में कुल आठ जवान शहीद हो गए। इनमें संजय सिंह भी शामिल थे। संजय सिंह 1990 से देश की सेवा कर रहे थे। इन्हें सीआरपीएफ में पहली तैनाती चंड़ीगढ़ में सब इंस्पेक्टर टेक्निकल के रूप में मिली थी। इसके बाद इन्हें श्रीनगर भेज दिया गया। जहां तीन साल बाद फिर 29 मई को दिल्ली भेज दिया गया था। परिवार के मुताबिक यहां से उन्हें जून महीने के शुरू में ही दुबारा श्रीनगर भेज दिया गया था।
शहीद का परिवार कर रहा है देश की रक्षा
शहीद संजय सिंह के परिवार के कई सदस्य देश सेवा में लगे हैं। पिता सीआरपीएफ से रिटायर्ड हैं तो संजय के अलावा उनके छोटे भाई सुधीर कुमार सिंह भी बीएसएफ में जवान हैं, जो इन दिनों दिल्ली में तैनात हैं। वहीं शहीद के चाचा रुद्र नारायण सिंह राजस्थान के कोटा में सीआरपीएफ में लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर तैनात हैं।
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