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सोनभद्र: दलित ने निभाया प्रभु श्री राम का किरदार तो देवी साध्वी ने छोड़ दी कथा

रामकथा सुना रही देवी साध्वी को जब यह पता चला कि झांकी में प्रभु श्री राम का किरदार निभा रहा लड़का दलित है तो उन्होंने कथा सुनानी ही छोड़ दी।इसके बाद कथा सुनने आए लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा।

By Gaurav Dwivedi
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सोनभद्र। सत्संग और कथा में धर्म और शास्त्र की अच्छी-अच्छी बाते करने वाले धर्म के ठेकेदार सिर्फ जनता को धर्म का पाठ पढ़ाते हैं। लेकिन वे खुद उसका पालन नहीं कर पाते। इसका उदाहरण सामने आया सोनभद्र जिले के आदिवासी चोपन गड़इहीड गांव में। जहां सप्तदिवसीय संगीतमय कार्यक्रम में ऐसा हुआ जिसने आस्था और विश्वास को तो तार-तार किया ही साथ ही धर्म पर टिप्पणी करने वालों की भी असलियत सामने ला दी।

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सोनभद्र: दलित ने निभाया प्रभु श्री राम का किरदार तो देवी साध्वी ने छोड़ दी कथा

श्रीमद् रामकथा समापन वाले दिन राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथावाचिका देवी राजराजेश्वरी उर्फ देवी साध्वी ने राम कथा में भगवान श्रीराम के सबरी के झूठे बेर खाने की कथा को सुनाया और उसके बाद जब साध्वी को पता चला कि झांकी में बना राम दलित बालक है तो आपत्ति जातते हुए शास्त्र के विरुद्ध ही बता दिया। इस पर लोगों ने आपत्ति करते हुए साध्वी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर कार्रवाई की मांग की है। लोग इतना आक्रोशित हो गए कि जैसे-तैसे साध्वी को उनके लोगों ने वहां से निकाला।


दलित परिवार ने मिलकर किया था कार्यक्रम आयोजित

चोपन के गड़इडीह गांव में दलित समुदाय की बारामती देवी और उनके सेवानिवृत रेलवेकर्मी पति राम प्रसाद ने गांव में भगवान शिव का नर्वदेश्वर महादेव के नाम से मंदिर स्थापित किया। मंदिर निर्माण कराने के बाद बहुत से लोग इससे जुड़े और श्री श्री नर्वदेश्वर महादेव ब्रह्मशक्ति पीठ मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना की गई। जिसके उपलक्ष्य में 25 जनवरी को विशाल हरीकीर्तन कर और 26 जनवरी को स्थापना दिवस मनाया गया। इसके बाद 27 जनवरी से 2 फरवरी तक सप्तदिवसीय संगीतमय श्रीमद रामकथा का आयोजन और अन्त में विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई।


क्या है देवी साध्वी का तर्क

अयोध्या से आई राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथावाचिका देवी राजराजेश्वरी का कहना था कि शास्त्रों में लिखा है कि भगवान राम का पात्र बनने के लिए उच्च जाति का होना जरूरी है। इस पर राम कथा सुनने आए लोगों ने आपत्ति जताते हुए साध्वी का विरोध किया। कथा सुनने के लिए आए लोगों का कहना था
कि जब मन्दिर का निर्माण दलित परिवार ने कराया, उसमें दर्शन पूजन को आने वाले तमाम दर्शनार्थियों को कोई आपत्ति नहीं है तो साध्वी को दलित बालक पर आपत्ति करने का न तो कोई अधिकार है और न ही इसका कोई धार्मिक कारण है।

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English summary
Devi Sadhvi refuse to narrate Ram story when a dalit boy play lord Rams character
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