कृषि कानून वापसी से राकेश टिकैत की हुई बड़ी जीत, क्या अब लड़ेगे यूपी विधानसभा चुनाव ?
नई दिल्ली, 19 नवंबर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। नरेंद्र मोदी ने ये फैसला सुनाते हुए कहा "काफी मंथन के बाद हमारी सरकार नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी, इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।"गुरु पूर्णिमा के इस पर्व पर ये खबर सुनकर आंदोलनकारी किसान अपनी जीत पर खुशी से झूम उठे इसके साथ ही सभी कि निगाह किसानों के नेता राकेश टिकैत पर जाकर टिक गई कि ये मांग पूरी होने के बाद राकेश टिकैत कौन सी राह चुनेगे? क्या वो यूपी विधानसभा चुनाव लड़ेगे या फिर अपने किसानों के आंदोलन तक ही सीमित रहेंगे ?
बता दें उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की शुरूआत में होने वाले हैं और अभी तक ये माना जा रहा था कि कि किसानों के नेता राकेश टिकैत की इसमें बड़ी भूमिका होगी, लेकिन अब जिस आंदोलन के बल पर राकेश टिकैत का नाम जगमागाया था वो आंदोलन खत्म होने के बाद राकेश टिकैत का क्या राजनीतिक भविष्य होगा।
राकेश
टिकैत
को
राजनीति
में
हर
बार
मिली
बुरी
तरह
हार
गौरतलब
है
किसानों
के
नेता
राकेश
टिकैत
के
पिता
और
किसानों
के
बड़े
नेता
महेंद्र
टिकैत
हमेशा
किसानों
से
बीच
रहे
और
राजनीति
से
दूरी
बना
कर
रखी।
लेकिन
राकेश
टिकैत
की
राजनीति
में
खासी
रुचि
रही
है
वो
लोकसभा
और
विधानसभा
चुनाव
भी
लड़
चुके
हैं
लेकिन
दोनों
में
उनकी
हार
हुई
थी।
वो
लगातार
भारतीय
किसान
यूनियन
के
जरिए
राजनीति
में
एंट्री
के
आतुर
नजर
आए
लेकिन
हर
बार
हार
ही
मिली।
चाहे
वो
2007
का
मुजफ्फरनगर
खतौनी
विधानसभा
सीट
का
चुनाव
हो
या
2014
में
राष्ट्रीय
लोकदल
के
प्रत्याशी
बनकर
अमरोहा
लोक
सभा
सीट
से
चुनाव
लड़ने
की
हो।
दोनों
बार
बुरी
तरह
हारे
और
जमकर
सुर्खियां
बने।
कृषि
कानून
से
बने
किसानों
कि
मसीहा
राजनीति
में
जबरदस्त
हार
के
बाद
अस्त
हो
चुके
राकेश
टिकैत
को
मोदी
सरकार
के
द्वारा
लागू
किए
गए
तीन
कृषि
कानून
के
रूप
में
बड़ा
मुद्दा
मिल
गया
और
इसके
दम
पर
किसान
यूनियन
के
प्रमुख
नेता
राकेश
टिकैत
के
स्टार
फिर
चमक
गए
और
वो
सुर्खियां
बने।
टिकैत
के
ट्वीट
और
बयान
मीडिया
में
हेडलाइन
बने।
ये
तक
माना
जा
रहा
था
कि
यूपी
में
टिकैत
इस
आंदोलन
के
जरिए
अपने
लिए
चुनावी
जमीन
तैयार
कर
रहे
हैं।
हालांकि
टिकैत
ने
एक
बयान
में
कहा
था
कि
चुनाव
लडूंगा
नहीं
लड़वाऊंगा।
चुनाव
लड़ने
को
बीमरी
बताते
हुए
टिकैत
ने
कहा
था
हमें
वोट
देने
का
हक
है,
चुनाव
लड़ने
का
भी
हक
है।
इस
बात
से
साफ
था
कि
टिकैत
चुनाव
लड़ने
के
मूड
में
थे।
क्या
लड़ेगे
चुनाव
पुलिस
में
कान्सटेबल
की
नौकरी
छोड़कर
किसान
यूनियन
में
प्रवक्ता
बने
राकेश
टिकैत
अब
मोदी
के
इस
फैसले
के
बाद
चुनावी
मैदान
में
नजर
आएंगे
या
अपने
पिता
महेंद्र
की
राह
पर
चलेंगे
ये
तो
आने
वाला
समय
बताएगा
लेकिन
जिस
लिहाज
से
पश्चिम
यूपी
में
टिकैत
की
एक
हुंकार
पर
हजारों
की
संख्या
में
किसान
इस
आंदोलन
से
जुड़े
इससे
साफ
जाहिर
है
कि
टिकैत
जिस
पार्टी
के
सपोर्ट
में
रहेंगे
उस
पार्टी
का
पड़ला
भारी
रहेगा।
कृषि कानून पर PM की घोषणा के बाद राकेश टिकैत बोले- आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा...
राकेश
टिकैत
की
चुनाव
में
क्या
होगी
अहम
भूमिका
वरिष्ठ
पत्रकार
के
विक्रम
राव
का
इस
बारे
में
कहना
है
कि
राकेश
टिकैत
अब
किसानों
के
नेता
के
रूप
में
बड़ा
नाम
बन
चुका
है।
लेकिन
बात
अगर
यूपी
चुनाव
की
जाए
तो
चूंकि
मोदी
सरकार
ने
कृषि
कानून
वापस
ले
लिया
है
तो
कोई
ये
चुनावी
मुद्दा
तो
रहा
नहीं।
ऐसे
में
टिकैत
चूंकि
किसानों
के
हमदर्द
साबित
हो
चुके
हैं
तो
पश्चिम
यूपी
में
वो
जिस
भी
पार्टी
के
सपोर्ट
में
रहेंगे
उसका
चुनाव
में
फायदा
हो
सकता
है।