बीएचयू के पेपर में कौटिल्य जीएसटी के जनक और मनु ने दुनिया को दिया वैश्वीकरण का सिद्धांत
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एक फिर से विवादों में है। इस बार विश्वविद्यालय में परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र में जो सवाल पूछा गया है उसको लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। दरअसल एमए के राजनीतिक विज्ञान के पेपर में छात्रों को दो सवाल दिए गए, पहला सवाल था कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जीएसटी के स्वरूप पर एक निबंद लिखिए, जबकि दूसरा सवाल था कि वैश्वीकरण के मनु पहले भारतीय चिंतक थे, इसपर चर्चा कीजिए। दोनों ही सवाल 15-15 नंबर के थे।
छात्रों के बताया पाठ्यक्रम से बाहर का सवाल
एक तरफ छात्रों का कहना है कि यह टॉपिक हमारे कोर्ट में नहीं था, प्राचीन और मध्यकालीन भारत का सामाजिक और राजनीतिक विचार में यह टॉपिक नहीं है। वहीं जिस प्रोफेसर ने इस पेपर को तैयार किया है उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि इसमे कुछ गलत नहीं है। प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा का कहना है कि उन्होंने दो विचारकों के विचार को मौजूदा दो आर्थिक नीतियों जीएसटी और वैश्वीकरण के उदाहरण से समझाने को कहा है। यह मेरा आइडिया था कि छात्रों को इस तरह के उदाहरण दिए जाए, क्या हुआ अगर वह टेक्स्ट बुक में नहीं है, क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि पढा़ई में नई तरीकों को ढूंढा जाए। एक छात्र का कहना है कि सर ने हमे इसका जवाब सुनाकर बताया, हमे उन्होंने बताया था कि यह सवाल आएगा, यह हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है लेकिन हमने नोट्स बनाए थे। लेकिन बीएचयू से संबद्ध कॉलेज के छात्रों का कहना है कि उन्हें इसका जवाब नहीं पढ़ाया गया था और यह हमारे पाठ्यक्रम का भी हिस्सा नहीं है।
प्रोफेसर ने किया बचाव
प्रोफेसर मिश्रा का कहना है कि कौटिल्य का अर्थशास्त्र पहली भारतीय किताब है जोकि आज के जीएसटी के विचार के बारे में बताती है। जीएसटी का सिद्धांत मुख्य रूप से यह है कि उपभोक्ता को सबसे अधिक लाभ हो, जीएसटी की परिभाषा इस बात की ओर इशारा करती है कि देश का वित्त और अर्थव्यवस्था एकसाथ जुड़ी होनी चाहिए। कौटिल्य ऐसे अर्थशास्त्री थे जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की बात की थी, उन्होंने कहा था कि घर के निर्माण के लिए 20 फीसदी का टैक्स होना चाहिए, सोना और धातु पर 20 फीसदी टैक्स, सीमा शुल्क 20 फीसदी टैक्स, बगीचे पर 5 फीसदी टैक्स, गायक, नृत्य करने वाला और कलाकार र50 फीसदी टैक्स देगा।
आरएसएस सदस्य हैं प्रोफेसर
प्रोफेसर मिश्रा ने अपने छात्रों को बताया कि मनु पहला विचारक था जिसने दुनिया को वैश्वीकरण का सिद्धांत दिया था, मनु के विचार दुनिया में फैले और कई देशों ने इसे स्वीकार किया। मनु की धर्म, भाषा, राजनीति आदि पर शिक्षा के पुख्ता सबूत चीन, फिलिपींस, न्यूजीलैंड में देखने को मिलते हैं। न्यूजीलैंड में मानव या फिर मैन शब्द मनु से ही लिया गया था। मिश्रा जोकि राजनीतिक विज्ञान के बीएचयू में प्रोफेसर हैं, वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि वह आरएसएस के सदस्य हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनके व्यक्तिगत विचारों का उनकी शिक्षा और छात्रों से कुछ भी लेना-देना नहीं है।
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