गेंहू की कटाई में व्यस्त है भाजपा से 2 बार के ये विधायक, खेती से चलता है खर्च
भदोही। आजकल नेता जनप्रतिनिधि बनने के बाद बड़ी लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगते है और एसी में रहना ही पसंद करते है। लेकिन भाजपा से दो बार विधायक रहे डा.पूर्णमासी पंकज की सादगी को देखकर लगता है कि अभी हमारे बीच जमीन से जुड़े नेता मौजूद हैं। केंद्र में मोदी और यूपी में योगी की सरकार होने के बाद भी इन दिनों कड़ी धूप में गेहूँ की कटाई और अरहर की मड़ाई में जुटे हैं। विधानसभा से मिलने वाली पेंशन और खेती से परिवार की आजीविका चलती है।
शिक्षक रहते बने थे विधायक
पूर्व विधायक पंकज का पैतृक गाँव जि़ले के दुर्गागंज़ के गदौर गडोरा गाँव में है। पेशे से शिक्षक रहे हैं। जब पहली बार विधायक चुने गए तो शिक्षक थे। वह पीएचडी भी हैं। जि़ले में आज भी पुरानी सोहरत है। उनकी छवि एक ईमानदार विधायक के रुप में रही। 1991 में पहली बार भदोही से विधायक चुने गए। बाद में कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में दिसम्बर 1992 में अयोध्या में विवादित ढाँचा गिराए जाने के बाद सरकार चली गई। लेकिन 1993 में सपा- बसपा के गठबंधन में हार का सामना करना पड़ा। 1996 में दूसरी बार भदोही सुरक्षित से चुनावी मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। भदोही की जनता में वे बेहद लोकप्रिय रहे।
शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए किया था बेहतर काम
वरुणा नदी पर एक दर्जन सेतु का निर्माण कराया। भदोही को जौनपुर से बिजली दिलवाई। पेयजल, स्वास्थ्य , शिक्षा और सड़क के लिए बेहतर कार्य किया। लेकिन पार्टी की उपेक्षा से बेहद दु:खी हैं। बोले पार्टी दलित और अनुसूचित जाति पर अधिक ध्यान दे रही है। लेकिन उसी जाति से होने के बाद मेरी उपेक्षा की गई। 2017 के विस चुनाव में मुझे पार्टी ने टिकट नहीं दिया। औराई सुरक्षित से दूसरे दल से आए एक पूर्व विधायक को गले लगा लिया गया, लेकिन मेरी सेवा को ताक पर रख दिया गया।
बाहरी लोगों को पार्टी में लाने की नीति को घातक बताया
पूर्व विधायक डा.पूर्णमासी पंकज ने भाजपा में आयातित लोगों की मांग से पार्टी और संघ के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को किनारे रखने की नीति को घातक बताया है। उनका इशारा औराई सुरक्षित से भाजपा के टिकट पर जीते दीनानाथ भास्कर पर था, क्योंकि वे सपा से आए थे। इसके अलावा भदोही सामान्य से विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी भी बसपा से आकर भगवा थामा और दोनों लोगों ने जीत दर्ज़ किया।हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन पार्टी नेतृत्व की इस उपेक्षा से बेहद दु:खी दिखे। उन्होंने कहा संघ और पार्टी का सिपाही रहा हूँ और रहूंगा।
आज भी स्कूटर से ही चलते है
पूर्व विधायक के पास आज भी फोर व्हीलर की गाड़ी नहीं हैं। अभी तक वह वेस्पा स्कूटर से चलते आ रहे थे। दो साल पूर्व एक बाइक ली है। इनकी पहचान स्कूटर वाले विधायक के रूप में रही है। व्यवहार से बेहद सौम्य और मिलनसार हैं। कविता भी अच्छी लिखते हैं। उन्होंने कहा मेरे पास रसूख के लिए कुछ नहीं। फसलों की मड़ाई का मौसम है तो मुझे गेहूँ और अरहर के साथ दूसरी फसलों की कटाई और मड़ाई परिवार के साथ मिल कर करनी पड़ती है। बस राजकीय पेंशन और खेती से परिवार चलता है। पार्टी को 2019 को देखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव लाना चाहिए और आयातित संस्कृति पर विराम लगना चाहिए।
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