भाजपा की महिला नेता ने खत्म किया बहराइच में 23 साल का वनवास, लहराया केसरिया
बहराइच सदर पर 23 वर्षो से लगातार समाजवादी पार्टी के नेता डा वकार अहमद शाह का कब्जा था। लेकिन इस चुनाव में स्वास्थ्य खराब होने के कारण वकार अहमद शाह चुनाव मैदान से बाहर थे।
बहराइच। प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सदर सीट पर दिलचस्प मुकाबले देखने को मिला। जिले की बहराइच सदर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लिए काफी महत्व रखती है। इस सीट को सपा पार्टी का अभेद किला माना जाता रहा है। इस सीट पर 23 वर्षो से लगातार समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता डा. वकार अहमद शाह का कब्जा था। लेकिन इस चुनाव में स्वास्थ्य खराब होने के कारण वकार अहमद शाह चुनाव मैदान से बाहर थे। पार्टी ने इस बार उनकी पत्नी व पूर्व सांसद रुवाब सईदा को टिकट दिया था। वो पार्टी के इस अभेद दुर्ग व पति की विरासत बचाने में नाकाम रही। इस सीट पर भाजपा ने 6707 वोटो से केसरिया रंग का परचम लहरा दिया।
जिले की सदर विधानसभा सीट पर 1993 में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में उतरे वकार अहमद शाह ने पहली बार जीत दर्ज की। उसके बाद से अपने राजनैतिक कौशल व मिलनसार स्वभाव के कारण उसके बाद उन्होंने पलट कर पीछे नही देखा। 23 वर्षो से वो लगातार इस सीट से विधायक थे। सपा के कद्दावर नेता के रूप में स्थापित हो गए और सपा प्रमुख मुलायम सिंह के खास लोगो में उनकी गिनती होने लगी। सूबे में उनके रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो दो बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के साथ ही उन्होंने विधानसभा उपाअध्यक्ष व कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष का भी पद संभाला।
बहराइच
की
सभी
सीटों
पर
जीती
भाजपा
2012
के
विधानसभा
चुनाव
के
एक
साल
के
बाद
उनका
स्वास्थ्य
खराब
हो
गया।
जिसके
बाद
से
वो
लगातार
अस्पताल
में
भर्ती
हैं।
इस
बार
पार्टी
ने
उनकी
नामौजूदगी
में
उनकी
पत्नी
पूर्व
सांसद
रुवाब
सईदा
को
इस
दुर्ग
को
बचाने
के
लिए
सदर
सीट
से
प्रत्याशी
बनाया
था।
लेकिन
इस
बार
केवल
सदर
सीट
की
नही
बल्कि
जपनद
की
छह
सीटों
पर
केसरिया
परचम
लहरा।
सपा
का
अभेद
किला
मानी
जाने
वाली
सदर
सीट
भाजपा
की
अनुपमा
जायसवाल
ने
6707
वोटों
से
जीत
हासिल
कर
23
सालों
का
वनवास
खत्म
कर
दिया।
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