अब मनचलों की खैर नहीं, यूपी पुलिस के एंटी रोमियो स्क्वाड पर हाई कोर्ट की मुहर
कोर्ट ने पुलिस के सादी वर्दी में जगह-जगह छापेमारी कर महिलाओं से छेड़खानी करने वाले मजनुओं की वीडियों बनाने व उसे मीडिया, सोशल मीडिया पर वायरल करने में कोई अवैधानिकता नहीं पाई।
लखनऊ। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद मनचले रोमियो के खिलाफ चल रहे अभियान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने महिलाओं से छेड़खानी की घटनाओं पर विराम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के निर्देश पर एंटी रोमियो स्क्वॉड के गठन पर मुहर लगा दी है। यह आदेश जस्टिस एपी साही व जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने गौरव गुप्ता की याचिका पर दिया।
कोर्ट ने पुलिस के सादी वर्दी में जगह-जगह छापेमारी कर महिलाओं से छेड़खानी करने वाले मजनुओं की वीडियों बनाने व उसे मीडिया, सोशल मीडिया पर वायरल करने में कोई अवैधानिकता नहीं पाई। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को "मोरल पुलिसिंग" मानने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा है कि दरअसल ये "पुलिसिंग" पर रोक की कोशिश है।
क्या कहा गया याचिका में
याचिका में कहा गया कि एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए पुलिस लोगों की प्राइवेसी भंग कर रही है और नवजवान जोड़ों को परेशान कर रही है। तर्क दिया गया कि संविधान ने सबको स्वछंद रूप से विचरण का अधिकार दिया है, लेकिन इस प्रकार गठित एंटी रोमियो दल इस अधिकार का हनन कर रही है। याचीका ने पुलिस दल का नामकरण एंटी रोमियो स्कवॉड करने पर भी एतराज जताया कि इससे लोगों में भय व्याप्त हो रहा है।"
क्या कहा कोर्ट ने
किसी मामले में पुलिस की ज्यादती सामने आती है तो कानून के दरवाजे खुले हैं। सरकार को पुलिस बल बढ़ाना चाहिए। तमिलनाडु में 1998 में महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए कानून बनाया गया और गोवा में भी 2013 से ऐसा ही कानून है। यदि पुलिस दल के नामकरण पर आपत्ति है तो सरकार उसे बदलने को स्वतंत्र है ।