इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकारी कर्मचारी सरकारी अस्पताल में ही कराएं इलाज
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग की दिशा और दशा सुधारने के लिए ऐतिहासिक फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों व उनके परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में कराने का निर्देश दिया है और यह भी स्पष्ट किया कि किसी को भी वीआईपी ट्रीटमेंट न दिया जाए। हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि सरकारी अधिकारी, कर्मचारी अगर सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कराते, बल्कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते हैं तो उनके इलाज का खर्च सरकार न दे। इस फैसले के बाद अब सरकारी अस्पताल में सुविधा बढ़ने के साथ गुणवत्ता व चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था की कवायद तेज होगी और लापरवाह चिकित्सकों पर भी नकेल कस उठेगी। यह फैसला जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस अजित कुमार की खण्डपीठ ने इलाहाबाद की स्नेहलता सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है और मुख्य सचिव को निर्देशों का पालन सुनिश्चित कर कार्रवाई रिपोर्ट 25 सितम्बर तक हाईकोर्ट में पेश करने को कहा है।
अस्पतालों
का
होगा
आडिट
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
खस्ताहाल
सरकारी
अस्पताल
को
लेकर
याचिका
दाखिल
की
गई
थी।
जिस
पर
जस्टिस
सुधीर
अग्रवाल
तथा
जस्टिस
अजित
कुमार
की
खण्डपीठ
ने
शुरू
की
तो
सरकारी
अस्पताल
में
खामियों
के
साथ
वजहों
को
भी
स्पष्ट
किया
गया।
इस
हाईकोर्ट
ने
याचिका
निस्तारित
करते
हुए
कहा
कि
प्रदेश
सरकार
हर
जिले
में
विजिलेंस
टीम
गठित
करे
जो
सरकारी
डाक्टरों
की
प्राइवेट
प्रैक्टिस
पर
रोक
लगाए
और
प्राइवेट
प्रैक्टिस
करने
वालों
पर
नॉन
प्रैक्टिसिंग
एलाउन्स
की
वसूली
करे।
हाईकोर्ट
ने
यूपी
सरकार
को
सूबे
की
सभी
सरकारी
अस्पतालों
की
एक
वर्ष
के
भीतर
कैग
से
ऑडिट
कराने
का
भी
आदेश
दिया
है।
जबकि
डाक्टरों
व
स्टाफ
के
खाली
पदों
को
शीघ्र
भरने
को
भी
कहा
है।
महत्वपूर्ण
निर्देश
1-
डॉक्टरों
व
स्टॉफ
के
खाली
पदों
में
से
50
फीसदी
चार
माह
में
तथा
शेष
अगले
तीन
माह
में
भरने
का
निर्देश।
2 - गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति
3 - दो माह में कैग से बड़े सरकारी अस्पताल, जिला अस्पताल व एक साल में मुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का ऑडिट।
4 - रेडियो डायग्नोसिस व पैथॉलाजी सेन्टरों की जांच के लिये हर जिले में विजिलेन्स टीम।
5 - सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक
6 - इलाहाबाद में ट्रामा सेन्टर की दुर्दशा पर कार्रवाई के निर्देश व जांच रिपोर्ट तलब
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