क्या सत्ता बचाए रखने में अखिलेश को मिलेगा कांग्रेस का साथ?
मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाल दिया है। अब आगे क्या होगा इसके सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं।
लखनऊ। मुलायम सिंह ने शुक्रवार शाम को अखिलेश यादव और पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। काफी दिनों से समाजवादी पार्टी में चल रही कलह ने अब वो मोड़ ले लिया है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को या तो अपनी कोई नई पार्टी बनानी होगी या फिर किसी पार्टी के साथ जुड़ना होगा। काफी समय से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव को कांग्रेस का साथ मिल सकता है। अब देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव को निकाले जाने के बाद अपने साथ मिलाना चाहेगी या नहीं।
पिछले
कुछ
महीनों
से
कांग्रेस
के
उपाध्यक्ष
राहुल
गांधी
और
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
में
करीबियां
काफी
बढ़
गई
हैं।
हाल
ही
में
इलाहाबाद
में
कांग्रेस
नेता
हसीब
अहमद
ने
एक
पोस्टर
लगाया
है
जिसमें
कांग्रेस
और
अखिलेश
को
साथ
दिखाया
गया
था।
इस
पोस्टर
के
सामने
आने
के
बाद
कयास
और
तेज
हो
गए।
जानकारी
के
अनुसार
अखिलेश
यादव
की
नई
पार्टी
के
गठन
के
बाद
वह
कांग्रेस
के
साथ
गठबंधन
कर
सकते
हैं।
मौजूद
समय
में
न
केवल
अखिलेश
यादव
को
कांग्रेस
की
जरूरत
दिखाई
दे
रही
है,
बल्कि
कांग्रेस
को
भी
अखिलेश
की
जरूरत
महसूस
होती
दिख
रही
है।
ऐसे
में
अगर
दोनों
एक
दूसरे
से
हाथ
मिला
लेते
हैं
तो
उत्तर
प्रदेश
की
राजनीति
के
समीकरण
में
कुछ
बदलाव
जरूर
दिखाई
देंगे।
ये
भी
पढ़ें-
देश
में
दो
दिन
के
अंदर
दो
मुख्यमंत्रियों
को
उनकी
ही
पार्टी
ने
निकाल
दिया
यह
पहली
बार
नहीं
है
कि
अखिलेश
और
राहुल
के
साथ
होने
के
चर्चे
हुए।
इससे
पहले
जब
राहुल
गांधी
ने
सर्जिकल
स्ट्राइक
के
बाद
पीएम
मोदी
पर
जवानों
के
खून
की
दलाली
वाला
बयान
दिया
था,
उसके
बाद
भी
अखिलेश
यादव
ने
राहुल
गांधी
के
बयान
को
बिना
दोहराए
उनका
अप्रत्यक्ष
रूप
से
समर्थन
किया
था।
अभी
इस
बात
की
पुष्टि
तो
नहीं
हुई
है
कि
अखिलेश
यादव
अपनी
पार्टी
का
ऐलान
करने
वाले
हैं
या
नहीं,
लेकिन
अब
पार्टी
से
निकाले
जाने
के
बाद
इसकी
संभावना
काफी
अधिक
बढ़
चुकी
है।
रामगोपाल
यादव
ने
भी
कहा
है
कि
जो
लोग
अखिलेश
यादव
के
विरोधी
हैं,
वो
मेरे
विरोधी
हैं।
वे
बोलो
कि
अब
समझौते
की
संभावना
खत्म
हो
गई
है
और
आने
वाले
2-3
दिनों
में
यह
साफ
हो
जाएगा
कि
अखिलेश
यादव
का
समर्थन
करने
वाले
उम्मीदवार
किस
चुनाव
चिन्ह
पर
चुनाव
लड़ेंगे।